बटुआ
बटुआ
दादी आपकी और दादू की एक भी तस्वीर क्यूं नहीं है जिसमे दादू ने आपके कंधे में हाथ रखा हो ?
मम्मी पापा की तो हर तस्वीर वैसी है।
आप दोनों तो एकदम सावधान होकर खड़े हो हर तस्वीर में। क्या बेटा तू भी मज़ाक उड़ा रहा है ना मेरा।
नहीं नहीं दादी सच में देखो ये तस्वीर और ये भी सब एक जैसी ही है और हर तस्वीर में आप दोनों गुस्से में लग रहे हो लगता है फोटोग्राफर ने ज़बरदस्ती खींचवाई हो।
रुक तू एक मिनट मैं अभी आई ,अरे दादी ये तो दादू का बटुआ है जो आप हम में से किसी को खोलने नहीं देती और अपने आज तक संभाल के रखा है।
हां बेटा तेरे दादू को गुज़रे तो सालों हो गए मगर ये बटुआ मैंने आज तक संभाल कर रखा है जानता है क्यों,क्यूंकि इससे हमारी यादें जुड़ी हुई है।
तेरे दादू को शादी में मिला था ये हमारी तरफ से और तब से दादू ने संभाल के रखा था ये। जब भी कोई यादगार पल होता हमारी ज़िंदगी में वो इस बटुए में कैद कर लेते।
जैसे ये हमारी पहली सिनेमा की टिकट और ये देख तेरे पापा जब पैदा हुए थे तो उसके अंगूठे का निशान।
अरे दादी आप तो छुपिरुस्तम निकली ये तस्वीर कहा छुपा कर रखी थी आपने ?
क्या बात है दादी दादू ने इसमें आपको गोद में उठा रखा है।
वाह वाह रोमांटिक। ये पक्का आपके हनीमून की तस्वीर है ना।
हां हां बेटा पर अब जल्दी से इसे अंदर रख दे ये सब मैंने आज तक सबसे छुपा कर रखा है।