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Shishira Pathak

Abstract Drama Tragedy

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Shishira Pathak

Abstract Drama Tragedy

भूख

भूख

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अरे जल्दी कर, आज नेता जी के बेटी की शादी है। खाना-पीना सब एकदम टिप-टॉप होना चाहिए, कोई कमी न हो। खाना को गर्म करो हम लाइटिंग की व्यवस्था देख कर आते हैं। ट्रिंग...ट्रिंग...हेलो....जी सर...जी सर, हाँ सब इंतज़ाम एक नम्बर कर दिए हैं, बस बारात का इंतज़ार है... जी सर....जी बरात जैसे ही आएगी उनका स्वागत धूम-धाम से करेंगे आप टेंसन न लेवें सर, किसी बात का शिकायत नहीं होगा, जी सर, नमस्ते। अरे बारात के स्वागत के लिए पटाखे लाये हो की नहीं तुम लोग...अरे सब मिल के मेरा मैरेज हॉल बन्द करवाओगे। जल्दी जाओ और तुरंत पटाखे का इन्तेज़ाम करो। अरे इलेक्ट्रिशियन कहाँ मर गया...मेन गेट पर लाइटिंग लगाए हो कि नहीं तुम, जाओ जा कर देखो वहाँ।ट्रिंग...ट्रिंग... हेलो जी सर, हाँ सर, खाना गर्मा-गर्म रहेगा आप चिंता न करें सर हम हैं न...हे.. हे.. हे.... सर आप एकदम निश्चिंत रहें....शिकायत का कोई भी मौका नहीं देंग, जी सर, रखते हैं। अरे ये डिश तो कल की है, तुम लोग सब मिल के मरवाओगे क्या , जाओ इसे फेंक कर नया बनाओ।

मालिक इसे अभी ही बनाये हैं, बिल्कुल फ्रेश है। होटल का मैनेजर, -" हम जितना बोले उतना करो, इसको फेंको और नया बनाओ ज्यादा बकर-बकर मत करो समझे"। मालिक लेकिन ये बर्बाद हो जाएगा।मैनेजर-, " तो....? क्या करे हम खा लें ? बर्बाद होता है तो होने दो, वैसे भी पूरा देश लूट खाया है नेताओं ने, अब हम अगर इन्हें लूटते हैं तो एक तरह से ये देश भक्ति हुआ न।जाओ जितना बोले उतना करो"। जो हुकुम मालिक।चलो भाई इस डिश को पीछे फेक कर आते हैं, कुछ घण्टे पहले शुद्ध बेसन और गाय के 5 किलो देशी घी का हलुआ बनाये थे, पता नहीं बासी कैसे हो गया। हमें क्या है फिर बना देंगे। हलवाई ने पूरा हलवा उठाया और पीछे फेंकने ले गया।

पूरी जगह पर सड़े खाने की बू फैली हुई थी।जैसे हीे उसने हलुआ को फेंका उसकी नज़र एक 4 साल के बच्चे पर गई। बिल्कुल नंगा बदन, पतले और निर्जीव हाथ, बहती हुई नाक, छाती के नाम पर पसलियों का पिंजरा, कमज़ोर हड्डी नुमा पैर, थकान और कमजोरी से भरी पीली पड़ चुकी आँखें और फ़टे हुए है। वह कुत्तों और मवेशियों के बीच बैठा अपनी हथेली पर कुछ रख कर कहा रहा था। बच्चे ने उसकी ओर बिना किसी भाव के नाक पोछते हुए देखा।

होटल का कर्मी उसे देख रहा था और बर्तन को उढेल रहा था। बच्चा मुँह चलाना बंद कर उस गिरते हलुए को एक टक देखने लगा। हलुआ गिरता देख बच्चा दौड़ कर कचड़े पर गिरे हलुए को उठा कर खाने लगा, और होटल कर्मी की ओर अपना मुँह चलाते हुए भावहीन थक चुकी आंखों से देखते हुए एक हल्की से मुस्कान दी।मैनेजर, "कहाँ रह गया, जल्दी इधर आ"। जी मालिक अभी आया। वह बच्चा उसी भावहीनता में ही..ही कर हंसते हुए कचड़े पर पड़े हलुए को उठा कर खा रहा था। उसके नाक पोछने की आवाज़ सन्नाटे को रह-रह कर चीर रही थी।


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