Sheela Sharma

Inspirational

3.5  

Sheela Sharma

Inspirational

बस यही एक प्रार्थना

बस यही एक प्रार्थना

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 वायु सेना दिबस के समारोह में अग्रिम स्थान पर बैठी हुई शुभांगी के चेहरे पर आज अलग से चमक छाई हुई थी। उसने आज जता दिया था कि नारी एक मूर्ति नहीं जिसे चाहे जब किसी भी साँचे में ढाल दिया, वह इंसान है उसमें भी कुछ ख्वाहिशें हैं, कुछ इच्छाएं हैं जिनका सम्मान सबको करना होगा, ऐसे कई मिश्रित भाव गर्व के, खुशी के उसके चेहरे पर आ जा रहे थे।

किसी भी व्यक्ति की जिंदगी में आत्मसंतुष्टि से बढ़कर कुछ भी नहीं है और उसने तो होश सम्हालते से अपने जीवन में हर भाव पर प्रश्नचिन्ह देखें।

तुम लड़की होःः लड़कों से बराबरी करना ठीक नहीं, जब छोटी थी तब खेल-खेल में यही सुना। जब थोड़ी बड़ी हुई तो 

लड़की हो शाम को अकेले बाहर जाना ठीक नहीं सुनने को मिला ।थोड़ी और बड़ी हुई तब,

 लड़की हो, घर के कामकाज सीखो न कि लड़कों से मेल मिलाप मेलजोल।

उसका कैरियर जब शुरू हुआ तब भी उसकी राय पूछने के बजाय उसे फरमान मिला ना पुलिस ना आर्मी ना वकील।  

लड़की होःः तो डॉक्टरी ही ठीक है। 

आखिरकार वह डाक्टर बन गई शुक्र है कि कम से कम किस्मत ने यहाँ नहीं रोका, पर प्रश्न चिन्ह अभी खत्म नहीं हुए थे।कहीं अकेली जाए तो प्रश्नचिन्ह पति क्यों नहीं साथ में, थोड़ी देर हो जाए तो घर वालों के चेहरे पर प्रश्नचिन्ह। तंग आ गई थी उन्हीं प्रश्नों से?

 उसे लगने लगा था भले ही भाषा में संभावना और संभावनाओं का विस्तार करते हैं पर किसी के जीवन में यह अंकुश से कम नहीं है।

  कभी कभी उसके मन की हलचल कहती मैं परिवार की सूत्रधार, रिश्तो को माला में पिरौती, हर संबंधों को स्नेह से सींचती, अनेक रूपों में ढलती, जीवन के हर दृश्य में अपना पात्र बदलती, पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार का अंश बढ़ाती, जिंदगी के पटाक्षेप में अंधकार में खड़ी हर पात्र का परिचय देती मैं जिस ने धरती पर स्वर्ग बसाने की जी तोड़ कोशिश की है। यह कैसी विडंबना है, एक स्त्रीके, पाषाण रुप को करबद्ध श्रदधा पूर्वक नतमस्तक होकर लोग पूजते हैं और उसी के हाड़माँस से बने इस शरीर की इतनी अवहेलना क्यों ?

  उसने जब अपनी बेटी को जन्म दिया। उसी समय दृढ़ संकल्प कर लिया था कि कुछ भी हो जाए उसकी बेटी इन प्रश्नों का सामना नहीं करेगी जो उसने सिर्फ इस बात के लिए सुने हैं कि वह एक लड़की थी, और आज एक औरत है। उसने अपनी बेटी का नाम उत्तरायणी रखा यही सोच कर कि उसकी बेटी अब सभी प्रश्नों का उत्तर देगी।

उसके मजबूत इरादों की उड़ान ने कब उसकी बेटी को पंख लगा दिए पता ही नहीं चला। आज उसकी बेटी एयर फोर्स पायलट बन कर आकाश में अपने करतब दिखा रही है और जेट विमान से निकलते हुए धुएं में शुभांगी के सारे प्रश्न चिन्ह धूमिल होते उसे दिखाई दे रहे हैं।


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