Renuka Chugh Middha

Romance

4.1  

Renuka Chugh Middha

Romance

बजांरन हुई तेरे प्यार में

बजांरन हुई तेरे प्यार में

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बादलों को बरसने का जैसे शौक हो गया हो। हाँ उस दिन बादलो की गोद से मचलती हुई बूँदे धरती को ऐसे बेक़रारी से चूम रही थी जैसे जन्मों की प्यासी हो और जाने कब से धरती भी आतुर थी उन्हें अपने आग़ोश मे लेने को।  रिमझिम बारिश की रुनझुन से दिलो में भी झनकार बज रही थी। ऐसे मे किसी का भी पढ़ने का मन कैसे हो सकता है। कोई भी लेक्चर नहीं लगा रहा था। सभी स्टूडेंट्स पोर्च में खड़े थे। रिया और सुधीर भी वहीं थे। दोनों क्लासमेट्स है नही जानते। कब कोई कहानी कहाँ जन्म ले लेती है किसे पता। क़ुदरत भी किन -किन रगों से खेलती है और जीवन को सतरगीं सपनों से सजा देती है। 

सुधीर रिया को कनखियो से देख रहा था। 

अचानक से रिया ने जाने क्या सोचा,

 थोड़ी बारिश थमी तो वो बाहर की ओर चल दी, 

 चारों तरफ़ पानी ही पानी था। वाइट सूट में इक महकी सी ग़ज़ल सी लग रही थी। सुन्दर तो वो थी। बारिश का एन्जॉय करती हुई।हॉस्टल की तरफ़ चलती जा रही थी।वह धीरे -धीरे मुस्कुरा भी रही थी।और कहीं कोई और भी रिया को देखकर मुस्कुरा रहा था।ये रिया जानती थी लेकिन उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपने ही ख़यालों में हँसती हुई शैतानियाँ करती हुई घर आ गई। 

दो शख़्स अनजान से जो कभी भी रूबरू भी नहीं हुए न कोई बात हुई फिर कैसे ही उनके दिलों में ये हलचल हो रही थी।  

 रिया की मुलाक़ात सुधीर से अचानक हो जाती तो रिया के मन मे हलचल सी होने लगती। पढ़ते थे दोनों एक ही क्लास में लेकिन शायद सुधीर क्लास में बहुत कम ही आता था मेहता सर (अंग्रेज़ी) का बेटा जो था। इसलिये रोज क्लास में आना ज़रूरी नही लगता था उसे। जाने कहाँ ग़ायब रहता। उनकी नोट्स लेने और स्टडी के अलावा कोई बात नहीं होती थी। लेकिन रिया की आँखें अकसर उसे खोजती।

अचानक जैसे ही दोनों की आँखे मिलती दोनों मुस्कुरा देते। दोनों के मन में कुछ तो था जो उनकी आँखों से ब्यान होता था। रिया जब भी कोलज जाती तो जाने कहां से एकदम सुधीर रिया के सामने आ जाता और उसे एकदम से हैरांन कर देता। फिर एक दिन............ 

सुधीर ने रिया को बाहर मिलने के लिए कहा लेकिन रिया ने मिलने से साफ़ इंकार कर दिया लेकिन सुधीर बार -बार उसे मना रहा था। एक बार तो मिल लो “ तुम्हे मिलना होगा इक बार तो।

नहीं मैं नहीं आऊँगी कभी नहीं आऊँगी, मैं जानता हूँ अगर मैं करूगाँ तो तुम ज़रूर आओगी मैं तुम्हारा इंतज़ार रहेगा, 

तुम्हें आना होगा मेरे लिये करते रहो कितना भी इंतज़ार,मैं नहीं जाऊँगी आज भी नही कल भी नही, कभी नहीं।

मैं रोज शाम वहीं तुम्हारा इंतज़ार करूँगा तुम ज़रूर आओगी - ये मेरा तुमसे “ वादा “ है।     

यह कहकर सुधीर चल दिया। 

उससे मिलना चाहता था। लेकिन रिया ने उससे मिलने से इनकार कर दिया तो तो सुधीर ने रिया की फ़्रेड को मैसेज लिख कर दिया कि वह कल शाम उसका वहीं इंतज़ार करेगा। उसे आना पड़ेगा। उसे बात करनी है कुछ ज़रूरी। ये कहकर वह चल दिया। रिया - सुधीर को मिलना नहीं चाहती थी। 

जाने क्यूँ ?

