थाप
थाप
यकायक नौकरी छूट जाने से संध्या स्वयं के अंधेरे में छुपे प्रश्नों के उत्तर तलाशती टूटने बिखरने लगी थी। अपने मन से विवश वह अपने आप को मकड़जाल में कैद निरीह मकड़ी की भांति छटपटाते महसूस कर रही थी। वह करे भी तो क्या ? जिंदगी में इतनी भागदौड़ करने के बावजूद उसे इस तनाव से गुजरना पड़ रहा है। दादा जी उसकी दशा भाँपते हुए समझाने लगे ""यह बता बिटिया आज मानसिक तनाव किसे नहीं है ? किसी को बच्चे को लेकर, माता पिता को बेटी बेटे की शादी को लेकर, किसी को नौकरी का।"" पर दादा जी मुझे लगता था दुनिया मुझसे बहुत आगे है और अब तो बेकार,निरापद और भी अपने आप को पिछड़ता महसूस कर रही हूं।अंधेरों में उजालों में सरगोशियां करता मन कभी गुब्बारे सा फूलता तो कभी भीगे तौलिए सा निचुड़ जाता मैं क्या करूं" ? "बस बस बिटिया ! अपने मन की बात मत सुनो। प्रफुल्लित होना तो पलभर में दुखी होना ,टूटना, जुड़ना यह सब मन के खेल हैं।। इन पर तुम्हें अंकुश लगाना होगा। क्या तुमने जिंदगी में कभी पीछे मुड़कर देखा है ? देखो ! जिस पद पर अभी तक तुम कार्य कर रही थी वहां पहुंचना भी इतना आसान नहीं है। हरेक के बस की बात नहीं है यह।। आज नौकरी नहीं है तो क्या हुआ कल मिल जायेगा""।
""दादा जी मैंने इधर उधर बहुत हाथ-पैर मारे अब अपने
अपने आपको ईश्वर के भरोसे छोड़ दिया है ""। ""छोटी मोटी बातों से परेशान या अपनी कामयाबी की गुहार ईश्वर के आगे मत करो।यह तुम्हें शोभा नहीं देता। संध्या तुम जो काम कर रही हो उसी में जी जान लगा दो ,उस लक्ष्य को अपने जीवन में उतारो।तुम सोच भी नहीं सकती ऐसा करिश्मा होगा।तुम तो पढ़ी लिखी हो तुम्हें तो पता है ,ईश्वर केवल रास्ता दिखाता है चलना तो तुम्हें ही पड़ेगा। अपने हाथ की लकीरों को देखकर भी क्या तुम उन्हें बदल नहीं सकती "" ?
"अब मैं जिंदगी से ही हारने लगी हूं।मुझे लगता है मेरे साथ कोई नहीं है ""। "अपने आप में अकेलापन महसूस हो तो आईना देख लो क्योंकि जिंदगी में खुद से बड़ा कोई हमसफ़र नहीं होता।तुम्हें अपने आप ही अपना रास्ता चुनकर बढ़ना होगा उस रास्ते पर चलना ,फिर दौड़ना होगा।देखना दुनियाँ तुमसे कितनी पीछे रह जाएगी। तुम जो पाना चाहोगी वह मिलेगा।
मौत का तो पता नहीं। जब तक जियो दिल खोलकर जियो।देखो वक्त का कांटा एक-एक पल तुम्हें पीछे छोड़ रहा है। जाओ हर परिस्थिति को मुस्कुराकर पार करो ""
उसने तय कर लिया था मन -वन कुछ नहीं है।अब अपने मन की न सुनकर वह दादा जी की बातों पर कायम रहेगी। इस अटल विश्वास के साथ कमर कसते हुये जीवन पथ पर बढ़ने की चाह से उसके चेहरे पर हंसी दौड़ने लगी।