डायरी 21 दिन --मंथन
डायरी 21 दिन --मंथन


लूडो के गेम का नियम है जो गोटी घर के अंदर रहती है उसे कोई नहीं मार सकता। यही परिस्थितियां आज हमारी हैं, हम भी घरों में बैठे हैं, कोरोना के भय से, उसके प्राणघातक वार से बचने और ठीक भी है, संकट की घड़ी में स्वयं ही निर्णय लेना है कि क्या सही है क्या गलत।
"मैं घर में रहते बोर हो गया हूँ, कुछ देर के लिए बाहर हो आता हूँ "
"जरूरत क्या है, बाहर जाने की "
"कुछ सामान लाना हो तो बताओ "
"वो मैंने महीने के शुरू में ही सब लाकर रख छोड़ा है "
"थोड़ा बच्चों को घूमा लाऊं गार्डन में "
"नहीं बच्चे घर पर ही खेल रहे हैं "
"फिर मैं ही टहल कर आ जाता हूँ ।"
"तुम मानते क्यो नहीं, बाहर जाने की मनाही है "
"तुम कैसे घर पर रह जाती हो "
"क्योंकि हम औरतें है, सारी सृष्टि का भार हम पर है, हम में धैर्य है, हम में सहनशीलता है हर प्रकार की कठिनाइयों का सामना करने की "
"मैं लॉक डाउन में इतने दिन घर नही रह पाऊंगा शायद "
"पर हमारी नियति ही है यह, हम हमेशा से लॉक डाउन हैं घर पर, क्योंकि हम औरत हैं, जब औरतें लॉक डाउन रहती हैं घर पर सुरक्षित रहती हैं इसी से कोरोना महामारी से सबको बचाने लॉक डाउन का निर्णय लिया गया है।"