डर-डर के और नहीं जीना
डर-डर के और नहीं जीना
नैना को नींद में लगा कि किसी ने दरवाज़ा खटखटाया है। नैना घर पर अकेली ही थी। नैना के पति श्रीकांत ऑफिस के काम से कुछ दिनों के लिए बाहर गए थे। नैना बिस्तर पर लेटकर अमृता प्रीतम की किताब रसीदी टिकट पढ़ रही थी और पढ़ते-पढ़ते ही काम उसकी आँख लग गयी उसे पता भी नहीं चला। इतनी रात को कौन आएगा ? श्रीकांत तो २ दिन बाद आएंगे। मेरे मन का वहम होगा। सारी लाइट्स भी ऑन हैं। नैना ने अपने आप से कहा और लाइट का स्विच ऑफ करने के लिए हाथ बढ़ा दिया।
लेकिन इस बार फिर किसी ने दरवाज़े पर दस्तक दी और साथ ही किसी महिला का स्वर भी सुनाई दिया नैना दीदी नैना दीदी। मेरे मन का वहम नहीं है सच में दरवाज़े पर कोई है। ऐसा सोचते हुए नैना ने अपने कदम दरवाज़े की तरफ़ बढ़ा दिए थे।
नैना ने दरवाज़ा खोलने से पहले अपने कपड़े ठीक किये। खुद की तसल्ली के लिए खिड़की से पर्दा हटाकर झाँककर देखा तो उसे लम्बे बाल और दुपट्टा से दिखाई दिया। ओह्ह तो कोई लड़की ही है। नैना ने किवाड़ पर लगी साँकल हटाकर किवाड़ खोल दिए थे।
देखा तो सामने उसके पड़ोस में रहने वाली भाविका थी। भाविका के लम्बे काले बाल फ़ैले हुए थे। आँसुओं ने उसके चेहरे पर अपने निशां छोड़ रखे थे। उसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ी हुई थी। जैसे ही उसने नैना को देखा वह नैना से लिपटकर ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी। नैना ने उसको सहारा देकर अन्दर लिया कर दरवाज़ा दोबारा बंद कर दिया। नैना ने भाविका को अंदर सोफे पर बैठाया। भाविका का रोना बदस्तूर जारी था। रोते-रोते उसकी हिचकियाँ बँध गयी थी।
नैना भाविका को चुप कराने लगी। कुछ देर में भाविका जब थोड़ी शान्त हुई तब नैना भाविका के लिए किचन से जाकर पानी लायी। नैना ने भाविका को पानी पिलाया और उससे पूछा, "क्या हुआ भाविका ? क्या तुम्हारा साहिल से झगड़ा हुआ है ? पति-पत्नी में छोटी-मोटी नोंक-झोंक तो चलती ही रहती है।"
भाविका ने नैना से कुछ नहीं कहा और उसने चुपचाप अपने पीठ पर से बाल हटा दिए। उसकी पीठ पर नीले निशान बने हुए थे उसे बेदर्दी से मारा गया था। भाविका की हालत देखते ही नैना के मुँह से हलकी सी चीख निकल गयी।
" ये सब क्या है भाविका ? किसने किया ? ", नैना ने पूछा।
"साहिल ने", भाविका ने दुखी होते हुए कहा।
भाविका की बात सुनकर नैना आश्चर्यचकित रह गयी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह जो सुन रही है वह सही है या उसने जो आज तक देखा था वह सही था।
भाविका और साहिल एक नवविवाहित युगल कुछ 6 महीने पहले ही नैना के पड़ोस में रहने के लिए आये थे। उनके बीच प्यार और रोमांस को देखकर सारी कॉलोनी की औरतें उन्हें लव बर्ड कहती थी।
नैना ने भी कितनी ही बार भाविका को प्यार भरी मुस्कराहट के साथ साहिल को ऑफिस के लिए विदा करते हुए देखा था। साहिल भी जब ऑफिस लौटता था तो उसके हाथ में कभी गुलाब के फूलों का बुके कभी गजरा या कभी चॉकलेट चोरी-छिपे झाँकती हुई नैना को दिख ही जाती थी। नैना को दोनों साथ में बड़े ही अच्छे लगते थे।
