बिखरे मोती

बिखरे मोती

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"अरे वाह आंटी ....हलुआ तो बड़ा टेस्टी है ......और कल जो आपने कद्दू की सब्जी दी थी ना, वो भी बड़ी स्वाद बनी थी !"

अक्सर पीoजीo वाली लड़कियाँ शगुन को ऐसे कहती और शगुन मुस्कुरा देती !

"अच्छा आंटी ......आप हमे इतनी अच्छी -अच्छी चीजें बना कर खिलाती हैं, इससे आपको क्या मिलता है ?"प्रियंका ने जिज्ञासावश पूछ ही लिया !

"बहुत कुछ ......!"

"पर हम तो आपको सिर्फ किराया ही देते हैं खाने का तो कभी कुछ .......!"

"सही कह रही हो तुम .......पर बेटे हर चीज की कीमत पैसा नहीं होती ...... मेरी खुद की बेटियाँ बाहर रहती हैं .....तुम्हें खिलाती हूँ तो मेरी ममता संतुष्ट हो जाती है, दूसरे तुम आज यहां हो कल तुम सब पता नहीं कहाँ-कहाँ जाओगी ......पर तुम जहां भी रहोगी अपने इस समय को बड़े प्यार से संजो कर रखोगी, जब भी इस समय को याद करोगी, तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान आ जाएगी .....और वो मुस्कान ही मेरी इस सेवा की कीमत है ......समझीsssssss !"कह कर शगुन फिर से मुस्कुराने लगी !

प्रियंका और मनप्रीत को शगुन की बात समझ नहीं आयी ....शायद उनकी उम्र नहीं थी ये सब समझने की !

पर जवाब में वे दोनों भी मुस्कुरा दी थी !


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