दाल का दुल्हा
दाल का दुल्हा
"रिमझिम गिरे सावन,सुलग - सुलग जाए मन...कैसी ये अगन"...
नेहा बोली -"आज तो ये रेडियो कार्यक्रम, उफ़ मजा आ गया।सारे गाने मेरे पसंदीदा है।मेरा तो दिल खुश हो गया।"
थोड़ी देर बाद रवि(नेहा का पति) को आवाज लगाई "ए जी ! सुनते हो!"
रवि बोला "शादी से पहले कम सुनता था,अब बिल्कुल बहरा हो चुका हूं"(हंसता है)
नेहा बोली "पगला गए हैं क्या?"
शादी तो लव मैरिज हुई इनकी मगर पागलपन का स्तर एक ही है दोनों का,मगर हां दिल के बहुत साफ है दोनों। शादी के एक महीने के भीतर ही रवि का तबादला दिल्ली हो गया और नेहा भी दिल्ली आकर बस गई।चाल ढाल नेहा की अब भी वही बनारस वाली है।
रवि आफिस जाने के लिए तैयार हो रहा था। कपड़े पहन कर जैसे ही वो तैयार हो कर बाहर किचन की ओर जाने लगा।
नेहा बोली"आपका टिफिन तैयार है,ले जाइए"
रवि बोला"रोज रोज रोटी और परांठे खा खा कर पेट दर्द हो गया है, तुम कुछ अलग बनाओ मैडम जी!"
नेहा बोली"वो तो टिफिन टाइम में पता चलेगा सर जी!"
रवि चाय पी कर निकल ही चुका था कि नेहा बोली "बस बहस करवा लो, काम की बातें तो याद रहेंगी नहीं।"
नेहा ने जोर से अपनी ओर रवि को खींचा और बोली, "कुछ भूल गए, आप ?"
रवि ने उसे अपनी बाहों में भर कर कहा "अब आपके सिवा कुछ याद ही नहीं रहता"
नेहा ने छतरी और बरसाती की तरफ इशारा किया और बोली"अब फिर से बस छूट गई, तो मुझ पर मत चिल्लाना"
रवि ने घड़ी की ओर देखा और बोला"ओ तेरी,आज फिर... अच्छा बाय"
नेहा अब फ्लैट में अकेली हैं, रेडियो की आवाज थोड़ी और तेज कर देती है।ये रेडियो ही उसकी अकेलेपन का साथी है।नेहा कभी-कभी बाजार जाती थी,आज घर में सारी सब्जियां खत्म हो गई है, लेकिन आज इतनी तेज बारिश हो रही है,वो घर से बाहर नहीं जा सकी।आज उसे रवि की फरमाइश भी पूरी करनी है। नेहा सारे दिन इसी सोच में डूबी है,कि आज ऐसा क्या बनाएं।थोड़ी देर बाद सासू मां का फोन आता है।सासू मां घर के हाल चाल पूछती हैं और बहू को याद दिलाती है कि दो दिन बाद हरियाली तीज है। ये नेहा की पहली तीज होगी,वो अच्छे से अपना पहला तीज मनाना चाहती है।
नेहा सोचती हैं कि त्यौहार के लिए तो बहुत सारी चीज़ें चाहिए देखूं क्या होता है।
दोपहर में नेहा, रवि को फोन करती है, लेकिन रवि फोन नहीं उठाया। नेहा को थोड़ा अजीब लगा पर उसने ध्यान नहीं दिया।शाम हो चली थी, वैसे तो रवि ७ बजे तक आ जाता था लेकिन आज ८बज रहे थे। नेहा ने फोन लगाया तो फोन व्यस्त बता रहा था।नेहा चुपचाप खिड़की के पास खड़ी थी, अचानक से जैसे उसे किसी ने पीछे से कस कर पकड़ लिया। नेहा चिंता में मग्न थी, इसलिए जैसे ही उसे ऐसा लगा कि किसी ने उसे पकड़ा तो वो बिल्कुल सहम गई।
पीछे मुड़कर देखा तो वो रवि था, नेहा उसके गले से लग गई।
रवि ने आहिस्ते से कहा "अपनी आंखें बंद करो मैडम जी!"
नेहा ने अपनी आंखें बंद कर ली।रवि उसे टेबल के पास ले आया और बोला"अब आंखें खोलो"। नेहा ने तेज़ी से आंखें खोली तो देखा कि उसके सामने तीज का सारा सामान रखा है कपड़े, चूड़ियां पूजा का सामान और मिठाइयां।
नेहा ने पूछा"तुम्हें कैसे पता चला कि तीज में इतने सामानों की जरूरत होती है।"
रवि बोला "मुझे मां ने बताया"
नेहा खुशी के मारे रोने लगी, रवि ने उसे कस कर पकड़ा और अपने गले से लगाया।रवि बोला "तुम्हारा तो रो कर पेट भर चुका,अब मेरी थोड़ी चिंता करो और कुछ खाने को दे दो जल्दी ।आज मैं दोपहर को भी कुछ खा नहीं पाया।मेरे साथियों ने मेरा सारा टिफिन खत्म कर दिया था।शाम को खरीदारी में लगा रहा तो कुछ खाने का समय ही नहीं मिला।"
नेहा बोली"अब तुम आंखें बंद करो,जल्दी से"
रवि ने आंखें बंद कर ली और जब नेहा ने आंखें खोल देने को बोला तो उसने आंखें खोल कर देखा कि सामने *"दाल का दुल्हा" (*ये दाल की बनी हुई बेहद साधारण परन्तु पौष्टिक भोजन है, जिसमें लहसुन और जिरे कि छौंक पड़ती है। यूपी, बिहार में इसे शौक से खाते हैं) लगा हुआ है।रवि का दिल खुश हो गया और उसने नेहा को प्यार से चूम लिया दोनों ने एक दुसरे को अपने हाथों से खिलाया।
रात ज्यों-ज्यों गहराती गई बारिश उतनी ही ज्यादा तेज होती गई।रवि ने नेहा से कहा "ये तीज और तेज बरसात दोनो मुझे उम्र भर याद रहेंगी।"सावन जब आग सुलगा दे तो उसे सिर्फ सावन ही बुझा पाती हैं। रेडियो पर गाना बजता हुआ" सावन जब अगन लगाएं...उसे कौन बुझाएं"रवि और नेहा कि ये सावन की रात और लंबी और गहरी और सम्मोहक होती जाएं।रिश्तों को सावन यूं सींचे कि प्रेम के ये पौधे वृक्ष बन जाएं।

