बंजर दिल
बंजर दिल
मां को मैं रखूंगा, नहीं मैं रखूंगा-
दोनों भाई मां को अपनी साइड खींच रहे थे और मां की आंखें प्यार और गर्व से भर गई।
कुछ समझाने ही लगी थी दोनों को कि खुली आंखों का सपना टूट गया। सामने दोनों भाई लड़ रहे थे- मां को तू रख, नहीं तू रख।
जब तक मां के पास दोनों जुड़वा बच्चे नहीं थे, वो अपनी बंजर कोख पर रोती थी और आज अपने बच्चों के बंजर दिलों को देख रो दी।