बीमारी अंत नहीं
बीमारी अंत नहीं
"क्या बात है नियति यूं उदास क्यों बैठी हो?" कैफे में नियति से मिलने आई श्रीती ने पूछा।
"बहुत समय से सीने में एक गांठ उभर रही थी मेरे मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया श्रीती अब उस गांठ में मवाद निकल था है और दर्द भी होने लगा है। मैं बहुत परेशान हूं ये क्या है!" नियति उदास हो बोली।
" तू पागल है जो अब तक डॉक्टर को नहीं दिखाया तूने!" श्रीती गुस्से में बोली।
" पर श्रीती मुझे डर लग रहा था अगर वो कैंसर की गांठ हुई तो?" नियति डरते हुए बोली।
" तो क्या शुतुरमुर्ग की तरह रेत में मुंह छिपा लेगी तो परेशानी नहीं आएगी...अरे बीमारी होती भी है तो उसका इलाज करवाने से सही होती है उसे छुपाने से नहीं!" श्रीती बोली।
"पर मेरे बच्चे....पति... अगर मुझे कुछ हो गया तो उनको कौन देखेगा नहीं मैं उन्हें नहीं बता सकती इसलिए तुझे बुलाया है यहां!" नियति लगभग रोते हुए बोली।
" तू इन सबके बारे में मत सोच अभी पहले टेस्ट करवा स्थिति स्पष्ट होना जरूरी है चल मेरे साथ डॉक्टर के यहां चेकअप बाद ही तो पता लगेगा!" श्रीती बोली और नियति को ले डॉक्टर के पास अस्पताल में आईं।
सब टेस्ट हुए और आखिर में वहीं हुआ जिसका डर था नियति को सेकंड स्टेज का ब्रेस्ट कैंसर था। नियति सिर पकड़ कर बैठ गई। श्रीती ने सबसे पहले उसके पति चेतन को फोन लगा ऑफिस से घर आने को कहा। सारी बात जानकर चेतन को पहले तो बहुत गुस्सा आया कि उसकी पत्नी ने उससे इतनी बड़ी बीमारी छिपाई । पर नियति की हालत देख उसने खुद पर कंट्रोल किया। नियति को चेतन के हवाले कर श्रीति तो चली गई।
" नियति क्या हुआ बीमारी ही तो है ठीक हो जाएगी तुम क्यों परेशान हो!" चेतन नियति को गले लगा बोला।
"पर चेतन कैंसर है मुझे कोई छोटी मोटी बीमारी नहीं है। माना तुम इलाज करवा दोगे पर वो असर होगा? कल को मुझे कुछ हो गया तो मेरे बच्चों का क्या होगा। और कीमोथेरपी के साइड इफेक्ट उफ्फ नहीं चेतन मैं ये सब नहीं झेल पाऊंगी।" नियति रोते हुए बोली।
" देखो नियति साइड इफेक्ट होते हैं पर कुछ समय के लिए इंसान धीरे धीरे सही होने लगता है। रही बच्चों की बात कुछ समय बाद तुम खुद बच्चों को संभालोगी अपने क्योंकि तुम्हे कुछ नहीं होगा। हां तुमने बीमारी छिपा थोड़ी देर कर ली पर इतनी भी नहीं। तो किसी बात की टेंशन लिए बिना इलाज के लिए खुद को तैयार करो समझी।" चेतन ने समझाया।
फिर शुरू हुआ नियति का इलाज पहले एमआरआई करके सारी कंडीशन देखी गई । फिर सर्जरी , कीमोथेरेपी और दवाइयों का दंश। इन सबका असर ये हुआ की नियति के बाल झड़ गए और बहुत ज्यादा कमजोरी आ गई। हालांकि सर्जरी सफल रही पर अब असली परीक्षा थी नियति का आत्मविश्वास वापिस लाना।
" नियति चलो ब्रेकफास्ट करो!" चेतन नियति के कमरे में आ बोला।
" चेतन तुम मेरे कमरे में मत आया करो बहुत बदसूरत हो गई हूं मैं!" नियति आईने में देखती हुई बोली।
" नियति आईने से पूछोगी तो वो तो झूठ ही बोलेगा मुझसे पूछो मेरी नियति कितनी सुन्दर है!" चेतन नियति को बिस्तर पर बैठता बोला।
" झूठ बोलते हो तुम नहीं चाहिए मुझे तुम्हारी झूठी हमदर्दी सच यही है कि मैं बदसूरत हूं और कोई मर्द बदसूरत बीवी पसंद नहीं करता!" नियति गुस्से में चीखती हुई बोली।
" नियति ये जो तुम्हें बदसूरती लग रही ये तो खुशकिस्मती है तुम्हारी। तुमने इतनी बड़ी बीमारी को हराया है तुम अपने परिवार के साथ हो क्या ये काफी नहीं तुम्हारे लिए। सब धीरे धीरे सही होगा पर तुम हिम्मत हरोगी तो कैसे मैं तुम्हारे साथ हूं पर मुझे तुम्हारा साथ देने के लिए भी तो सहारा चाहिए तुम हार जाओगी तो मैं कैसे जीतूंगा!" चेतन दुखी होता बोला।
" नियति इतना प्यार करने वाला पति मिला है भगवान की दया है जो तू बीमारी को हरा परिवार के साथ है अब ये सब खोने मत दे हिम्मत से खुद को संभाल और फिर से उठ खड़ी हो इससे पहले कि सब तुझसे दूर होने लगे!" नियति के अंतर्मन से आवाज़ आई।
" तुम सही कहते हो चेतन मुझे तुम्हारी नज़र से देखना चाहिए और जिसका पति इतना अच्छा हो प्यार करने वाला हो वो बदसूरत कैसे हो सकती है मैं फिर से पहले जैसी हो जाऊंगी जब तुम साथ हो मेरे।" नियति चेतन का हाथ पकड़ कर बोली।
" ये हुई ना बात मेरी खूबसूरत सी बीवी की चलो अब नाश्ता करो!" चेतन ने उसका माथा चूमते हुए कहा।
वक़्त के साथ नियति ने अपनी नियति बदल दी और फिर से पहले जैसी हो गई क्योंकि उसके साथ चेतन जैसा पति और श्रीति जैसी दोस्त थी।
दोस्तों कैंसर आज के समय में बहुत सिर उठा रहा है जिसके लिए कहीं ना कहीं हम भी जिम्मेदार है। स्तन कैंसर महिलाओं में होने वाला आम कैंसर है पर अगर जरा सा ध्यान दे तो इसे शुरुआत में ही बढ़ने से रोक सकते हैं। बस जरूरत है थोड़ा जागरूक होने की। अगर जरा सा भी बदलाव महसूस हो तुरंत डॉक्टर की राय ले। छिपाना किसी समस्या का हल नहीं इलाज संभव है पर वक़्त से मिले तो।