Kameshwari Karri

Inspirational

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Kameshwari Karri

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बिखरते रिश्ते

बिखरते रिश्ते

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यश ऑफिस से थक कर आता है देखता है कि बैठक में सूटकेस रखे थे उसे आश्चर्य होता है कि इंडिया से कौन आया है क्योंकि इतने बड़े सूटकेस तो वहाँ से ही आते हैं। दीप्ति को पुकारता हुआ अंदर जाता है और पूछता है कि दीप्ति इंडिया से कोई आए हैं क्या ? बाहर ही सूटकेस रखे हैं। गेस्ट रूम में रखवा देती। दीप्ति तैयार हो कर बैठी थी कहती है नहीं ये सूटकेस मेरे हैं इंडिया मैं जा रही हूँ। तुम्हारे लिए ही इंतज़ार कर रही थी। दीप्ति किसी की तबियत ख़राब है क्या अचानक क्यों जा रही हो ?

नहीं यश सबकी तबियत ठीक है मुझे इंडिया जाना है इसलिए जा रही हूँ। तुम पागल हो गई हो क्या ? अभी हमें आए हुए एक महीना भी नहीं हुआ क्या बात है? नहीं यश तुम से मैं कुछ कहना नहीं चाहती मैं जा रही हूँ याने कि जा रही हूँ बस …अरे यार !कुछ बोलो भी तो बात क्या है ? बस ग़ुस्से से जा रही हो मैंने तो तुम्हें कुछ कहा भी नहीं न ..

दीप्ति को अपना सामान बाहर की तरफ़ ले जाते हुए देख यश कहता है कि ठीक है दो मिनट रुको दीप्ति मैं तुम्हें एयरपोर्ट छोड़ने आता हूँ। यश कोई ज़रूरत नहीं है मैंने केब बुला लिया है वह आ गया है मैं जा रही हूँ बॉय कहते हुए केब में बैठ कर दीप्ति चली गई। यश सर पकड़ कर बैठ गया कि पिछले एक महीने से जो पेंडिंग काम था वह आज ख़त्म हुआ है सोचा दीप्ति के साथ कहीं घूमने जाने का प्लान बना लूँगा क्योंकि काम के कारण उसके साथ समय भी नहीं बिता पाया। पर दीप्ति को हुआ क्या है? हमारी शादी को हुए डेढ़ महीना ही हुआ है।  

यश सोचने लगा कि दीप्ति की माता भवानी और पिता रामेश्वर बैंगलोर में रहते हैं। उसने भी वहीं से इंजीनियरिंग में स्नातक किया है और माता-पिता की अकेली संतान है। यश अपनी माता मंजुला और पिता विश्वनाथ के साथ हैदराबाद में रहता है। उसने इंजीनियरिंग के बाद अमेरिका में एम एस किया और वहीं एक कंपनी में नौकरी करने लगा है। दो महीने पहले माँ की जिद के कारण मैं छुट्टी लेकर जब इंडिया गया था माँ ने दीप्ति के बारे में बताया था। माँ लोगों की पहले से ही बातें हो गई थी उन्हें दीप्ति बहुत पसंद आई थी इसलिए हम दोनों ने एक-दूसरे से बात करके हमारी हामी भर दी बस फिर क्या चट मँगनी पट ब्याह हमारी शादी हो गई। हम थोड़े दिन वहाँ रहकर अमेरिका आ गए। हमें यहाँ आए हुए अभी एक महीना ही हुआ था। यश उदास हो गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ ? किससे बात करूँ ? वह माता-पिता को परेशान भी नहीं करना चाहता था।  

दूसरे दिन उसने दीप्ति को फ़ोन किया कि वह सही सलामत पहुँच गई है न उसने कहा हाँ मैं पहुँच गई हूँ। यश ने कहा दीप्ति अब तो बता दो मुझसे क्यों नाराज़ हो दीप्ति ने जवाब दिए बिना फ़ोन काट दिया। यश ने माता-पिता को फ़ोन किया और बताया कि दीप्ति वापस इंडिया चली गई है क्यों गई है उसने नहीं बताया है आप लोग एक बार बैंगलोर जाकर दीप्ति से बात कीजिए और पता लगाइए कि आखिर उसे ग़ुस्सा क्यों आया है। माँ ने कहा तुम फ़िक्र मत करो यश बेटा मैं और पापा जाकर पूछताछ करेंगे।  

दोनों ने दूसरे ही दिन के टिकट करा लिया। यश के पापा एल.आई.सी में काम करते थे। अपने सहकर्मियों की सहायता लेकर वे दोनों दीप्ति के घर पहुँच गए। यश के माता-पिता को देखते ही दीप्ति के माता-पिता को पता चल गया कि ये लोग क्यों आए हैं। उन्होंने बेमन से इनका स्वागत किया क्योंकि वे नाराज़ थे कि दो महीने ही हुए हैं बेटी की धूमधाम से शादी कराई थी और बेटी पति से दुखी होकर वापस घर आ गई। यश की माँ मंजुला ने उन्हें नमस्ते किया और कहा कि हम दीप्ति से मिलने आए हैं पर दीप्ति की माँ भवानी का कहना है कि दीप्ति अपने ससुराल वालों से नहीं मिलना चाहती है।  

