Archana kewat

Drama Horror Crime

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Archana kewat

Drama Horror Crime

morgue 20 – भाग 2

morgue 20 – भाग 2

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पाखी मुझे हॉस्पिटल में एक औरत दिखी थीं। उसके पीछे मैं मुर्दा घर तक चला गया था। उसके इशारे पर मैंने morgue - 20 खोला। हैरानी की बात यह थीं की उस औरत की शक्ल बिल्कुल उस morgue में रखी लाश से मिल रही थीं। उसके बाद से वह औरत मुझे दिखाई दे रही हैं। वह मुझसे अपने परिवार की जान बचाने की बात बार - बार कह रही हैं और। ।

यह पूरी बात नहीं हैं। और के बाद क्या मोक्ष ?

उस रात जंगल में मैंने उस अघोरी की पूजा भंग की थीं। उसने मेरी तरफ गुस्से में देखते हुए कहा था की। ।

क्या कहा था उस अघोरी ने। ?

कुछ श्राप ऐसा ही कुछ। मुझे वह सब दिखेगा जो इस दुनिया से परे हैं। वह लोग जो मर चुके हैं। वह भी दिखेंगे ऐसा कुछ। जो लोग आत्मा बनकर भटक रहे हैं या ऐसा कुछ।

मोक्ष तुम्हारे कहने का मतलब हैं कि उस अघोरी ने उसकी पूजा भंग करने की वजह से तुम्हे श्राप दिया? जिस वजह से तुम्हे आत्माएं और भूत प्रेत दिख रहे हैं ?

मैं इस बात को लेकर कन्फर्म नहीं हूं। इस बात में कितनी सच्चाई है कितनी नहीं। यह तो उस morgue - 20 वाली औरत के बारे में जानने के बाद ही पता चलेगा।

पाखी तुम मोक्ष को संभालो। मैं कल मिलता हूं तुम दोनों से कहकर यश कमरे से बाहर निकलने लगता हैं।

कहां जा रहे हो तुम ?

उस morgue - 20 वाली औरत के बारे में जानने। हॉस्पिटल से कुछ जुगाड किया हैं। कल मिलता हूं।

सुबह के ग्यारह बज चुके हैं और ये अब तक सोया हुआ हैं। कंबल खीच कर डराते हुए यश मोक्ष को उठा देता हैं। माना शादी के बाद समय का पता नहीं चलता। लेकिन तू तो अब तक सो रहा हैं।

सर को दोनों हाथों से पकड़ कर उठते हुए। सर बहुत दुःख रहा हैं यश।

क्या हुआ तुझे ? तबीयत तो ठीक हैं ना ?

यश और मोक्ष एक – दूसरे से बाते कर ही रहें थी की पाखी भी कमरे में आ जाती हैं। मोक्ष को रात भर बुखार था।

पाखी और आगे कुछ बोल पाती उसके पहले ही मोक्ष उसे रोक देता हैं। मेरी तबीयत के बारे में हम बाद में बात करते हैं। यश तू बता क्या पता चला होस्पिटल से?

पुष्पा देवी ठाकुर नाम था इस औरत का। जिस रात तुझे हॉस्पिटल में एडमिट किया गया था उसी रात इस औरत की मौत हुई थीं। मौत का कारण कार्डियो सिस्टम फैलियर हैं। साथ ही वह ब्लड कैंसर के लास्ट स्टेज पर थीं।

इसका मतलब की उस औरत यानी की पुष्पा देवी की मौत कार्डियो सिस्टम फैलियर से हुई ? यानी की मौत नेचरल तरीके से हुई ? फिर यह औरत मुझे क्यों दिखाई दे रही हैं ?

मोक्ष अब तक तो अंतिम संस्कार भी हो गया होगा। हमे उसके परिवार वालों से मिलना चाहिए। शायद कोई अंतिम इच्छा अधूरी रह गई होंगी। या कुछ जो बिल्कुल नॉर्मल नहीं हैं।

हा पाखी अब इस बात का पता तो पुष्पा देवी के परिवार से मिलकर ही पता चलेगा। लेकिन उनकी डिटेल्स ?

