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Praveen Gola

Romance

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Praveen Gola

Romance

चोरी - चोरी

चोरी - चोरी

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तुझे याद करते हैं ....

दिल ही दिल में

कहीं चोरी - चोरी कुछ बीते पलों की

अपनी यादें थोड़ी - थोड़ी।


जब सर्दी में थे तुम आते

हम ठंडे ज़िस्म से थे घबराते

तब छुपते थे तुम्हारे संग 

गर्म बिस्तर की तनहाई में चोरी - चोरी।


गर्मी में जब पसीना

आता हमारा बदन तब घबराता

तुम्हारे संग फिर बिन शरमाये

हम इस ज़िस्म को हवा लगायें चोरी - चोरी।


सावन आये जब मतवाला

तब मेरे तन का तू ही रखवाला

दूर आम के बगीचे में

लिपटे ये तन भीग बारिश में चोरी - चोरी।


तुझे याद करते हैं ....

दिल ही दिल में कहीं चोरी - चोरी

कुछ बीते पलों की अपनी यादें थोड़ी - थोड़ी।


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