बमुला
बमुला
"सर.... सर आप बहुत बड़ी गलती कर रहे है . इस पत्थर को यहाँ से मत हटवाए. शाम के 7 बज चुके है . हमें लॉज लौट जाना चाहिए. मजदूरों के घर जाने का समय भी हो चुका है".
"क्रिश मैं कोई गलती नही कर रहा हूं. काम समय पर पूरा करने की कोशिश करते तो इतने खराब मौसम में मुझे यहां नहीं आना पड़ता. प्रोजेक्ट की डेडलाइन भी नजदीक है . तुम सब अभी सिर्फ बेसिक चीजों को पूरा करने में अटके हुए हो ? विजिट पर क्या दिखाऊंगा ऑफिसर्स को ?" गुस्से से तिलमिलाया हुआ गौरव आज मजदूरों को बिलकुल आसानी से घर जाने देने के मूड में नहीं था. आसमान में उमड़ते काले बादलों के साथ चमकती बिजली का शोर काम कर रहे मजदूरों को रात और काली गहरी होती जा रहीं है यह डर रह रहकर डरा रहा था.
क्रिश की बात को अनसुना करते हुए गौरव कुछ मजदूरों से उस जमीन के एक दम किनारे पड़े पत्थर को हटवाने की पूरी कोशिश करने लगता है . दूसरी ओर कुछ मजदूर आपस में हल्की आवाज में बाते करने लगते है . आसपास शोर और काम को लेकर होती परेशानी के बावजूद भी उन मजदूरों की बातों से चेहरे पर उभरते डर से अंदाजा लगाया जा सकता था की ये बाते उस पत्थर के बारे में है .
"आज तो चंद्र ग्रहण है ना...? आज ही के दिन इस सुपरवाइजर को ये पत्थर यहां से हटवाना था. बमुला नहीं ये अपनी मौत को बुलावा दे रहा है. बमुला आएगा आज रात. उसे नींद से जगाकर बहुत बड़ी आफत को बुलावा दे रहा है . चांद पर ग्रहण लगते ही काली शक्तियां और भी ताकतवर हो जाती है . आज की पूरी रात इस के लिए काल की रात है . वो आज जरूर लौटकर आएगा". इस जगह का मालिक था वो और उसे इस जगह से हटाना.…. बात पूरी ना करते हुए सारे मजदूर पेड़ की तरफ भागने लगते है .
"बस... ये पत्थर इस कोने में फेक दो".
"सर पत्थर तो इस जगह से हटवा दिया आपने. क्या अब लॉज चले ? रात का अंधेरा ऊपर से ये बारिश मजदूर अब कोई भी काम नही कर पाएंगे".
आसमान की तरफ देखते हुए गौरव हां में सर हिलाता है . कृष के इशारा करते ही सारे मजदूर गांव की तरफ निकल पड़ते है . क्रिश भी गौरव के साथ लॉज पहुंचकर जल्दी सो जाता है .
वर्क दी गई टाइमलाइन पर अब पूरा नहीं होगा यही सोचते हुए गौरव खिड़की से बाहर देखने लगता है . काले घने बादलों से रात और काली गहरी लग रही है . बढ़ती हुई बारिश की बूंदे जो और भी तेज होने लगी थीं. गौरव के कदम बेड की तरफ बढ़े ही थे की अचानक रुक जाते है . काली अंधेरी रात में बिजली की चमक में बाहर कोई खड़ा होकर उसे देख रहा हों. लेकिन कौन ? शायद वहा कोई है यह एहसास सही साबित होने में ज्यादा समय नहीं लगता. बार – बार गिरती बिजलियों की चमक में लॉज के बाहर कंबल से खुद को पूरी तरह ढके हुए कोई खड़ा था. गौरव समझने की कोशिश कर ही रहा था की उसकी नजर कंबल ओढ़े उस आदमी पर पड़ती है . इसके हाथ में बिल्डिंग का मैप और बैग ? बिना देर किए गौरव टेबल की तरफ भागता है . टेबल पर बैग ना मिलने पर बैग चोरी हो गया समझने में गौरव को देर नही लगती.
बैग में रखे हुए डॉक्यूमेंट्स ? बिल्डिंग का मैप ? सब गायब है . मेरा करियर इस बिल्डिंग प्रोजेक्ट पर टिका हुआ है . इतनी आसानी से अपना करियर किसी को खराब नहीं करने दे सकता. मुझे उस आदमी को पकड़ना ही होगा. क्रिश को बिना जगाए अपनी जान की परवाह ना करते हुए गौरव लॉज के बाहर पहुंच जाता है . रुको... रुक जाओ. तुम ऐसे भाग नहीं सकते चोरी कर के. रुको.… चिल्लाते हुए गौरव उस कंबल ओढ़े आदमी के पीछे दौड़ने हुए अचानक रुक जाता है .
