ब्लड प्लेटलेट्स-2
ब्लड प्लेटलेट्स-2
सुनील के साथ सुनील की मां भी रोने लगी तभी उनके लैंडलाइन फोन की घंटी बजी। सुनीता का फोन आया था । सामने से वह जोर-जोर से रो रही थी । सुनील से रहा नहीं गया, वह तुरंत भावुक हो गया और बोल पड़ा क्या हुआ सुनीता क्यों रो रही हो? उसने कहा मेरे पापा को हार्ट अटैक आया है आईसीयू में एडमिट है ।डॉक्टर ने बोला है बहुत ही सीरियस कंडीशन है ।बचने का कोई चांस नहीं है ,मैं क्या करूं? सुनील प्लीज हेल्प मी! मेरी मदद करो!
सुनीता के मुंह से यह बात सुनकर सुनील का सारा गुस्सा गायब हो गया वह तुरंत मुंबई जाने के लिए निकल पड़ा। मां ने पूछा तो उसने शार्ट में उन्हें सारी बात बताई और बोला मां इन लोगों को मेरी जरूरत है । मां बोली , बेटा मुझे नाज है तेरे पर! उन्होंने तेरे साथ कितना बुरा किया। फिर भी तू उनकी भलाई करने जा रहा है। जा बेटे ,जा बहुत अच्छी बात है यह।
लोकल टिकट लेकर सुनील जो भी गाड़ी अवेलेबल थी, उस में बैठकर मुंबई के लिए निकल पड़ा। रेलवे स्टेशन से उसने तुरंत टैक्सी पकड़ी और हॉस्पिटल पहुंचा जाकर देखा तो ससुराल के सभी जन वहां पर मौजूद थे और शर्म से सिर झुकाए खड़े थे । कोई भी सुनील से नज़रें नहीं मिला पा रहा था
आखिर उन्होंने उसके साथ इतना गलत जो किया था । कल तक जो सायली और साली यह बोल रही थी कि कौन कहता दो बच्चे हो जाने पर तलाक नहीं होता है। मैं तुम दोनों का तलाक करवाऊंगी। जो साला कल तक पूरी कोशिश कर रहा था तलाक करवाने की, वह डॉक्टर होते हुए भी आज अपने पिता को बचा नहीं पा रहा था।
किसी के पास कोई शब्द ही नहीं बचे थे बोलने के लिए और ना ही नजर बची थी मिलाने के लिए सुनील फिर भी सब बातों को भुलाकर बोला, डॉक्टर ने क्या कहा है पापा कब तक ठीक हो जाएंगे ? तभी अंदर से आईसीयू से डॉक्टर आते हैं और कहते हैं उनको होश आ गया है, लेकिन वह नहीं बचेंगे। आप लोग एक-एक करके मिलना चाहे तो मिल लीजिए । वह कितने समय तक जीवित रहेंगे, हम नहीं कह सकते।
सबसे पहले सुनील और सुनीता ही अंदर जाते हैं। सुनील बहुत ही भावुक लड़का था इसलिए वह जब उन्हें ऐसी हालत में देखता है तो उसे बहुत दुख होता है। शरीर में जगह जगह नलिया लगी थी खून भी चढ़ाया जा रहा था।उसके ससुर धीमे-धीमे आंखें खोल कर, हाथ जोड़ते हुए बोलते हैं । सुनील बेटा मुझे माफ कर दो ,मैंने तुम्हारे साथ बहुत गलत किया है । तुम्हारा तलाक करवाने के लिए मैंने रात दिन एक कर दिए । पता नहीं क्या क्या चाल चली, शायद मुझे भगवान ने इसी बात की सजा दी है ।
पिछली बार तो ब्लड कैंसर होने पर भी तुमने अपना प्लेटलेट दे कर मुझे बचा लिया था। लेकिन इस बार मुझे कोई नहीं बचा पाएगा। हो सके तो मुझे माफ कर देना और इतना कहते ही उनके प्राण निकल जाते हैं। सुनील अपने हाथों से उनकी आंखें बंद करता है और बहुत रोता है। वह मन ही मन सोचता है कि, शायद किसी ने सही कहा है इंसान को अपनी करनी का फल देर सवेर मिलता जरूर है । या तो इसी जन्म में या फिर नया जन्म लेकर !
स्वरचित एवं मौलिक रचना
कवि सुमित मानधना 'गौरव'
सूरत गुजरात।