हम रिपोर्टर्स हैं भाई शायद तू भूल रहा हैं। ये देख मोबाइल में पुष्पा देवी की फोटो के साथ सारी डिटेल्स भी क्लिक कर के लाया हूं। यानी की एड्रेस भी। तू बता कब चलना हैं यहां ?

आज ही।  

लेकिन तू ऑफिस नहीं जाएगा ?

तुम दोनो भूल रहें हो की हमारा शो हिट और टॉप रेटेड हुआ हैं। इसलिए हम तीनो को कुछ दिनों की छुट्टियां मिली हैं ऑफिस से। चल अब तू तैयार हो जा। हम दोनों चलेंगे इस एड्रेस पर। कुछ बहुत बड़ी गड़बड़ निकली तो हमे एक ब्रेकिंग न्यूज और स्टोरी मिल जाएगी।

सुनिए यह पता इसी घर का हैं ना ?

हा इसी घर का हैं। लेकिन इन लोगो से दूर रहो। इन्हे कोई भयंकर बीमारी हैं। इसलिए इन्हे हॉस्पिटल वाले उठा कर ले गए हैं।

बीमारी ? कौन से हॉस्पिटल में हैं यह सब ?

वो सब हमे नहीं पता। बस इतना जानते हैं की पुष्पा देवी की लाश का क्रिया कर्म हॉस्पिटल वालों ने किया और अगले दिन इस सब को एक एम्बुलेंस आयी और लेकर चली गईं।

क्या इनके परिवार में से किसी का फोन नंबर मिल सकता हैं ?

हा उनके बड़े लड़के का नंबर हैं मेरे पास।

नंबर मिल जाने पर मोक्ष उस नंबर पर कॉल करने लगता हैं। कुछ देर बाद फोन रिसीव होता हैं। हा बोलिए कौन ?

क्या मेरी बात सुमित से हो सकती हैं ?

सुमित आपके लिए फोन हैं।

हा बोलिए मै सुमित बोल रहा हूं। आप कौन ?

मेरा नाम मोक्ष हैं। मै पेशे से एक न्यूज रिपोर्टर हूं। कुछ दिन पहले मैंने हॉस्पिटल के मुर्दा घर में लाश के साथ एक औरत को देखा था। वह आपकी मां पुष्पा देवी थीं। तब से लेकर अब तक आपकी मां मुझे कई बार दिखाई दी। आप सब की जान खतरे में हैं। वह यही बात कहती हैं अक्सर। क्या सच में आप सब की जान खतरे में हैं ?

हम सब यहां एक होटल में हैं। सिर्फ खाना और पानी लेने के लिए हम रिसेप्शन एरिया तक जा सकते हैं। कल हमें घर छोड़ देंगे। लेकिन यहां नॉर्मल होकर भी कुछ तो अजीब हैं।

सुमित की बाते सुनते ही मोक्ष और भी सवालों में उलझ लगता हैं। क्या अजीब हैं वहां ? और आप सब को किस वजह से होटल के कमरे में रखा गया हैं ?

हमे सिर्फ इतना कहा गया था की हमारी जान को खतरा हैं। कुछ दिन हमें यहां रहना होगा। ऐसा फोन पर पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा था। यहां मैं और मेरे परिवार वाले सपना कहूं या हकीकत लेकिन जो कुछ भी हैं वह जान लेवा ही हैं।

क्या मैं आ सकता हूं वहा आप सब से मिलने ?

