चाबी
चाबी
आज सुबह सुबह जब सो कर उठी तो देखा एक कमरे का दरवाजा अंदर से ऑटो लॉक हो गया है।
बहुत कोशिश करने के बाद भी जब नहीं खुला तो थक हार कर चाबी बनाने वाले को फोन किया। उसने घर पहुंचते ही कहा ताला खोलने का ₹750 लूंगा। काम सिर्फ 5 मिनट का था । उसने धातु की एक प्लेट लेकर पहले ताले को दरवाजे से दूर किया फिर एक तार डालकर ऑटो लाॅक खोल दिया । लेकिन उसने कहा यह काम मैं ही कर सकता हूं, आप नहीं कर सकते, फिर मैं जो मांग रहा हूं वही आपको देना होगा।
क्या न करती मजबूरी थी सो हाँ कर दी, लेकिन उसके इस वाक्य में किसी की मजबूरी का पूरा-पूरा फायदा उठाने की बू आ रही थी।
उसके इस वाक्य ने मेरे सामने एक प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया कि आपकी किसी भी क्षेत्र में पारंगतता दूसरों की मुसीबत का फायदा उठाने के लिए होनी चाहिए ? या उनकी मुसीबत में सहायक बनने के लिए ?