Priyanka Gupta

Tragedy Inspirational

4.5  

Priyanka Gupta

Tragedy Inspirational

बस ,बहुत हुआ Prompt 31

बस ,बहुत हुआ Prompt 31

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"तुमने स्कूल का बिजली का बिल जमा करा दिया?" स्कूल से घर में घुसते ही रिद्धिमा ने अपने पति ऋषभ से पूछा।

"नहीं, आज जमा करवाना भूल गया" ऋषभ ने जवाब दिया।

"आज लास्ट डेट थी आज जमा नहीं करवाया तो, पेनल्टी के साथ जमा करवाना होगा। ऐसा करो तुम मुझे पैसे और बिल दे दो, मैं जब बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने जाऊँगी तब जमा करवा दूँगी" रिद्धिमा ने कहा।

"मैं करवा दूँगा न" ऋषभ ने कहा।

"मैं तो अभी जाऊँगी ही, आज झिलमिल को लेकर नहीं जाऊँगी। कल टेस्ट है उसका, तो घर पर रहकर ही पढ़ाई करेगी। तुम आज घर पर ही रुक जाओ।" रिद्धिमा ने कहा।

"तेरे बाप का नौकर हूँ क्या? घर पर क्यों रुकूँ? तू रुक जा" ऋषभ गुस्से से बोला।

ऋषभ द्वारा गुस्सा किये जाने के कारण रिद्धिमा समझ गयी थी कि हमेशा की तरह ऋषभ ने पैसे इधर-उधर उड़ा दिए हैं .अपने गुस्से पर नियंत्रण रखते हुए उसने पूछा, "रुक जाती, लेकिन घर चलाने के लिए जाना पड़ेगा। तुम्हारे बाहर घूमने से घर नहीं चलेगा। बिल जमा करवाने के पैसे भी कहीं ठिकाने लगा दिए क्या ?"

तड़ाक.. हमेशा की तरह एक आवाज़ हुई, रिद्धिमा फर्श पर गिर गयी थी| ऋषभ ने रिद्धिमा को आज फिर चुप कराने और उसके सवालों से बचने के लिए उसे थप्पड़ मार दिया था, जो कि सबसे आसान काम है। 

बिजली का बिल रिद्धिमा के मुँह पर फेंकता हुए, ऋषभ हमेशा की तरह घर से बाहर चला गया था।रिद्धिमा सोच रही थी कि कल नाहक ही इस इंसान की चिकनी चुपड़ी बातों में आ गयी और उसे बिल जमा करवाने के लिए दे दिया। कल तो कैसे कह रहा था कि मैं अपनी बेटी के लिए बदल गया हूँ। तुम थक जाती हो ,कुछ काम तो मैं कर ही सकता हूँ। मैं मूर्ख ;हर बार की तरह फिर ठगी गयी। पता नहीं ,ईश्वर ने हम स्त्रियों में कौनसा भावनाओं का कीड़ा डाला है। 

रिद्धिमा ने अपने आंसू पोंछे और उठकर किचन में गयी। झिलमिल और खुद के लिए रोटी सेकी। खुद खाया और झिलमिल को खिलाया। उसके पास तो दुःखी होने का भी वक़्त नहीं था। खाना कहते हुए वह सोच रही थी कि बिजली का बिल कैसे जमा करवाएगी। जमा नहीं करवाया तो, नौकरी खतरे में पड़ जायेगी। अगर नौकरी गयी तो खुद का और झिलमिल का पेट कैसे भरेगी।

आखिर उसे एक उपाय सूझ ही गया, उसने अपनी बचत और ट्यूशन के बच्चों से एडवांस लेकर बिल जमा करवाने का निश्चय किया। अपनी बचत, बिल और झिलमिल को लेकर रिद्धिमा बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने चली गयी थी।

रिद्धिमा और ऋषभ की शादी को 7 साल हो गए थे। रिद्धिमा शादी से पहले से ही शौक के तौर पर नौकरी करती थी। वह एक स्कूल में टीचर थी, शादी के बाद भी उसने नौकरी जारी रखी थी। शादी के बाद सास-ससुर के साथ रहते हुए, उसे कभी इस बात का भान नहीं हुआ था कि ऋषभ घर के बाहर नौकरी करने के बहाने जाता है और इधर-उधर आवारागर्दी करके वापिस आ जाता है।

उसके सास-ससुर ने शादी के वक़्त भी यह बात छुपाई थी कि ऋषभ बेरोज़गार है। अतः शादी के बाद भी उन्होंने इस बात को छिपाकर रखने का पूरा प्रयास किया था। रिद्धिमा की छोटी-मोटी जरूरतें उसकी खुद की नौकरी से पूरी हो जाती थी, उसे ऋषभ से कभी पैसे लेने की ज़रुरत ही नहीं पड़ी।शादी के एक साल बाद ही झिलमिल के आ जाने से रिद्धिमा का पूरा ध्यान झिलमिल पर होने के कारण वह ऋषभ की आदतों से नावाकिफ ही रही।