कल दोपहर में हम घर आ जाएंगे फिर आप सब मिल लेना हमसे और जो कुछ भी मेरे साथ अजीब हो रहा हैं वह भी बताऊंगा आप से।

अगले दिन दोपहर को मोक्ष पुष्पा देवी के घरवालों से मिलने जाता हैं।

मोक्ष जी आप जो यह कह रहे थे की मेरी मां आप को दिखाई दे रही हैं। इस बात पर तो मुझे यकीन नहीं हो रहा हैं। लेकिन जो पिछले दिनों हमारे साथ हुआ उसके बाद मुझे लगता हैं आप झूठ नहीं बोल रहे हों।

मां का क्रिया कर्म सब हॉस्पिटल वालों ने किया। हमें ना ही डैथ बॉडी दी गई और ना ही मिलने दिया गया। हमारी जान को खतरा हैं इसलिए हमें अगले दिन एक होटल में शिफ्ट कर दिया गया। वह होटल काफी दिनों से बंद था। उसकी हालत देखकर लग रहा था। आख़िरी कमरे में हम थे। दोनो टाइम पुलिस अधिकारी हम होटल में हैं या नहीं देख कर जाते थे। हमे किससे खतरा हैं यह आखिर तक में हमे नहीं बताया गया।

दो दिन तो किसी तरह बीत गए। फिर रात और दिन पहाड़ से होने लगीं थीं। अजीब सी बेचैनी होती थी एक कमरे में बंद होकर। तीसरी रात बहुत कोशिश करने पर आंख लगीं ही थी। सामने लकड़ियों का ढेर दिखाई दे रहा था। चिता पर एक लाश सफेद कपड़े की चादर ओढ़ा कर सुलाई गई थीं। आसपास नजर घुमा कर देखा तो कुछ रिश्तेदार खड़े थे। हिम्मत करते हुए लाश के पास जाकर वह कपड़ा उठाया तो उसमे मां को सुलाया गया था।

ये लो और लाश को मुखाग्नि दो। सामने शमशान भूमि का जल्लाद खड़ा था। एक दम हट्टा कट्टा। लंबे कद काठी वाला। उसकी आंखे एक दम लाल - लाल और उसका काला रंग उसे डरावना दिखा रहा था। उसकी बात मानते ही मैंने चिता पर आग लगा दी। जैसे ही आग तेजी से लाश को जलाने लगीं आसपास के सभी लोग कही गायब हो गए।

मैंने उस जल्लाद से पूछा सब कहां चले अचानक ?

सब अपने - अपने घर चले गए। लेकिन तुम यहां से कहीं नहीं जा सकते कहते हुए जोर - जोर से हंसने लगा। आसमान जो पूरी तरह साफ दिखाई दे रहे था वह देखते ही देखते काले - काले घने बादलों से छिपने लगा। एकाएक रात के अंधेरे सा आभास होने लगा। मोबाइल में देखा तो शाम के 7 बज चुके थे। मैं क्यों नहीं जा सकता यहां से ?

बिना अस्थियों के तुम घर नहीं जा सकते। लाश जल जाने के बाद राख ठंडी होने पर उसे घर ले जा सकते हो।

कुछ देर में बहुत रात हो जाएगी और लाश जलने में अभी भी तीन से चार घंटे लग जाएंगे। मैं कल आकर अस्थियां ले जाऊंगा।

तभी वह जल्लाद जोर - जोर से हंसने लगता हैं।

वह सामने देखो खिड़की की तरफ। तुम्हारा पूरा परिवार उस कमरे में बंद हैं। अब तुम सोच लो परिवार की जान प्यारी हैं ? या फिर यहां से जाना चाहोगे ?

उसकी बाते सुनते ही मैंने आगे बढ़कर उस जल्लाद पर हाथ उठाना चाहा लेकिन कुछ अदृश्य सा था जिसने मेरे दोनो हाथ पकड़ कर मुझे पीछे की तरफ धकेल दिया। दो से तीन बार इस तरह हमला होने पर मजबूर होकर मै कुछ नहीं कर पाया।

चलो मेरे पीछे कहते हुए वह मुझे उस कमरे की तरफ ले गया जहां मेरे परिवार वाले बंद थे। ताला खोलकर उसने मुझे भी उस कमरे में भेज दिया और सुबह मिलेगा कह कर चला गया। कमरा बाहर से बंद था और खिड़कियां पुरी तरह जाली से बंद। इसलिए मजबूरी में हमें वही रुकना पड़ा।