मंजुला ने कहा देखिए मैं दीप्ति से बात करके पता लगाना चाहती हूँ कि आख़िर बात क्या है क्योंकि मुझे भी पता चलना चाहिए कि मेरे बेटे में ऐसी कौन सी कमी है जिसके कारण बहू नाराज़ हो गई है।  

भवानी टस से मस नहीं हुईं। जब मंजुला ने कहा कि मैं बहू से बिना मिले नहीं जाऊँगी तब आधे घंटे के बाद दीप्ति बाहर आती है। काफी देर तक पूछताछ करने के बाद जो कारण उसने बताया उसे सुनकर दीप्ति और यश दोनों के माता-पिता के मुँह से आवाज़ नहीं निकली। उसने बहुत ही उदास- सा चेहरा बनाकर कहा माँ पापा आप लोगों को मालूम है मैं यश के साथ एक महीने वहाँ रही पर एक दिन भी वह मुझे घुमाने बाहर नहीं लेकर गए , ऐसे पति के साथ मैं नहीं रह सकती सॉरी मैं उनसे तलाक़ लेकर यहाँ नौकरी ढूँढ लूँगी आप लोगों पर बोझ नहीं बनूँगी। उसके आँखों से आँसू बहने लगे। चारों के मुँह से एक साथ निकला क्या!!!!!!!

भवानी और रामेश्वर ने मंजुला और विश्वनाथ से माफ़ी माँगते हुए कहा हमने आप लोगों को ग़लत समझा अब पता चल गया है कि बात क्या है ? हमें भी नहीं मालूम है कि किस कारण से यह वापस आ गई है जब से आई है रोते जा रही थी इसलिए हमने भी कारण नहीं जाना लगा बहु बड़ा प्राब्लम है। हम उसे समझा देंगे। पढ़ी लिखी तो है पर अकेली होने के कारण हर छोटी समस्या को बहुत बड़ा बना कर देखती है। मंजुला ने कहा कि दीप्ति यह तो छोटी सी बात है। मैं अभी यश को फ़ोन करके पता करती हूँ !!! रुको मेरी बेटी को घर में बिठाने के लिए ले गया है क्या? तुम्हारे सामने ही डाँटूँगी। यश को वीडियो कॉल किया और बात बताई तो वह ज़ोर - ज़ोर से हँसने लगा पगली मुझसे एक बार बात कर लेती न ? 

असल में माँ आपकी गलती है दो महीने के लिए मुझे बुलाया तो मेरा बहुत सारा काम पेंडिंग में रह गया था मुझे उसे सबमिट करने के लिए डेडलाइन दिया गया था बस मैं चाहता था कि जल्दी से पूरा करके सबमिट कर दूँ ताकि हम कहीं जा सके। तुम भी दीप्ति तुमने तो मुझे डरा ही दिया था। जिस दिन तुम इंडिया के लिए निकली उसी दिन मेरा काम हो गया था मैं ख़ुशी - ख़ुशी घर आया था कि हम कहीं जाने का प्लान करेंगे पर तुमने तो मेरी बात नहीं सुनी न कुछ बताया था। वह हँसने लगा और कहा बोलो कब की टिकट बुक करूँ। दीप्ति अपने किए पर शर्मा गई उसने कहा अब कभी ऐसी जल्द बाज़ी में निर्णय नहीं लूँगी सबसे माफी माँगती है सबको तकलीफ़ देने के लिए। सब लोगों ने राहत की साँस ली और माँ ने भी उसे समझाया कि बिना कारण जाने छोटी सी बात पर इस तरह के निर्णय नहीं लेना चाहिए। एक दूसरे को समझो तभी यह बंधन मज़बूती से टिकेगा। सबने मिलकर खाना खाया और दूसरे दिन दीप्ति को फ़्लाइट में चढ़ाकर मंजुला और विश्वनाथ भी वापस हैदराबाद आ गए।  

बच्चों को समझाना चाहिए कि वैवाहिक संबंध बहुत नाज़ुक होते हैं उन्हें समझदारी से निभाकर ही हम अपने जीवन में ख़ुशियाँ ला सकते हैं और अपने बिखरते रिश्तों को बचा सकते हैं न कि बात - बात पर सूटकेस लेकर मायके आ जाने से या तलाक़ की धमकियाँ देने से तब तो ख़ुशियाँ नहीं ग़म ही मिलेंगे। अच्छा हुआ कि इन दोनों ने अपने बिखरते हुए रिश्तों को जल्दी से सँभाल लिया। 



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