चलना ही जिंदगी
चलना ही जिंदगी
बेबी मौसी परिवार सहित बाईक पर किसी विवाह में जा रही थी, अचानक ही ट्रक तेजी से आने से दुर्घटना का शिकार हो गई, उसे व बेटी को चोट ज्यादा लगी।
शीघ्र ही उपचार हेतु अस्पताल पहुंचाया, जहां उसकी चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी के साथ ही सिर- पैरों की सर्जरी की गई एवं बेटी के पैरों का उपचार हुआ। इसके बावजूद उसके पहले शब्द" मेरे बच्चे-पति ठीक हैं"।
डॉक्टर ने उसे छड़ी के सहारे से चलने की सलाह दी, पर मौसी स्वयं की हिम्मत से ही चल रही है ,बच्चों हेतु जीने की प्रबल इच्छाशक्ति जो थी।