डर day-2
डर day-2
"7 बज गए और यह लड़की आज अभी तक भी नहीं उठी। 7 :45 तक स्कूल बस आ जायेगी।", डाइनिंग टेबल पर टोस्ट रखते हुए ,घड़ी की तरफ देखकर भुवना ने कहा।
"क्या कहा ? मृणाल अभी तक नहीं उठी।मैं अभी उसके कमरे में जाता हूँ।", अखबार एक तरफ रखते हुए सुनील ने कहा।
"आप रहने दीजिये। मैं जाकर जगाती हूँ।आप गुस्सा करेंगे और बच्ची का मूड सुबह -सुबह ऑफ हो जाएगा।", भुवना ने डरते -डरते कहा।
"क्या कहा ? बाप हूँ उसका ,दुश्मन नहीं। उसके भले के लिए ही डांटता हूँ। तुम उसे सिर पर मत चढ़ाओ। बच्ची नहीं है अब वह ,अगले साल कॉलेज में चली जायेगी। खैर उसके लिए बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक है।", सुनील ने कहा।
"बच्चों को इतना डाँटना भी सही नहीं है।", भुवना ने कहा।
"अब तुमसे मुझे सही और गलत का फर्क सीखना पड़ेगा।", सुनील ने कहा।
भुवना बिना कुछ कहे मृणाल के कमरे की तरफ चली गयी थी। सुनील एक बहुत ही कड़क पिता था। मृणाल सुनील से बहुत डरती थी। मृणाल हिंदी साहित्य पढ़ना चाहती थी ;लेकिन सुनील ने नहीं लेने दिया।सुनील ने उसे साइंस- बायोलॉजी दिलवाया। अब सुनील मृणाल को पढ़ाई करने के लिए डाँटता रहता था।
"मम्मी ,आप पापा से बात करो न कि 24 घंटे पढ़ाई नहीं की जा सकती।", मृणाल कभी -कभी भुवना से कहती।
"बेटा ,तुम अपने पापा को तो जानती ही हो। पापा के हिसाब से ही चलना होगा ;इसमें ज़रा भी कोताही नहीं चल सकती।", भुवना हर बार मृणाल को समझाती।
आ आ आ आ ..................................आ आ भुवना की चीख पूरे घर में गूँज उठी थी।
"क्या हुआ ?",सुनील दौड़ते हुए मृणाल के कमरे में पहुँचा। मृणाल के कमरे में जाते ही सुनील के होश फाख्ता हो गए। मृणाल अपने बिस्तर पर बेहोश पड़ी हुई थी और उसके हाथ से रक्त बह रहा था। रक्त से पूरा बिस्तर भर गया था।
"मृणाल को क्या हो गया ?",भुवना ने रोते हुए सुनील से कहा।
सुनील ने मृणाल की नब्ज देखते हुए कहा कि ," भुवना हमारी बेटी अब इस दुनिया में नहीं रही। "
सुनील ने पुलिस को कॉल किया। पुलिस इंस्पेक्टर के साथ उनका जासूस दोस्त रमन भी आया।
पुलिस इंस्पेक्टर ने मौका मुआयना करते ही कहा कि ,"आपकी बेटी ने आत्महत्या की है। "
"नहीं ,ऐसा नहीं हो सकता।", सुनील ने कहा।
"आपकी इस खिड़की का काँच टूटा हुआ था क्या ?",रमन ने मृणाल के कमरे की खिड़की के टूटे हुए काँच की तरफ देखकर पूछा।
"नहीं।", सुनिल ने जवाब दिया।
"पोस्टमार्टम के बाद आपको ,आपकी बेटी का शव सौंप देंगे।", पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा।
"आपकी बेटी के पास कोई मोबाइल था क्या ?",रमन ने पूछा।
"कोई मोबाइल नहीं था। हम बच्चों को मोबाइल नहीं देते।", सुनील ने कहा।
"नहीं ,मोबाइल था। आपसे छुपाकर दिया था। आजकल मोबाइल बहुत जरूरी हो गया है।", भुवना ने कहा।
"बेटी का मोबाइल दीजिये। शायद उससे कुछ पैट चले।", पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा।
घर से बाहर निकलते हुए रमन सुनील की गाड़ी के साइड मिरर से टकरा गया। साइड मिरर का रंग ,गाड़ी के रंग से थोड़ा अलग था।
" क्या आपने अभी गाड़ी का साइड मिरर बदलवाया है ? किस से करवाया ? मुझे भी बताइये।", रमन ने पूछा।