खून की कुछ बूंदे मेरे हाथों पर एक - एक कर गिर रही थीं। आंख खुली तो देखा हाथो पर टप-टप करके खून की बूंदे ऊपर की तरफ से गिर रही थीं। मैं हड़बड़ा के उठ कर बैठ गया और ऊपर देखा तो एक अध कटी लाश पंखे के ऊपर बैठी थीं। जिसके कमर के ऊपर का हिस्सा गायब था और उस आधे हिस्से में से खून की बूंदें एक-एक कर गिर रही थीं। खून गर्म था जिससे यह पता चल रहा था की अभी कुछ देर पहले की इस पंखे पर लटकी लाश के दो टुकड़े किए गए हो।

पापा वो देखो दरवाजे में से कौन झाख रहा हैं। कहते हुए मेरा बेटा शिव मुझसे लिपट गया। मेरी पत्नी और बेटी मनु भी उठ कर बैठ चुकी थीं और दरवाजे में से झांकते हुए उस अध कटे हुए शरीर को देखकर चिल्लाने लगी। वह दरवाजे में से आर पार आ जा रहा था। उसके हाथ में एक बड़ी सी तलवार थीं। वह हमारी तरफ ही देख रहा था और बस कहता मरोगे तुम सब। देखते ही देखते वह तेजी से हमारी तरफ लपका और हम सब यहां से वहां भागने लगे।

पापा अब हमारी जान नहीं बचेगी। प्लीज कुछ करो और हमारी जान बचा लो कहते हुए दोनों बच्चे जोर - जोर से रोने लगें।

वह तलवार के साथ पूरी तैयारी से वार कर रहा था। बचते बचाते हम किसी तरह उस कमरे से निकल अचानक ही शमशान भूमि में कैद उस होटल के कॉरिडोर में पहुंच गए। जिस तरफ जाओ उस तरफ सिर्फ कमरा ही कमरा। वह अध कटी लाश हमारे पीछे अब भी दौड़ रही थीं। कुछ ही देर में और भी लोग शामिल हो गए उस अध कटि लाश के साथ। आधी अधूरी जली लाशे। जिसमे कीड़े पुरी तरह बिल बिला रहे थें। खून की नदिया मानो बह रही हो और असहनीय दुर्गन्ध जो उन लाशों से आ रही थीं।

भागते हुए हम जहां से शुरू कर रहे थे हमेशा वही आकर रुक जाते थे। इस तरह हम बहुत थक गए और बचने की उम्मीद बिल्कुल छोड़ कर मूर्ति की तरफ निशब्द होकर जम गए। एक तलवार जो सामने से काफी तेजी से हमारी तरफ आते हुए दिखाई दे रही थीं। अन्तिम समय आ गया हैं। अब जान नहीं बचेगी बस यही दिमाग में चल रहा था की तभी कोई अचानक से सामने आया और उस तलवार को रोक दिया। वह मां ही थी जो हमे बचाने आती थीं। वह हाथों से इशारा कर रही थीं।

सामने एक रौशनी दार दरवाजा दिख रहा था। मैं परिवार के साथ किसी तरह उस रौशनी की तरफ भागते हुए उस दरवाजे से बाहर आ गया। मां दूर से हमे अलविदा कह रही थीं की नींद खुल गई। सपना ही था यह सोच कर मैं चुप था।  लेकिन यह सपना मेरे साथ मेरी पत्नी और बच्चों ने भी देखा।

मतलब यह की वह सपना नहीं हकीकत था। आपकी मां ने आप सब की जान बचाई हैं। अब सवाल यह है की आपकी मां अभी हाल ही में मुझे दिखी थीं। इसका मतलब अब भी आप सब की जान को खतरा हैं ? लेकिन किससे ?


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