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हैप्पी दिवाली

हैप्पी दिवाली

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गुड़िया दुकान पर बैठी मिट्टी के दीयों को बड़ी खूबसुरती से सजा रही थी। आखिर दीवाली जो आने वाली थी। गुड़िया 10 साल की थी उससे छोटे उसके 2 भाई बहन और थे। गुड़िया के माता-पिता सड़क के किनारे एक छोटी सी जगह लेकर अपनी दुकान चलाते थे। वैसे तो सारा साल मिट्टी का सामान मटका, सुराही, गमले आदि बनाकर बेचते इसी से उनके घर का गुजारा चलता था पर दीवाली के करीब आते ही उन्हें आस रहती की दीये बेचकर वो अपने बच्चों को भरपेट खाना खिला सकेंगे। गुड़िया अपनी दुकान पर बैठी-बैठी दीये बिकने का इंतज़ार कर रही थी जो भी कोई पास से गुजरता वो कहती बाऊजी दीये ले लो... दीवाली के दीये ले लो।

आवाज़ लगा-लगा कर उसका गला सूख रहा था उसने सुबह से कुछ खाया भी नहीं था। पास बैठे उसके दोनों छोटे भाई-बहन भी भूख से रो रहे थे पर वो उनको दिलासा दे रही थी।

तभी उसकी दुकान पर एक कार आकर रुकी। गुड़िया कार देखकर एकदम खड़ी हो गयी। कार में से सुषमा अपनी बेटी के साथ बाहर निकली उसकी 6 साल की बेटी पीहू मिट्टी के दिये लेने की जिद कर रही थी। उसके स्कूल में सब बच्चों को दीये को सज़ा कर ले जाना था। सुषमा ने एक दीया उठा कर पूछा "बेटा ये कितने का है?"

"5रु. का मेमसाब" गुड़िया ने मासूमियत से जबाव दिया।

सुषमा ने दिया लेकर गुड़िया को 5रु. देते हुये कहा लो बेटा तभी उसकी बेटी पीहू ने गुड़िया को मुस्कुराते हुए कहा "हैप्पी दीवाली..."

पीहू की बात सुनकर गुड़िया बोली "मेमसाब ये हैप्पी दीवाली क्या होती है?"

सुषमा ने कहा "बेटा मेरी बेटी तुम्हे दीवाली की मुबारकबाद दे रही है।"

सुषमा की बात सुनकर गुड़िया की आँखों मे आंसू आ गए बोली, "मेमसाब हमारे को तो दीवाली का पता नहीं कैसे शुभ होती है। हमें तो जिस दिन भर पेट खाना मिल जाता है हमारे लिए वो ही दिन दीवाली का होता है। बस आप दुआ करो कि मेरे ये मिट्टी के सारे दीये बिक जाए जिससे मेरे बापू मुझे और मेरे भाई बहन को रोटी लाकर खिला सकें।"

गुड़िया की बात सुनकर सुषमा की आँखे भर आयी। आज उसे अहसास हो रहा था कि दीवाली बस अमीरों के लिए ही होती है गरीब तो केवल दीवाली का इंतज़ार बस इसलिए करते हैं कि कम से कम दीवाली पर शायद उनको भर पेट खाना मिल जाये।

सुषमा ने गुड़िया के दियों की टोकरी उठा कर उसको 500रु. देते हुए कहा "बेटा ये लो आज भर पेट खाना खाना।"

अपने सारे दीये बिक़ ज़ाने पर गुड़िया खुशी से झूम उठी उसने खुश होते हुए कहा "मेमसाब आपको भी हैप्पी दीवाली"

आज सुषमा और गुड़िया दोनों के लिए वास्तव में दीवाली शुभकामनायें सार्थक हो गयी थी।

सुषमा सारे दीये लेकर कार में बैठ गयी आज उसे गुड़िया के चहरे पर मुस्कान देखकर बहुत ख़ुशी हो रही थी।


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