sushil pandey

Tragedy

5.0  

sushil pandey

Tragedy

बस ठीक नहीं वो पाला था

बस ठीक नहीं वो पाला था

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सुन नहीं क्यों पाये सिसकी ?

कान में ऐसा क्या डाला था ?

शपथ तुम्हे क्या याद न आई ?

जुबां पे ऐसा क्या ताला था ?

ऐसे नहीं वो मर गई तड़पकर,

दाल में कुछ तो काला था।

पर जिधर खड़े थे आप प्रभु,

बस ठीक नहीं वो पाला था।

सफदरजंग अस्पताल के Burn and plastic surgery department के मुखिया डॉक्टर सलभ कुमार ने बताया। रात 11:10 बजे उसे कार्डियक अरेस्ट आया हमने भरसक कोशिश की पर पीड़िता को बचाया नहीं जा सका, हम हार गये।

डॉक्टर ने सही कहा वो हार गये पर हारे वो नहीं थे हार तो उत्तर प्रदेश की समृद्ध और सख्त कानुन व्यवस्था गई थी असल में। जो अपने ही गोद में खेल कर बड़ी हुई बेटी की दर्द भरी सिसकियाँ नहीं सुन पायी समय पर।

हारे सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर नहीं थे, हार तो प्रदेश के हर बालिग और नाबालिग को सुरक्षा मुहैया कराने की शपथ लेने वाले हाकिम गये थे।

हां हारी वो नहीं थी बल्कि शिकस्त तो करोड़ो प्रदेश वासीयो के भरोसे को मिली थी जो मौजूदा सरकार की क्षमता पर कर लिया गया था।

शह जिंदगी से जंग लड़ रही पीड़िता को नहीं मिली थी बल्कि मात तो प्रदेश के मुखिया खा गये थे।

ऐसे जघन्य अपराध पर भी सुबे के रसद, खाद्य और आपूर्ति मंत्रालय के मुखिया धुन्नी सिंह कहते है कि 100% अपराध को तो भगवान श्रीराम भी खत्म नहीं कर सकते, मुख्यमंत्री जी जरा बताइये तो ये लोग पैदाइशी ऐसे हैं या कही प्रशिक्षण दिलवाया है आपने सरकारी खर्चे पर।

चुनाव जीतने के बाद साक्षी महाराज, कुलदीप सिंह सेंगर से मिलने जेल जाते है और बयान देते है कि कुलदीप सिंह जी हमारे यशस्वी विधायक हैं। श्रीमान मै परेशान इस बात से हूं कि क्या आपने भी नहीं बताया उन्हे कि कुलदीप सिंह सेंगर बलात्कार और कई लोगो की हत्या के मामले में पकड़ा गया है और जेल में अपने यशस्विता को भोग रहा है।

क्यों भला देते हो इनको,दरने दाल स्वयं के सीने में,

क्यों करते हो मुश्किल जीवन,स्वयं ही अपना जीने में।

पाल रखे हो क्यों सांपों को,जो सर पर हैं नाच रहे,

मार नहीं क्यों देते गोली, तुम खुद ही इनके सीने में।

आपने गुनहगारों को पकड़ लिया बहुत ही कम समय में ये खुशी की बात है अब उन्हे कठोरतम सजा भी मिल जायेगी पर हैरानी इस बात से होती है ऐसा क्या है कि व्यभिचारीयों में प्रशासन का डर घर नहीं कर पा रहा है ?

कहीं इसके लिए प्रशासन ही तो जिम्मेंदार तो नहीं है न श्रीमान।


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