रिद्धिमा के देवर की शादी के बाद, कुछ दिन तो सब लोग साथ रहे। लेकिन बहुत दिनों तक सांझा चूल्हा चल नहीं सका, तब सास-ससुर ने दोनों बेटों को अलग कर दिया। अब उन्हें ऋषभ की आदतों को रिद्धिमा से छिपाकर रखने की ज़रुरत भी नहीं रही थी। उनकी सोच थी कि, " अब तो बच्ची भी हो गयी तो रिद्धिमा को यह शादी निभानी ही पड़ेगी। उनके बेटे का घर बना रहेगा। रिद्धिमा ने अब तक झेल लिया तो अपनी बच्ची की खातिर आगे भी झेल ही लेगी। "

अलग होने के बाद रिद्धिमा जब भी ऋषभ से कुछ सामान लाने के लिए कहती तो, ऋषभ या तो मना कर देता या सामान लाने के उसी से पैसे लेता। रिद्धिमा जितने भी पैसे देती, ऋषभ उनमें से कभी कुछ वापस नहीं देता। अब रिद्धिमा की नौकरी से घर के खर्चे पूरे नहीं पड़ रहे थे। उसने ऋषभ से दो-चार बार पूछा भी कि, " आप अपनी कमाई का क्या करते हो ?"

ऋषभ से कभी कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। रिद्धिमा ने अब ऋषभ से घर खर्च के लिए सीधे-सीधे पैसे मांगने शुरू किये। ऋषभ पहले तो गुस्सा करता था और उसके बाद उसने रिद्धिमा पर हाथ उठाना शुरू कर दिया। रिद्धिमा ने घर खर्च चलाने के लिए ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया था।

रिद्धिमा कितनी बार ही सोचती थी कि इस रिश्ते से अपने आपको मुक्त कर ले। ऋषभ और उसके घर को हमेशा के लिए छोड़कर चली जाए। लेकिन फिर सोचती थी कि कम से कम यहाँ उसे सिर ढकने के लिए छत तो मिल रही है। उसकी छोटी सी नौकरी से घर ही इतना मुश्किल से चलता है ,अलग घर का किराया कैसे भरेगी ?मम्मी -पापा के घर भी तो नहीं जा सकती। अभी तो केवल एक मर्द का ही अत्याचार झेलना पड़ रहा है। अकेली औरत को बाहर मर्दों की दुनिया में कौन चैन से जीने देगा ? 

अभी तो उसकी छोटी बहिनों की शादी भी नहीं हुई। यह दुनिया कहने को ही प्रगतिशील हुई है ,बाकी चरित्रहीनता का लेबल अभी भी स्त्री के माथे पर ही लगता है। 

रिद्धिमा सुबह 4 बजे उठती थी। घर का सारा काम ख़त्म करती ,अपना और झिलमिल का टिफ़िन पैक करती ,ऋषभ के लिए ब्रेकफास्ट और लंच बनाकर रखती और फिर झिलमिल को स्कूल छोड़ते हुए अपने स्कूल जाती। स्कूल से लौटते हुए ,वही झिलमिल को लेकर आती। उसके बाद झिलमिल को लेकर ट्यूशन पढ़ाने चली जाती। रात को 7 बजे लौटती और फिर रात का खाना बनाती। सारा काम निपटाते -निपटाते उसे 10 बज जाते थे। यह उसकी रोज़ की दिनचर्या थी।

ऋषभ न तो उसकी घर के कामों में कोई मदद करता ,न ही घर चलाने में उसकी कोई मदद करता और न ही झिलमिल को सम्हालता। अगर समाज की दकियानूसी सोच को ध्यान में रखते हुए कहें तो ,रिद्धिमा ही घर की मर्द और औरत दोनों थी। सुबह से रात तक काम करते हुए ,रिद्धिमा बुरी तरह से थक जाती थी ;उसका पोर -पोर दर्द करता था। बिस्तर पर पड़ते ही उसे नींद आ जाती थी ;लेकिन ऋषभ उसे चैन से सोने भी नहीं देता था। अपनी मर्दानगी दिखाने के लिए अपने आपको जबरदस्ती उस पर थोपता था।

रिद्धिमा ने ऋषभ को कई बार समझाने की कोशिश की। उसे उसकी जिम्मेदारियों का एहसास दिलाने की कोशिश की। उसे समझाना चाहा कि झिलमिल के खातिर वह अपनी आदतों को बदलें। लेकिन ढाक के तीन पात। ऋषभ में कोई बदलाव नहीं आया।

आज फिर ऋषभ ने बिजली के बिल के पैसे उपयोग में ले लिए थे। रिद्धिमा ने अपनी बचत और एडवांस से पैसे जमा करा दिए थे। उसके घर का बजट पूरी तरह से बिगड़ गया था। रिद्धिमा 5 बहिनों में दूसरे नंबर की थी। उसकी बहिनों की शादी में कोई समस्या न हो ;इसलिए वह अपने मम्मी-पापा को भी कुछ नहीं बताती थी।

