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Richa Baijal

Drama

3.5  

Richa Baijal

Drama

डिअर डायरी : डे ३

डिअर डायरी : डे ३

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डिअर डायरी : डे ३  27.03.2020

इंडिया में कुल कोरोना पॉजिटिव केस ८५० हो गए हैं। हर दिन १०० के नंबर में बढ़ रहे हैं कोरोना पॉजिटिव। ऐसे में किसी एक जिले के लोग अगर ये समझ कर संतोष कर लें कि हमारे जिले में एक भी पॉजिटिव नहीं है तो हम सुरक्षित हैं, इससे बड़ी बेवकूफी कोई नहीं होगी । लेकिन लोगो की  मानसिकता यही है," हमे कुछ नहीं हो सकता "। उनके इसी विश्वास को तोड़ रहा है "कोरोना "। ऊन के गोले में सलाइयां भरी हों खूब सारी जैसे ; कुछ ऐसी आकृति है इसकी। सरकार ने रहत पैकेज का ऐलान कर दिया है। शिरडी ने ५१ करोड़ महाराष्ट्र सरकार को दिए हैं ;कभी कभीविस्मय होता है कि ट्रस्ट के चंद लोग ये करोड़ों की राशि एकत्र करके बैठे हैं,जिसका भारत की इकॉनमी में वैसे कोई योगदान नहीं होता। अति विस्मयपूर्ण है हमारा समाज !!

कपिलशर्मा ने ५० लाख दान किये हैं। सरकारी कर्मचारी चाहे या न चाहे, उसकी सैलरी तो सरकार काट ही लेगी। ऐसे में जब करोड़ों रूपया पानी की तरह बह रहा है ; जेबें भरने वाले भी खूब मिलेंगे आपको। और इस सब से बचना चाहते हो तो अपने परिवार के पास सुरक्षित रहो। लेकिन फिर वही बात आ जाती है सोशल डिस्टन्सिंग की। जिसके लिए सरकार आपको हाथ जोड़कर मना कर रही है। हम सोच लेते है कि परिवार तो हमारा अपना है,इनसे क्या डर ? लेकिन उनको भी सुरक्षित करना है और उन

के साथखुद भी सुरक्षित रहना।

जानती हूँ, बहुत मुश्किल है २१ दिन अपनी माँ की गोद में न सो पाना, उनके पास जाकर उनके गालों को चूमना, पापा को हग करके उनको वो "मैं हूँ न " का इत्मीनान देना। बीवी से लिपट कर सोने का एहसास याद आएगा और बच्चे को चूम न सकने का गम सताएगा। पर यही करना है आपको.....अगर कोरोना से बचना है तो। सरकार तो एक मीटर की दूरी बनाने को कह रही है और हम अपनों को छूने को तरस रहे हैं। बड़ा ही मुश्किल दौर है। लोगो को अब पशुओं की पीड़ा समझ में आ रही है ; वो बेज़ुबान जो कुछ बोल नहीं पाते। लग रहा है जैसे प्रकृति इन्साफ कर रही हो।

बेहद मुश्किल है इस वक्त का कटना। मैं ऑनलाइन लूडो खेल रही हूँ, दोस्तों से ऑनलाइन बातचीत कर रही हूँ। और अपने ख्यालों को यहाँ इस " डियर डायरी " के माध्यम से व्यक्त कर रही हूँ। कुछ लोग निश्चिन्त हैं, तो कुछ परेशान। सरकार खाने के पैकेट बाँट रही है। अब तक अपने पुलिस वालों को लोगों की पिटाई करते देखा होगा, आज वही पुलिस वाले बड़े प्यार से जनता की सेवा कर रहे हैं। भावुक हो रहे हैं, रो रहे हैं, पर अपनी ड्यूटी पर तैनात हैं । न्यूज़ के आंकड़े दिल की धड़कन बढ़ा देते हैं और अपनों का साथ वास्तविकता को भुला देता है। सोचा नहीं था कि सड़कों का सूनापन देखना होगा, सोचा नहीं था कि अपनों को ऐसे तड़पते देखना होगा, सोचा नहीं था कि मौत खांसी ज़ुकाम बन कर आएगी। 

कल मिलते हैं,डिअर डायरी ......गुड नाइट।


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