STORYMIRROR

sushil pandey

Tragedy

3.0  

sushil pandey

Tragedy

भारतीय इज्जत को और बट्टा लगा दिया आपने

भारतीय इज्जत को और बट्टा लगा दिया आपने

3 mins
106


राम जाने किस बात का गुरूर है उसे?

हाँ शायद! सियासत का सुरुर है उसे!

ये हमेंशा देती कहां है किसी का साथ?

पर रहेगी हमेंशा विश्वास जरूर है उसे।।

ज्योति का 1200 किमी साईकिल चलाकर मौत को मात देते हुये अपने पिता को लेकर गांव जाना निश्चित ही सराहनीय था, साथ ही लानत है उन राजनेताओं पर भी जो सराहना करते नहीं थक रहे हैं, भले ज्योति का ये काम काबिलेतारीफ था, पर था जनप्रतिनिधियों की असफलता का नतीजा ही।

"तो विधायक जी आप को क्या लगता है साईकिल देकर आपने अपनी निष्क्रियता पर पर्दा डाल दिया? नहीं जनाब ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ और ऐसा करके भारतीय इज्जत को और बट्टा लगा दिया आपने अंतरराष्ट्रीय समाज में।"

हमारे पास 10 करोड़ लोग ऐसे हैं जो रात को भूखे पेट सोते हैं तो क्या आपकी सरकार आनन-फानन में आधी रात को लॉक डाउन लगाने के पहले ये सोच नहीं पाई की कल से उन 10 करोड़ भूखे सोने वाले भारतीय नागरिकों का क्या होगा, अच्छा आप लोग तो सिर्फ हिंदू मुस्लिम ही समझते हैं, तो कम से कम 7-8 करोड़ हिन्दूओं की चिंता कर लेते विधायक जी।

चलो मान भी लिया की ज्योति को साईकिल चलाने का शौक ही था तब भी क्या आप अपनी बिटिया को अत्यंत शौकीन होने के बाद भी उसे 1200 किमी जाने की इजाजत देते?

हाँ ठीक है आप की बेटी व्ही.आई.पी. की बेटी थी पर क्या ज्योति किसी की बेटी नहीं थी नेताजी?

कितनी बेशर्मी से उसे प्रेक्टिस करवाने की बात कह दिया आपने, सच अपनी बेटी के बारे ऐसा सोचकर भी आपका क

लेजा नहीं फट गया होता माननीय विधायक जी?

चलिए ज्योति को तो साईकिल चलाने का शौक था पर उसका क्या जिसे बैलगाड़ी में एक बैल की अनुपस्थिति में खुद को बैल की जगह नधना पड़ा अपने परिवार को घर पहुंचाने के लिए?

चलिए ज्योति को तो साईकिल चलाने का शौक था पर उसका क्या जो अपने चार साल के बच्चे की लाश को लेकर सड़क पर पैदल चलते हुए घर पहुंचा?

आप माने या न माने श्रीमान पर आपके दल के संस्कारो में ये रिवाज सा पनप गया है! आपने उसे साईकिल इसलिए दे दिया क्योंकि आपकी नजर में वो इंसान थी ही नहीं, आप की नजर में तो ये लोग आंकड़े हैं जो कोरोना वाइरस के दौरान प्रभावित थे असल में।

कैसे संसार के सबसे बड़े लोकतंत्र का मुखिया अनायास ही आधी रात को ऐसा निर्णय ले लेता है? ये जानते हुए भी कि देश की कुल आबादी का 95 प्रतिशत हिस्सा गरीब हैं जो कोरोना के उनके करीब पहुंचने से पहले भूख से दम तोड़ सकते हैं।

याद नहीं वो आये तुझको,दिल नहीं क्यों तेरा पसीजा,

ठीक नहीं थे बिरला-अडानी और नहीं थे कोई मखीजा।

राम राम तो करते हो, पर मानवता तो तनिक नहीं है,

राम मंदिर की मौतों में तो राम का भी था फटा कलेजा।।

हम जब तक जीते-जागते इन इंसानों को इंसान नहीं समझने लगते तब तक कुछ नहीं हो सकता इस देश का। श्रीमान बताइये तो 95 प्रतिशत गरीब जनता और 10 करोड़ भूख से बिलबिलाते लोगो के साथ हमें विश्वगुरु का तमगा अगर मिल भी जायेगा तो क्या उस तमगे को सर पर लगाकर दुनिया को दिखा पायेंगे हम?


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy