दबी हसरतें
दबी हसरतें
माँ आज फिर आप मुझे रह रह कर याद आ रही हो पता नहीं क्यों जब भी मेरा मन दुःखी होता है तो आपकी ही सबसे ज़्यादा याद आती है ।आप तो मेरी आंखों में एक आंसू भी नहीं देख पाती थीं।पता नहीं क्यों भगवान ने आपको इतनी जल्दी मुझसे छीन लिया। मैं जब भी किसी बेटी को अपनी माँ से बातें करते हुए देखती हूं तो सोचती हूं काश मेरी मां भी ज़िंदा होती तो उन्हें यह बताती, वह बताती ।उनके गले में बाहें डालकर झूल जाती, उनकी गोदी में सिर रखकर लेट जाती। माँ । .... भले ही आप इस दुनिया में विद्यमान नहीं है पर मेरे साथ आपकी यादों का साया सदैव रहता है और जो डायलॉग और मुहावरे आप इस्तेमाल करती थीं वो अब मेरी ज़ुबान पर रहते हैं।
अभी कल की ही बात है अपने बेटे को कोचिंग के लिए कोटा भेजने की बात चल रही थी तो मुझे फिर आपका ध्यान आ गया ।आप भी तो मुझे अच्छी से अच्छी कोचिंग दिलवाना चाहती थीं ताकि मेरा आईआईटी में सिलेक्शन हो सके। इसके लिए आप हर महीने कमेटी भी डालती थीं ताकि एक साथ इकट्ठा पैसा मिल सके ।मैं आज भी भूलती नहीं उस बात को जिस महीने मुझे बाहर जाना था इस महीने की कमेटी मिसेज़ वर्मा की निकली थी और आप उनसे रिक्वेस्ट कर रही थीं कि इस बार की कमेटी का पैसा मुझे दे दें और जब मेरी निकलेगी तो आप ले लेना और मिसेज़ वर्मा ने साफ मना कर दिया था ।उस समय मेरे मन में शूल चुभ गया था सोचती थी बस ज़रा पढ़ लिख कर नौकरी करने लगूं तो आपको किसी के सामने गिड़गिड़ाने नहीं दूंगी ।आज मैं 22 लाख रुपए साल का पैकेज ले रही हूं पर सब बेकार लगता है मैं तो अपने मन की कर ही नहीं पाई।
माँ आपने कभी भी अपने लिए नहीं सोचा अपनी ज़रूरतों को सदैव पीछे ही रखा पर मुझे कभी भी किसी चीज़ की कमी महसूस नहीं होने दी। दूसरी औरतों की तरह आपको कभी ब्यूटी पार्लर भी जाते नहीं देखा पर पड़ोस में रहने वाली मेहता आंटी आए दिन पार्लर जाती थीं और आए दिन नई नई साड़ी भी खरीदती थीं और शायद आपको चिढ़ाने के लिए साड़ियों को दिखाने भी आ जाती थीं और साथ ही साथ आपको ताना भी मार जाती जी कि पता नहीं कैसे आप सात-आठ साड़ियों में ही अपना काम चला लेती हो। मेरा जी करता था कि मेहता आंटी को मुंहतोड़ जवाब दे दूं पर आपके दिए अच्छे संस्कार मुझे ऐसा करने से रोक देते थे ।और बस यही सोचती थी कि जल्दी से किसी लायक हो जाऊं और अपनी माँ के लिए साड़ियों का अंबार लगा दूं, अपनी माँ को हर खुशी दूं, हर सुविधा दूं और तब कोई मेरी माँ को कुछ भी सुनाने की हिम्मत नहीं कर पाएगा।
आज मैं खुद एक माँ हूं पर आप की जैसी माँ नहीं बन सकी जितनी ममता एवं प्यार आपने मुझपर लुटाया शायद उतना प्यार मैं अपनी औलाद को भी ना दे सकी।आपने हर तरह से मेरा ख्याल रखा। रात रात तक पढ़ती मैं थी पर बिना बात जागती आप थीं। कभी मेरे मुंह में संतरे की फांक छीलकर खिलातीं, कभी बादाम का छौंका ले आतीं, तो कभी सारे मेवे की मिली-जुली पंजीरी खिला देतीं। इतना ही नहीं मेरे लिए तरह-तरह की हेल्पिंग बुक भी लेकर आती थीं और नोट्स बनाने में भी मेरी कितनी हेल्प करती थीं। आप ने कभी मुझसे घर का काम भी नहीं करवाया आप खुद ही अकेले सारे काम करती रहती थीं। आज मैं अपनी ससुराल में सब का काम करती हूं और इस बात को बहुत महसूस करती हूं कि मैंने अपनी माँ को कभी आराम ही नहीं दिया। काश माँ आप एक बार मुझे मिल जाओ मैं अपनी दबी हसरतें पूरा करना चाहती हूं ।आपको हर ऐशो आराम देना चाहती हूं अपना बचपन एक बार फिर जीना चाहती हूं।