फिर भी रिया की दोस्त उसे मनाती रही हर शाम। 

अन्त में रिया मिलने को तैयार हो गई अंक दिन।वो मिलने जाने लगी और पूरा रास्ता जाने किन -२ ख़्यालों में मुस्कुराते हुए बीता फिर वो वहाँ पहुँचते है तो पता चलता है कि सुधीर उनका कई दिनों से रोज शाम यहीं इंतज़ार करता था लेकिन वो नही आती। आज भी कई देर इन्तजार करता रहा लेकिन अब में वहाँ से जा चुका था। जाते -२ रिसैप्शन पर एक मेसेज दे गया था।कि कुछ एमरजैन्सी हो गई है। कि वह उदास होकर अब जा रहा है उसने बहुत देर तक इंतज़ार किया लेकिन तुम नहीं आई, 

 “किस्मत मे हुआ तो फिर मिलता हूँ “यह लिखकर वो चला गया। 

रिया हाथ में नोट पकड़कर सुन्न खड़ी रही कि ऐसा क्या हुआ कि सुधीर को जाना पड़ा और वो भी बिना मिले।उसके पास तो उसका फ़ोन नम्बर भी नही। कैसे पूछे ?? इस मैसेज ने रिया के सपनों को चूर-चूर कर दिया उसकी चाहत को ख़ामोशी में बदल दिया। 

 आज भी जब वो लम्हा याद आता है और रिया को लगता है कि वह आज भी उसका वहीं इंतज़ार कर रही है।जाने क्यूँ उसे यक़ीन था कि एक बार तो वह ज़रूर आएगा। इसी तरह एक साल हो गया यानी ग्रेजुएशन पूरी हो गई थी। और दूसरे कॉलेज में बीएड में एडमिशन ले लिया हाँ उसकी दोस्त तो अभी वहीं उसकी गवर्नमेंट कॉलेज में थी वो भी शायद वहा M.A कर रहा था इंग्लिश में।

वह रिया की दोस्त से मिलता और रिया के बारे में अक्सर पूछता और अपने वहाँ से जाने का कारण बता बार बार माफ़ी माँगता। रिया की दोस्त उसे बार -बार आकर उसे बताती है कि वह उसे बहुत चाहता है उससे मिलना चाहता है रिया मन ही मन उसे बहुत प्यार करती थी लेकिन उससे मिलना नहीं चाहती थी।वो नाराज़ भी थी बहुत सुधीर से कि खुद सामने आ कर क्यूँ नही बात करता। हमेशा उसकी फ़्रेड को ही मैसेज देता कि वो उसके बारे में क्या सोचता है और उसकी दोस्त उसे आकर बताती सब। रिया अपने ख़यालों में ही उससे प्यार करके ख़ुश थी। लेकिन सुधीर रिया की दोस्त को request करता की वो एक बार तो रिया से मिलवा दे।दोस्त के बहुत फ़ोर्स करने पर रिया मिलने को मान गई। फिर एक बार फिर उसी जगह पर रिया सुधीर से मिलने पहुँचते हैं कुछ देर इधर - उधर की बातें होती हैं कुछ देर बाद सुधीर कहते हैं वह रिया से कुछ कहना चाहता है वह बहुत ध्यान से उसकी बात सुन रही थी - कि अचानक सुधीर ने कहा कि “”उसकी गर्लफ़्रेंड नहीं चाहती कि वह उससे मिले। “” रिया ये सुनकर shocked हो जाती है। चिल्लाती है - क्या। उसे और कुछ सुनाई नहीं पड़ता कि उसके बाद सुधीर ने क्या कहा।वो बिना कुछ कहे रोते हुऐ वहाँ से जाने लगती है।कि सुधीर एकदम से उसका हाथ पकड़ता है और बहुत ज़ोर से हंस देता है। रिया चौंक जाती है ... सुधीर कहता है कि ... अरे स्टूपिड “ तुम ही तो हो मेरी गर्लफ़्रेंड “ अरे मज़ाक़ कर रहा था। सुधीर रोती हुई रिया को गले लगाकर कहता है कितने सालों से तरसा हूँ ये कहने को, कितना सारा इन्तज़ार किया इन लफ्जो को कहने के लिये। “आई लव यू मेरी बुद्धू।“

बाहर फिर उस दिन की तरह बारिश हो रही थी हल्की -हल्की जो दोनों के दिलों में प्यार के फूल खिला चमन को महका रही थी।


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