ना करो इतना पराया

ना करो इतना पराया

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मम्मी, जल्दी से इधर आओ देखो चाचू को क्या हो गया है, शिवि ज़ोर से चिल्लाई।

शिवि की आवाज़ सुनकर आशी रसोई का काम छोड़कर तेज़ी से कमरे में गई ।उसने देखा उसके देवर मोंटू के मुंह से झाग निकल रहे थे और सारा शरीर अकड़ सा गया था और मुंह से भी घूं- घूं की आवाज़ आ रही थी। आशी उनकी ऐसी हालत देखकर एकदम घबरा गई और तुरंत डॉक्टर को फोन किया।

आज ही तो उसके सास-ससुर एवं उसके पति शहर से बाहर एक शादी में गए हैं। मोंटू भी शादी अटेंड करने ही अपने हॉस्टल से आया था पर तबियत ठीक महसूस ना करने के कारण घर पर ही रुक गया था। थोड़ी सी देर में ही डॉक्टर साहब आ गए उन्होंने मोंटू को देखकर बताया कि इन्हें मिर्गी का बड़ा दौरा पड़ा है ,आप इन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती करवा दें , वहां इनकी अच्छी तरह से देखरेख हो जाएगी।

तुरंत ही एंबुलेंस मंगवा कर उसने उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट करवा दिया।उसने सोचा कि अपनी सास को भी इन्फाॅर्म कर दूं पर फिर उसे ख्याल आया कि मम्मी जी कितने साल बाद अपने मायके में जा पायी हैं।वो कितना खुश थीं।अब अगर उन्हें मोंटू की तबियत के बारे में बताऊंगी तो परेशान भी हो जायेंगी और घर लौटने की जल्दी मचा देंगी। वैसे भी डाॅक्टर ने ही देखना है अस्पताल में तो फिर उन्हें क्यों तंग करना,यही सोचकर उसने ना बताने का ही फैसला लिया। अब उसका एक पैर हॉस्पिटल में तो एक पैर घर में होता ।तीन दिन बाद उसके देवर को छुट्टी मिली। उसी दिन उसके सास-ससुर और पति भी शादी से वापस आ गये। आशी ने उन्हें सारा किस्सा सुनाया और फिर वह उनके लिए चाय नाश्ता बनाने चली गई।

वह अभी थोड़ी दूर ही गई थी कि अपनी सास की आवाज़ उसके कानों में सुनाई पड़ी जो उसके पति से कह रही थीं कि जो बात आज तक आशी से छुपा कर रखी कि मोंटू को मिर्गी के दौरे पड़ते हैं वह बात भी आज आशी को पता चल गई। अब मोंटू की शादी में बड़ी दिक्कत आ जाएगी। आशी है तो पराए घर की ही, वह हमारी बात को छिपा कर क्यों रखेगी? सारे जगत में ढिंढोरा पीट देगी।

आशी उनकी बात सुनकर हैरान थी। वह सोचने लगी कि मैं ससुराल के प्रति पूरी तरह से समर्पित हूं फिर भी मेरे बारे में ऐसी सोच रखी जाती है ।उसे याद आया कि दो साल पहले जब उसके जेठ ने कई लाख रुपए का गबन कर लिया था तो सब घर में आपस में खुसुर फुसुर करते एवं परेशान होते घूम रहे थे पर उसके पूछने पर भी किसी ने उसे कुछ नहीं बताया था। उस बात का पता उसे अपनी सहेली से लगा जो उसके जेठ के ऑफिस में ही काम करती थी। उसी ने बताया था कि पैसे जमा न करने की दशा में उसके जेठ को जेल भी भेजा जा सकता है। तब अपनी ससुराल की इज़्ज़त बचाने की खातिर उसने अपने अकाउंट से एक बड़ी रकम अपने पति के हाथ में रख दी थी और बोली थी कि घर की बात मुझे बाहर के लोगों से पता चली क्या ये अच्छी बात है। ये बात सुनकर उसके पति उससे आंख चुराने लगे।उसके जेठ उसके द्वारा दिये गये पैसों की मदद से ही फिर जेल जाने से बच पाए थे।

वो सोचने लगी बहू तन, मन, धन से ससुराल के प्रति समर्पित रहे ये तो सब चाहते हैं पर घर के मामलों में उसकी सलाह और घर के राज़ से उसे दूर रखकर उसे पराया ही समझा जाता है।

वह सोचने लगी शादी से पहले जब वह अपने मायके में रहती थी तो वहां भी वह तन, मन, धन से पूरी तरह घर वालों के लिए समर्पित थी पर उसे सदैव पराया धन ,पराई अमानत ही समझा गया ।जब कभी कहीं से लौटने पर उसे देर हो जाया करती तो मां चिल्लाया करती थीं टाइम से घर आया कर,परायी अमानत है, बस तुझे इज़्ज़त से ससुराल विदा कर दूं तो मैं गंगा नहाऊं। किसी शौक को पूरा करने की बात कहती तो मां कहती थीं अपनी ससुराल जाकर करना अपने शौक पूरे वही तेरा असली घर है, तब उसके मन में यही आता था कि शादी के बाद उसे अपना घर मिलेगा जहां कोई उसे पराया नहीं समझेगा पर अब उसे समझ में आया कि ना तो मायका ही उसका, ना ससुराल ही उसकी। पर उसने अपने मन में दृढ़ निश्चय कर लिया था कि वह अपनी बेटी को कभी भी परायी अमानत समझकर नही पालेगी ।उसके सारे शौक भी पूरे करेगी।उसकी शादी के बाद उसके लिए मायके को पराया भी नहीं होने देगी।

"अरे चाय बन रही है या बीरबल की खिचड़ी "अपने पति की आवाज़ सुनकर आशी की तंद्रा भंग हुई और वह "अभी लाई" कहकर चाय कप में पलटने में लग गई।


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