तेज मूसलाधार बारिश अब बंद हो चुकी थीं. अ"ब नहीं भाग सकते तुम. रुक जाओ वहीं ."
गौरव की बात को अनसुना करते हुए कंबल ओढ़े वह आदमी जमीन के किनारे एक जगह जाकर वही रुक जाता है. बारिश बंद होते ही काले घने बादल धीरे – धीरे छटने लगे थे. चांद की रौशनी में वह कंबल ओढ़े खड़ा आदमी किसी काले दैत्य की तरह दिखाई दे रहा था. लाल चमकती आखें जो कंबल ओढ़े गौरव को घूरे जा रही थी. कुछ देर गौरव को घूरने के बाद वह लाल चमकती आखें चांद को देखने लगती है. चांद की रौशनी काले साए के आगोश में गायब होती जा रहीं थी.१
सामने खड़े उस अनजान को देखकर गौरव को कुछ ठीक नहीं लग रहा था. ये चांद ? आज ग्रहण है ? कुछ ही देर में चांद की रौशनी काले साए के आगोश में छिप जाती है . वह लाल आखोवाला कंबल उतारकर अब गौरव के बिलकुल सामने खड़ा था. जिसे देख गौरव में अंडर डर की एक तेज लहर दौड़ जाती है. यह इंसान है या काली परछाई ? इसकी लाल आखें किसी दैत्य की तरह दिखाई दे रही है.
पलक झपकते ही वह दैत्य गौरव के बिलकुल सामने खड़ा था. बमूला हूं मैं. इस जगह का मालिक हूं मैं कहते हुए जोर – जोर से हसने लगता है . उसकी डरावनी हसीं हर तरफ गूंजने लगती है . गौरव को अपने सामने मौत खड़ी दिखाई देती है . वह भागने की कोशिश करता उस के पहले ही बमुला का हाथ गौरव के गले तक पहुंच जाता है . हवा में लटके हुए कुछ ही देर में गौरव का दम घुटने लगता है . बहुत कोशिश करने पर भी गौरव अपने आप को दैत्य से छुड़ा नहीं पाता.
आज तू बचेगा नहीं. मौत से नही बच सकता तू... गौरव के गले पर पकड़ थोड़ी ढीली करते ही वह गौरव को जोर से जमीन पर पटक देता है . दर्द से करराता गौरव उठने की बहुत कोशिश करता है लेकिन उठ नही पाता. झपकती हुई पलकों के सामने गौरव को बमूला खड़ा दिखाई देता है . गौरव फिर उठकर भागने की कोशिश करता है लेकिन इस बार भी कुछ नहीं कर पाता.
"छोड़.. दो मुझे. प्लीज... कुछ भी शब्द ना बोल पाने में गौरव अपने आप को फिर लाचार पाता है" . गौरव के पैर पकड़कर बमूला उसे फिर एक बार हवा में बहुत दूर फेक देता है . जमीन पर गिरते ही गौरव बेहोश हो जाता है .
पानी की बूंदों का एहसास होते ही गौरव के शरीर में हलचल होने लगती है . "सर... सर उठिए. आप यहां कैसे ? इतनी चोट कैसे लग गई आपको?"
खुद को संभालते हुए क्रिश का सहारा लेते हुए गौरव उठकर बैठ जाता है . "मैं जिंदा हूं. बमुला रात में मुझे मार देता. वो मार देता मुझे."
गौरव डर के मारे कांप रहा था. तभी पीछे खड़े मजदूरों में से एक आवाज आती है "साहब आप किस्मतवाले हो जो इस पत्थर पर आ गिरे. इस पत्थर ने आपकी जान बचाई है . पत्थर ना होता तो बमुला मार देता आपको."
"पत्थर ने मेरी जान बचाई ?"
"जी साहब. मैने ऐसा सुना है यह पत्थर बमुला की आत्मा को भटकने से रोकने के लिए इस जमीन में रखा गया था. तांत्रिक क्रियाओं द्वारा यह पत्थर अभिमंत्रित किया गया है . आप किस्मत के बहुत तेज हो जो ग्रहण की रात बच गए."
गौरव को भूत प्रेत में बिलकुल विश्वास नहीं था. लेकिन रात में जो कुछ भी उसने अनुभव किया था उस के बाद उसकी सोच अब बदल चुकी थीं. जो समस्या उसकी वजह से फिर जागी थी उसे हल भी करना था. कुछ देर सोचने के बाद गौरव उस मजदूर से मदद मांगता है . दोपहर होने से पहले तांत्रिक की सहायता से वह पत्थर जमीन में पहले की जगह रख दिया जाता है .
यह प्रोजेक्ट करियर ही नही उसकी जान के लिए भी खतरा साबित हुआ इस सोचते ही गौरव के शरीर में एक अजीब सा डर दौड़ने लगता है . कुछ दिन आराम के बाद गौरव उस प्रोजेक्ट से क्विक कर वहां से चला जाता है .

