सपना
सपना


अमित 6वीं कक्षा में पढ़ता था। उसके पिता भारत सरकार में काम करते थे और उनका तबादला होता रहता था। इस बार वो एक बड़े शहर से 20-25 कि.मी दूर स्थित टाउन में चला गया। वहाँ उसे नए स्कूल में दाखिला लिया। उसके घर के पास एक बड़ा सा मैदान था जहाँ क्रिकेट की कोचिंग कराई जाती थी। वो हर रोज़ बच्चों को कोचिंग करते देखता था। उसे क्रिकेट खेलना बहुत पसंद था। कुछ दिनों बाद उसने भी उस कोचिंग में अपना नामांकन करा लिया। शुरुआत में उसे खेल सीखने में कुछ परेशानी हुई पर बाद में वो चमड़े की गेंद का आदि हो गया। वो लेग स्पिन करने की कला सीख रहा था, साथ ही साथ वो 6वें नम्बर पर एक अच्छा बल्लेबाज़ भी बन रहा था। अमित की बॉलिंग कमाल की थी। वह जब बॉल डालता था तो उसकी बॉल 3-3.5 फ़ीट स्पिन करती थी। जिस बाल को बल्लेबाज़ और विकेटकीपर वाइड समझ बैठते है वो बॉल सीधा विकेट ले उड़ती थी। उसके टीम के खिलाड़ी उसे शेन वार्न कहते थे।
कुछ दिनों बाद डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। उसमें उसने पहले मैच में 18 रन दे कर 7 विकेट चटकाए और महत्वपूर्ण 43 रन मात्र 4 ओवर में बनाए। दूसरे मैच में उसने 13 रन पर 6 विकेट लिए और 3 ओवर में 28 रन बनाए। इसी तरह से वो और उसकी टीम फाइनल में पहुंच गए और उनका मुक़ाबक 3 साल से लगातार चैंपियन टीम से था। कांटे
की टक्कर हुई चैंपियनो ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 194 रन बनाए। अमित ने 27 रन दे कर 4 विकट लिए। बल्लेबाज़ी में भी अमित 69 रन बना कर नाबाद रहा पर उसकी टीम 178 रन पर सिमट गई। मैन ऑफ द मैच और मैन ऑफ द सीरीज अमित को दिया गया। पूरे मैच को अमित के टीम के एक बड़े सर देख रहे थे। अमित को उन्होंने मैच के बाद बुलाया और 6 बॉल डालने को कहा, अमित ने 6 की 6 बॉल अलग ढंग से डाली। पहली बॉल लेग स्पिन, दूसरी बॉल ऑफ स्पिन, तीसरी बॉल गूगली, चौथी बॉल फिरकी, पांचवी बॉल चायना मैन और 6वी बॉल फ्लटर डाली। इतनी कम उम्र में उसकी बॉलिंग में इतनी धार और गम्भीरता देख उसके सर चकित हो गए। उन्होंने उसे उस शहर के बड़े क्रिकेट खिलाड़ी जो भारतीय टीम में खेल चुके थे, उनके सामने ऐसी ही बॉलिंग करने को कहा और बोला 1 हफ्ते बाद अमित को ऐसी बालिंग करनी होगी। अमित जी-जान से प्रैक्टिस करने लगा, लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था।
उसके पिता का ट्रांसफर ऑर्डर आ गया और उसे 3 दिन के अंदर सब कुछ छोड़ कर नए जगह और नए स्कूल जाना पड़ा। नए जगह पर क्रिकेट कोचिंग की सुविधा नहीं थी, उसकी कला बस उसके हाथों में सिमट कर खत्म हो गयी। नुकसान उसका हुआ, भारत की टीम का या फिर क्रिकेट का ये कोई नहीं जानता। आज अमित नौकरी करता है पर उसका दिल अब भी बॉलिंग करना चाहता है।