भाविका भी तो इतनी प्यारी थी जब भी नैना को देखती मुस्कुराकर उसका अभिवादन करती। धीरे-धीरे नैना को पता चला कि भाविका बचपन में ही अनाथ हो गयी थी। उसकी नानी ने उसे बड़ी मुश्किलों से पाला पोसा था और साहिल से शादी करा दी थी। साहिल के प्यार ने भाविका के सब पुराने जख्म भर दिए थे लेकिन आज हकीकत का इतना घिनौना चेहरा देखकर नैना स्तब्ध थी।
"लेकिन साहिल ने ये क्यों किया ?", नैना ने पूछा।
"साहिल से मुझे सब कुछ मिला लेकिन प्यार और सम्मान नहीं। उसके लिए मेरी अहमियत एक नौकरानी से ज्यादा नहीं है। ऐसी नौकरानी जो दिन में उसके घर को संभाले और रात में उसके बिस्तर को। ऐसी चाबी वाली गुड़िया जो उसके कहने पर उठ जाए और उसके कहने पर बैठ जाए। अगर मैं कभी संबंध बनाने से मना कर दूँ तो वह मुझे बेल्ट से मारता है। ध्यान रखता है कि चेहरे पर एक भी चोट न आये। "भाविका ने एक ही साँस में बोल दिया था।
" तुम उसके विरुद्ध शिकायत कर सकती हो। पुलिस के दो डंडे पड़ते ही उसकी अक्ल ठिकाने आ जाती।", महिलाओं के लिए कार्य करने वाली नैना ने कहा।
" दीदी मैं ज्यादा पढ़ी-लिखी भी नहीं हूँ। अगर ऐसा कुछ करती तो साहिल कौन सा चुप बैठता ? मेरी तकलीफ के बारे में नानी को पता लगता तो वह बेचारी तो मर ही जाती। वैसे भी उनके सिवा मेरा कौन ही है। फिर मैंने सोचा अभी नयी-नयी शादी है धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा.", भाविका ने कहा।
" आज ऐसा क्या हो गया ? ", नैना ने पूछा।
" दीदी आज तो साहिल मुझे जान से ही मार देता। आज शराब पीकर आया था। मैंने अपने नज़दीक आने से रोका तो वह अपना आपा ही खो बैठा. ", भाविका ने बताया।
" फिर ? ", नैना ने पूछा।
" मुझे केवल आपका ही चेहरा याद आया जहाँ मैं आश्रय ले सकती हूँ. ", भाविका ने कहा।
"अब आगे क्या सोचा है ? कल तो साहिल शायद तुम्हें घर में घुसने भी नहीं देगा. ", नैना ने कहा।
" दीदी आप ही बताओ. ", भाविका ने कहा।
"मुझ पर विश्वास करती हो तो कल मेरे साथ पुलिस स्टेशन चलो। हम साहिल की शिकायत करेंगे। पुलिस उसे समझाएगी। हम साहिल को काऊंसलर के पास लेकर चलेंगे और तुम पढ़ाई दोबारा शुरू करो या कोई कोर्स करो। मैं तुम्हारी उसमें मदद कर दूँगी। तुम्हें अकेला जानकर साहिल की इतनी हिम्मत बढ़ी हुई है। हम जितना डरते हैं हमें उतना ही डराया जाता है। अगर तुमने एक बार साहिल के विरुद्ध आवाज़ उठा दी तो वह तुम्हें डराना बंद कर देगा। "नैना ने उसे राह सुझाई।
" क्या साहिल सुधर जाएगा ? ", भाविका ने पूछा।
" कोशिश तो की ही जा सकती है। मैंने जितना ऐसे पुरुषों के साथ काम किया है अधिकतर मामलों में सुधर ही जाते हैं।", नैना ने कहा।
" ठीक है दीदी, अब डर-डर के और नहीं जीना। ", भाविका ने कहा।
अगले दिन नैना के साथ जाकर भाविका ने पुलिस से मदद मांगी। भाविका के साथ नैना और पुलिस दोनों को देखकर साहिल की आधी हिम्मत तो जवाब दे ही चुकी थी। पुलिस द्वारा जेल में डाले जाने की धमकी दिए जाने पर उसकी पूरी हिम्मत ही टूट गयी थी। काउंसलर की मदद से साहिल में धीरे-धीरे सुधार आने लगा था। नैना की मदद से भाविका ने अपनी पढ़ाई शुरू की और उसके साथ ही कंप्यूटर कोर्स भी ज्वाइन कर लिया था। भाविका का आत्मविश्वास बढ़ने लगा था और उसका डर ख़त्म हो गया था। भाविका के साथ जाकर नैना ने उसकी नानी को भी सारी बातें समझा दी थी।
