Kunda Shamkuwar

Abstract Tragedy Others

4.8  

Kunda Shamkuwar

Abstract Tragedy Others

बुत नहीं जागेंगे

बुत नहीं जागेंगे

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कुछ दिनों से शहर में सब तरफ एक अजीब सा ख़ौफ़ का माहौल पसरा हुआ था।इन्ही मोहल्लों में पहले लोग मिल बाँट कर रहते थे।लेकिन आजकल एक दूसरे को शक की निगाहों से देखने लगे है और तो और अब एक दूसरे से नज़रे मिलाने से भी डरने लगे है।

आज सुबह बेटी को कॉलेज छोड़ते हुए वह ऑफ़िस आया था।दोपहर में काम के बीच उस के कलीग ने उसे घर में फ़ोन करने को कहा।

वह उसका बहुत पुराना कलीग था।

उसने पूछा,"क्यों,क्या हुआ?" "नहीं,कोई खास बात नहीं है।बस एक बार घर में फ़ोन करके हाल चाल जान लो।" उसके लहजे में चिंता झलक रही थी।मैंने कुछ घबराहट से दोबारा पूछा।बिना कुछ कहे उसने मेरी तरफ अपना मोबाइल बढ़ाया जिस में कोई न्यूज़ चल रही थी और न्यूज़ एंकर तेज तेज आवाज में बोले जा रही थी।शहर के एक बस्ती में दंगा भड़का हुआ है और लोग मारे जा रहे है।चारों ओर आगजनी और अफरातफरी का माहौल है और भी न जाने क्या क्या कहे जा रही थी।

मेरे एरिया में दंगे भड़के हुए थे और वहाँ की खबरें टीवी पर चल रही थी।मेरे हाथ से फ़ोन छूटते छूटते बचा।मेरे उस कलीग ने फ़ौरन ही मुझे गले लगाया।शायद वह मुझे आश्वस्त करने की एक नाकाम कोशिश कर रहा था।  

बेटी की चिंता में मन ही मन मैं भगवान को याद करने लगा।इतने देवी देवता होने के बावजूद पता नहीं मैं क्यों असहाय महसूस कर रहा था।न्यूज़ चैनल में दंगों की ख़बरें लगातार दिखायी जा रही थी।मेरा शहर,एक हँसता बसता शहर राख के ढेर में तब्दील हो रहा था और घर के घर राख होते जा रहे थे। 

मुझे बेटी की चिंता होने लगी।अनायास ही मेरी नजर घड़ी की ओर गयी।उसका कॉलेज से घर वापसी का टाइम हो गया था।मैंने उससे बात करने के लिए फ़ोन की तरफ हाथ बढ़ाया। फ़ौरन मुझे लगा की मैं यह क्या कर रहा हूँ? वह तो डर कर बदहवास हो जाएगी।फ़ौरन ही मेरे दिमाग ने मेरे दिल का कन्ट्रोल अपने हाथ में ले लिया।मैंने उसे फ़ोन करके पूछा,"तुम्हारा कॉलेज खत्म हो गया है क्या? मैं उधर कोई काम से आ रहा था तो सोचा कि तुम्हें लेता चलूँ।"

वह मेरी बेटी थी।उसने मेरी आवाज़ का कम्पन शायद भाँप लिया।मुझसे कहने लगी,"पापा, आप फ़िक्र ना करे।मैं घर सही सलामत चली जाऊँगी।"

"बेटी अपना ख्याल रखना,भगवान तुम्हारी रक्षा करेंगे।" मुझे मेरे शब्दों के खोखलेपन का अहसास हुआ।इतने आगजनी और दंगे में कौन बाहर आएगा? लोग अपने अपने घरों में दुबक कर बैठें होंगे और जो भी कुछ कर सकते थे वह बुत बनकर बैठे है।

आपने बुतों को जागते हुए या कुछ करते हुए देखा है कभी? नहीं न? बुत कल तक कभी जागे नही थे वह आज क्यों जागेंगे भला?

ना कभी बूत जागते है और ना कभी आगे भी जागेंगे...


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