भारत में जल संचयन के प्रयास

भारत में जल संचयन के प्रयास

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आइए, आइए मेरे नन्हे श्रोतागण।

कल हमने पर्यावरण मित्र के नाते कुछ सुझाव रखे थे। आज हम जानेंगे कि हम जल संचयन यानि पानी बचाना और जल संवर्धन यानि जो जल है उसमें और वृद्धि कैसे कर सकते हैं। इसमें अपनी सहभागिता कैसे कर सकते हैं ।यह भी जानेंगे कि हमारे देश, भारत में कहां- कहां जल संचयन के सकारात्मक उपाय किए जा रहे हैं।

बच्चो,हरिमंदिर साहब जल बचाने का बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश दे रहा है। हम सभी जानते हैं की पूजा स्थलों की रोजाना साफ-सफाई और धुलाई होती है। ठीक उसी तरह श्री हरिमंदिर साहब के परिक्रमा पथ की धुलाई भी प्रतिदिन होती है। इसमें लाखों लीटर पानी व्यर्थ होता था। जिसे अब व्यर्थ होने से बचाया जा रहा है ।इसके लिए रेन वाटर रीसाइक्लिंग और हार्वेस्टिंग प्लांट स्थापित किया गया है ।"

"चाचा जी, हमारे स्कूल में भी इस विधि को समझाया गया है।किंतु क्या यह हम अपने घरों में भी कर सकते हैं ?"

"जरूर ,क्यों नहीं ? इस विषय पर फिर कभी मैं विस्तार से बताऊंगा कि कैसे लोग अपने घरों में, अपने कॉलोनी में वर्षा जल का संग्रहण कर रहे हैं।

यहां पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के सहयोग से यह प्लांट श्री हरिमंदिर साहिब में स्थापित किया गया है। परिक्रमा पथ के पानी के साथ -साथ कांपलेक्स में जमा होने वाले बारिश के पानी को भी इसके तहत दोबारा भूमि में भेजा जाएगा। इससे सीवरेज में अधिक पानी आने के कारण सीवरेज ब्लाक की समस्या भी खत्म हो जाएगी।"

"परिक्रमा पथ के धुलाई में हर रोज कितना पानी खर्च हो जाता था?" श्यामला ने पूछा।

" करीब 700000 लीटर !"

"इतना पानी बर्बाद हो जाता था ?" अमित आंखें फाड़ते हुए बोला।

"हां, अब इसी पानी को दोबारा उपयोग में लाया जा सकेगा।इस प्रोजेक्ट में दुनिया की आधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया है। इसमें डेप्थ फिल्टरेशन मॉड्यूलर टैंक सिस्टम स्थापित है। आधुनिक मशीनरी युक्त तीन तरह के टैंक बनाए गए हैं। पहले बैंक में परिक्रमा की धुलाई व बारिश का पानी आता है ।उसमें लगे हुए विशेष दो तरह के विशाल आधुनिक फिल्टर पानी से मिट्टी व अन्य तरह की गंदगी को पानी से अलग करके साफ पानी को दूसरे टैंक में भेजते हैं। दूसरा टैंक फिल्ट्रन टैंक है ।इसमें 4 तरह के फिल्टर है,जो पानी से हानिकारक तत्व ,कार्बन व खतरनाक तत्वों को अलग करते हैं ।इसके बाद पानी डिफॉल्टरेशन रिचार्ज चैम्बर में चला जाता है। वहीं से डबल फिल्ट्रेशन के बाद धरती के अंदर चला जाता है।इसके चार चैम्बर हैं जो 100 -100 फीट गहरे हैं। वहीं से दोबारा धरती के अंदर चला जाएगा इसके 460 गए हैं इन चारों में प्रति घंटे 300000 लीटर पानी साफ होकर दोबारा भूमि में समा जाएगा।इस प्रोजेक्ट पर 500000 से अधिक का खर्च आया है।"

"खर्च तो भरपूर आया है लेकिन अन्य बड़े मंदिरों के लिए एक संदेश है कि वह भी कैसे जल की बर्बादी को बचा सकते हैं।"मनीष ने कहा।

"पर्यावरण और जल संरक्षण के मद्देनजर यह प्रोजेक्ट अन्य लोगों के लिए एक मिसाल है। जल ही जीवन है यह संदेश सारी दुनिया तक फैलाने के लिए इस प्रोजेक्ट को स्थापित किया गया है। जल की एक बूंद भी इस परिसर में व्यर्थ नहीं जाएगी।यह सबके लिए गौरव की बात है। बच्चों, हम भी प्रण करें कि हम जल का दुरुपयोग नहीं करेंगे जहां कहीं खुले नल देखेंगे उन्हें बंद कर देंगे ।घर के बड़ों को भी जल के महत्व के बारे में समझाएंगे।"

"अवश्य चाचा जी ,,बहुत-बहुत धन्यवाद।"

"धन्यवाद बच्चों, कल फिर मिलते हैं।"


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