"नहीं ,मेरी गाड़ी तो पिछले 15 दिन से घर से बाहर ही नहीं निकली।", सुनील ने कहा।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि मृणाल की मृत्यु हाथ की नस कटने से ही हुई थी। नस भी शायद मृणाल ने ही काटी थी। अगर कोई और काटता तो घाव गहरा होता। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात थी कि उसी रात उसका शारीरिक शोषण भी हुआ था। मृणाल के फ़ोन की लोकेशन रात को शहर की हवा सड़क थी। मृणाल की जिस नंबर से आखिरी बात हुई थी ;वह नंबर भी मृणाल के साथ आधी रात तक हवा सड़क पर ही था। वह मृणाल के ही किसी स्कूल फ्रेंड का था।
"लेकिन उसने आत्महत्या क्यों की ?",रमन अभी भी यही सोच रहा था।
स्कूल फ्रेंड ने बताया कि मृणाल उस रात घर से अपनी कार लेकर आयी थी। दोनों कुछ देर घूमे और फिर वह अपने घर चला गया था।
"तब ही सुनील की कार पर ताज़ा मिट्टी लगी हुई थी। क्या साइड मिरर मृणाल ने बदलवाया था ?",रमन ने स्कूल फ्रैंड से पूछा।
बार -बार पूछने और डराने से आखिर स्कूल फ्रैंड टूट गया और उसने जो बताया ; उससे रमन और पुलिस इंस्पेक्टर दोनों के ही रौंगटे खड़े हो गए। इतना आसान और दर्दनाक केस आज तक रमन के सामने नहीं आया था।
मृणाल और उसका स्कूल फ्रेंड रात को गाड़ी के पास खड़े होकर बात कर रहे थे। तब ही पास से इ बाइक सवार बहुत तेज़ी से निकला और मृणाल की गाड़ी का साइड मिरर टूट गया।
"अब क्या होगा ?पापा को पता चल गया तो बहुत डाँटेंगे।", मृणाल ने रुआँसे होते हुए कहा।
"इतनी रात को तो कोई मैकेनिक भी नहीं मिलेगा। किसी वर्कशॉप का खुला होना भी बहुत मुश्किल है। तुम अंकल को सुबह सच बता देना।", स्कूल फ्रैंड ने समझाने की कोशिश की।
"पागल हो गए क्या ? पापा मुझे मार डालेंगे। कोई तो वर्कशॉप खुली हुई मिल ही जायेगी। चलो,ढूँढते हैं।", मृणाल ने कहा।
"सर ,फिर हम दोनों वर्कशॉप ढूँढने लगे। हमें एक वर्कशॉप मिल भी गयी। मैकेनिक शायद हमारी मजबूरी समझ गया था। उसने साइड मिरर लगाने के बदले मृणाल को माँगा। मैंने मृणाल को बहुत समझाया कि यहाँ से चलो। लेकिन उसने मैकेनिक की बात मान ली क्यूँकि वह अपने पापा से बहुत डरती थी। उसने कहा कि पापा की डाँट से इसमें दर्द कम होगा। गाड़ी में साइड मिरर लगवाकर मृणाल ने मुझे अपने घर छोड़ दिया था। मृणाल बहुत उदास थी ;मैंने उसे समझाया भी कि जो भी हुआ उसे भूल जाए।", स्कूल फ्रेंड फूट -फूट कर रोने लग गया था।
रमन ने उसे पानी पिलाया और थोड़ा वक़्त दिया। कुछ समय बाद स्कूल फ्रेंड ने कहा कि ,"सर,आप मेरे साथ उस मैकेनिक के पास चलिए। "
पुलिस के साथ स्कूल फ्रेंड को देखकर मैकेनिक ने सारा सच उगल दिया था। मैकेनिक को पुलिस के द्वारा एक अवयस्क लड़की का शोषण करने के लिए पोस्को एक्ट के अंतर्गत गिरफ्तार कर लिया गया।
"सुनील जी ,आपकी बेटी ने आत्महत्या ही की थी ,लेकिन उसके जिम्मेदार आप हैं ।", रमन ने सुनील और भुवना को बताया ।
"क्या बकवास है ?",सुनील ने कहा ।
" आपकी बेटी ने खिड़की का शीशा तोड़कर उससे हाथ की कलाई काटी और दर्द से वह चिल्लाये नहीं ,इसीलिए उसने अपना मुँह भी कसकर बंद कर लिया था। आपकी बेटी पूरी रात तड़पती रही और फिर उसकी मृत्यु हो गयी।", रमन ने कहा।