रिद्धिमा की ज़िन्दगी ऐसे ही चल रही थी। अपने दर्द को अपने तक सीमित रखकर ,रिद्धिमा सबके साथ हँसकर और मुस्कुराकर ही बात आकृति थी। मम्मी -पापा द्वारा पूछे जाने पर कि ,"वह खुश है न ?" . हमेशा यही जवाब देती ," हाँ ,खुश हूँ। "

रिद्धिमा की छोटी बहिन की शादी होने वाली थी। रिद्धिमा अपने मम्मी -पापा के घर थी। रिद्धिमा की मम्मी के सोने के झुमके टूट गए थे ;रिद्धिमा ने कहा ," मुझे दे दो और ,मम्मी मैं ठीक करा लाऊँगी। "

रिद्धिमा की मम्मी ने उसे सोने के झुमके देते हुए कहा कि ," ठीक है बेटा ;तू ही करा लाना। पापा तो व्यस्त हैं। "

रिद्धिमा झुमके लेकर अपने घर आ गयी थी और उसने अपनी अलमारी में यह सोचकर रख दिए कि," कल स्कूल से आकर बाज़ार जाकर मम्मी के झुमके ठीक करा लूँगी। "

अगले दिन जब रिद्धिमा ने झुमके निकालने के लिए अलमारी खोली तो झुमके वहाँ नहीं थे। रिद्धिमा समझ गयी थी कि ,"जरूर यह हरकत ऋषभ ने ही की होगी। "

उसे उम्मीद नहीं थी कि ,"ऋषभ उसकी अलमारी खोलकर देख लेगा। "

रिद्धिमा को समझ ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। मम्मी ने २-३ बार झुमकों के लिए पूछा ,तब रिद्धिमा ने बहाना बनाकर टाल दिया। रिद्धिमा अपनी मम्मी को झुमके लौटाने के लिए पैसे जमा करने लग गयी थी। ऋषभ की हरकतों के कारण पुराने उधार तो चुका नहीं पा रही थी ;बल्कि उसकी चोरी की आदत के कारण उसकी मुसीबतें बढ़ती जा रही थी।

रिद्धिमा और पता नहीं कब तक यह सब सहती रहती। क्यूंकि उसने भी तो यही सीखा था कि ," सहनशीलता स्त्री का सबसे बड़ा गुण है। शादी एक पवित्र बंधन है ;जिसे किसी भी कीमत पर तोड़ा नहीं जा सकता। अकेली लड़की समाज में जी नहीं सकती। "

यही सब सोचकर वह बोझ बन चुके रिश्ते को ढोए जा रही थी। यह पता नहीं कब तक चलता ,अगर रिद्धिमा ने उस दिन ऋषभ को किसी से फ़ोन पर बातें करते हुए नहीं सुना होता। ऋषभ किसी को फ़ोन पर कह रहा था कि ," बच्ची तो अभी छोटी है ;उसका बाद में देखते हैं। लेकिन माँ के तो कम से कम 1 लाख तो चाहिए ही। "

रिद्धिमा को अपने कानों पर भरोसा नहीं हो रहा था। वह समझ नहीं पा रही थी कि ," क्या ऋषभ इस हद तक गिर सकता है ?क्या वह अपनी पत्नी को बेच सकता है ? जब ऋषभ को इस बंधन की इतनी सी भी परवाह नहीं है ;तब वह क्यों इसके बारे में सोचे। यह आदमी तो मुझे ही नहीं ,अपनी बेटी को भी बेच सकता है। अगर मुझे कुछ हो गया तो ,झिलमिल का क्या होगा ?"

"नहीं ,बस अब बहुत हो गया। अब और नहीं। इस मर चुके रिश्ते का और बोझ नहीं उठा सकती। एक पत्नी भले ही मजबूर हो ,लेकिन एक माँ नहीं। ",रिद्धिमा ने अपने आप से कहा।

रिद्धिमा ने अपने मम्मी -पापा को फ़ोन करके सारी बातें बताई। उसकी उम्मीद के विपरीत उसके पापा ने कहा ,"बेटा ,अब तक क्यों नहीं बताया ?तुने क्यों इतना कुछ सहा। अब तुझे उस घर में रहने की कोई जरूरत नहीं। मैं अभी तुझे लेने आता हूँ। "

"नहीं पापा , मैं आप पर बोझ नहीं बनूँगी।",रिद्धिमा ने कहा।

"नहीं बेटी ,तू बोझ नहीं है। तेरा इस घर पर पूरा अधिकार है। ", रिद्धिमा के पापा ने कहा।

रिद्धिमा ऋषभ को सोता हुआ छोड़कर ,झिलमिल को लेकर हमेशा के लिए चली गयी और कुछ दिनों बाद उसने डिवोर्स के पेपर भेजकर हमेशा के लिए अपने आपको ऐसे रिश्ते से मुक्त कर लिया था।



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