Satyam Tripathi

Abstract

4.6  

Satyam Tripathi

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भारत बंद

भारत बंद

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सोमवार का दिन था सप्ताहांत की खुमारी अभी ढंग से उतरी भी नहीं थी, बच्चे विद्यालय जाने के लिए तैयार हो रहे थे, महिलाएं गृहकार्यों में संलग्न थी। चाय की अडियां गुलजार थी, कोई अखबार पढ़कर दूसरों को ज्ञान चेप रहा था, कोई पान मुंह में दबाए चूने, कत्थे और अन्य पान मसालों का संयुक्त आंनद ले रहा था और कोई कुल्हड़ वाली चाय के साथ अंतरराष्ट्रीय राजनीति में पाकिस्तान और चीन को मुंहतोड़ जवाब देने का सुझाव।

रामदीन एक राजनीतिक पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता है वो चाय पान की दुकान पर अपनी वानर सेना(अपने जैसे अन्य समर्थको ) के साथ पहुंचा और कहने लगा अरे! तुमलोग इ कैसा मजमा लगाए हो जानते नहीं हमारी पार्टी ने बन्द बुलाया है पूरे भारत में, चलो बन्द करो इ दुकान वगैरह चलो अपने अपने घर जाओ सब। बाजार की सभी दुकानों को बन्द कराते हुए जुलूस के शक्ल में सभी कार्यकर्ता मुख्यमार्ग पर पहुंचे और अपने सम्मानित माननीय नेता के सानिध्य में चक्काजाम कर बैठ गए। इधर रामदीन का लड़का लखन खेलते खेलते छत पर से गिर गया,

उसे गंभीर चोटे आई थी जहां वो गिरा था वो पूरी जमीन रक्तरंजित हो गई थी हालांकि अब भी उसकी सांसे चल रही थी। उसकी पत्नी बच्चे को गोद में लेकर रोने लगी।

चीख पुकार सुनकर आस पड़ोस के लोग भी एकत्रित हो गए, उनमें से ही किसी ने एंबुलेंस को फोन कर दिया। लखन दर्द से तड़प रहा था और उसकी वेदना उसके मां की चीखों में साफ परिलक्षित हो रही थी। एंबुलेंस पास ही कहीं थी अतः कुछ मिनटों में ही वहां पहुंच गई। पड़ोस का राधेश्याम और लक्ष्मी लखन को लेकर एंबुलेंस में बैठ गए, एंबुलेंस में बैठे बैठे लक्ष्मी बारंबार अपने पति को फोन लगाती रही पर उधर से कोई उत्तर नहीं मिला। इधर रामदीन पार्टी का हनुमान सरीखा भक्त बने नेताजी के साथ मुख्यमार्ग पर अंगद की भांति पैर जमाए बैठा रहा।

मुख्य मार्ग के भीषण जाम में फसी एंबुलेंस के ड्राइवर पर राधे और लक्ष्मी बराबर दबाव बनाए हुए थे, ड्राइवर अजीब असमंजस की स्थिति में था क्योंकि गाड़ी न तो आगे बढ़ रही थी और न ही अब पीछे ले जाई जा सकती थी, पीछे गाड़ियों की लंबी कतार लग चुकी थी। कुछ देर पश्चात ड्राइवर उतर कर जाम का कारण जानने के लिए आगे गया वहां लोगों को रास्ता रोकें देखकर हाथ जोड़ कर उनसे कहा भाईसाब जाम में एक मरीज है उसकी स्थिति बहुत खराब है हमें जाने दीजिए। इतना सुनते ही नेतृत्वकर्ता नेताजी आग बबूला हो गए और चिल्लाने लगे एक आदमी की जान हमारे अधिकारों से ज्यादा महत्वपूर्ण है, हमारा सदियों से शोषण हुआ है और हम अपने हक की लड़ाई भी न लड़े। ड्राइवर बड़ी विनम्रता से बोला साहब वो छोटा बच्चा है उसने तो किसी का शोषण नहीं न किया है उसकी जान चली जाएगी, जाने दीजिए हमें।

परिवर्तन और क्रांति की राह में मुश्किलें आती रहेंगी और हमें उनका डट कर सामना करेंगे साथियों, नेताजी ने ड्राइवर को लगभग अनसुना करते हुए हुंकार भरी। रामदीन ने खड़े होकर नेताजी का जयघोष किया। चहुंओर नेताजी की जय के नारे गूंज उठे। ड्राइवर अपना सा मुंह लिए हताश लौट आया। कुछ देर जाम खुलने का इंतज़ार करने के बाद राधेश्याम बाहर आया और देखा की अगर किसी तरह आगे वाली गली मोड़

तक पहुंचा जा सके तो अंदर ही अंदर अस्पताल पहुंचा जा सकता है। उसने ये बात ड्राइवर से बताई और काफी जद्दोजहद एवं अनुनय विनय( अन्य वाहन चालकों से) करने के बाद एंबुलेंस गली में दाखिल हुई और एक लम्बी दूरी तय कर अस्पताल पहुंची। इधर किसी ने रामदीन को सूचना दी की उसका बेटा गिर गया है और उसे अस्पताल ले गए है। वह यथाशीघ्र अस्पताल पहुंचा और उसे देखकर बिलखती हुई लक्ष्मी उससे लिपट गई और रोते रोते हो पति से पूछा आप कहा रह गए थे मैंने जाने कितनी बार

आपको फोन किया। रामदीन बोला उ हाईवे पर अपने लोगों के अधिकार के लिए चक्काजाम रखा था उसी में था। तभी डॉक्टर बाहर आए और उन्होंने कहा काश आपलोग थोड़ा पहले आ गए होते तो आपके बेटे की जान बच जाती। इतना सुनते ही लक्ष्मी की आंखे अपने पति के प्रति क्रोध और घृणा से भर गयी और जिस प्रकार गोकुल मे इन्द्र का कोप वर्षा बनकर गिर रहा था ठीक उसी तरह लक्ष्मी की आंखों से अश्रुधारा बह निकली। उधर शाम को नेता जी के घर पर भारत बन्द की सफलता पर एक शानदार जश्न का आयोजन किया गया।


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