बिंदी तो शादी के पहले भी
बिंदी तो शादी के पहले भी
"अब इस शहर में मन नहीं लगता मोनिता! सच कहूँ तो मानव के बाद हर जगह उसकी यादें बिखरी पड़ी हैं, अब खुद को समेटना मुश्किल है!"आज काफी दिनों बाद अवनि की पुरानी सहेली मोनिता उससे मिलने और उसे सहेलियों संग तीज मेला में जाने के लिए बुलाने आई थी। बात की बात में दोनों सखियाँ कॉलेज़ के दिनों की यादें ताज़ा करने के लिए उन दिनों की तस्वीरों वाला एलबम देख रही थी कि साथ में कुछ तस्वीरें मानव और अवनि के पिछले मैरीज़ एनिवर्सरी की निकल आई और अवनि अपने दिवंगत पति को याद करके बहुत भावुक हो गई।सेंट्रल पार्क में सभी महिलाओं ने तीज के अवसर पर संगीत का कार्यक्रम आयोजित किया था और साथ ही वहाँ तीज मेला भी लगा था। उसीमें शामिल होने का आग्रह कर रही थी मोनिता अवनि से। जब अवनि मानव को याद करके एकदम रुआंसी होकर बोली तो मोनिता उसके दर्द को महसूस करके उसका हाथ पकड़कर बोली,
"देख ना अवनि इतना अच्छा कार्यक्रम होगा कितनी सारी सहेलियाँ आएंगी। तुम चलो ना, यहाँ बेकार उदास होकर बैठी रहोगी!" "वही तो मैं कह रही हूँ मोनिता! पहले कितने शान से मानव के साथ आती थी वहाँ। तब उन सहेलियों के बीच मेरी और मानव के प्यार और सुंदर जोड़ी की बात सभी करते थे। आज अपना सुहाग खोकर तुम सुहागिनों के बीच में मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा है। मैं आखिर तीज मेले में जाकर करूँगी भी क्या। ना तो कोई सुहाग की चीज खरीद पाऊँगी और ना ही पहले की तरह तुम सबकी हँसी ठिठोली में साथ दे पाऊँगी। इसलिए रहने दे। मुझे नहीं जाना!" कहकर कृति और भी उदास होकर उठकर बालकनी में चली गई। पीछे से मन्नी उसकी चाय का कप भी लेकर बालकनी में आ गई और कृति को उसके कॉलेज पिकनिक की कुछ तस्वीरें दिखाते हुए बोली,"ये देख अवनि इन तस्वीरों में तू कितनी प्यारी लग रही है। कितना सुंदर सूट पहन रखा है तूने । मुझे याद है तेरे लम्बे बालों की ये खजूरवाली चोटी की वेणी मैंने ही तो बनाई थी और तेरी ये चूड़ियाँ देख कितनी रंग बिरंगी और जँच रही हैं तेरी गोरी कलाइयों में!" अब अवनि भी बड़ी उत्सुकता से उन तस्वीरों को निहारने लगी थी। अवनि का कौतूहल देखकर मोनिता बोल उठी, "अवनि, तुझे याद है, काज़ल कितना जँचता है तुम्हारी आँखों में, और तुमने तो इन तस्वीरों में बिंदी भी लगा रखी है। कितनी सुन्दर लग रही है तू काज़ल और बिंदी लगाकर और हाथों में ये रंगीन चूड़ियाँ वाह!
और गौर से देख ना, तूने तो पैरों में पतली सी पायल भी पहन रखी है!" अब अवनि थोड़ा उलझन में पड़ गई कि ये मोनिता कहना क्या चाह रही है? उसने कहा" वही तो मुझे यहाँ भी मानव की याद आ रही थी, हम ऐसे कार्यक्रमों में कितना एन्जॉय करते थे!" "तुम्हें अब नई यादें बनानी पड़ेगी। मानव की यादें शहर में नहीं तेरे दिल में है उसके प्यार को हिम्मत बना कमज़ोरी नहीं!" दोनों सहेलियां फिर मुस्कुरा पड़ी .अवनि अब मोनिता की बात समझ गई थी। सही तो कह रही है मोनिता कि चूड़ी, पायल, गले में चेन वगैरह तो वह शादी के पहले भी पहनती थी और काज़ल, बिंदी, लिपस्टिक वगैरह तो वह शादी के पहले भी लगाती थी। मानव और शादी से जो चीज मिला वह सिंदूर ही तो था। जिसे मन से सुहाग का प्रतीक मानती है अवनि। पर... अवनि तो पहले भी अवनि थी ना।
(समाप्त )