शिव संवाद
शिव संवाद
शिव माता पार्वती के साथ शिवलोक में विराजमान थे। शिव शरीर पर बाघाम्बर धारण किए हुए, चिता की भस्म बदन पर लपेटें, गले में सर्प राज को धारण किए हुए रुद्राक्ष की मालाओं से सुशोभित थे उनके भीतर से निकलने वाला प्रकाश सहस्त्रों सूर्यो की आभा को मात दे रहा था। वहीं दूसरी ओर माता पार्वती षोडश सिंगार कर शिव के बाम भाग को सुशोभित कर रही थी। कुछ दूरी पर नंदी आदि शिवगण अपने कार्यों में व्यस्त थे। उसी समय ब्रह्मा के मानस पुत्र देवर्षि नारद जी नारायण नारायण का जाप करते हुए वहां पहुंचे नंदी आदि शिवगणों ने नारद जी को प्रणाम किया वहीं नारद ने शिव पार्वती को शीश नवाया। कुशलक्षेम के उपरांत नारद जी ने कहा प्रभु बधाई हो भारत वर्ष में सभी नशीली वस्तुओं का ब्रांड एम्बेसडर आपको बना दिया गया है। नारद के व्यंगपूर्ण वाक्य सुन शिव कुछ न बोले बस मुस्कुरा दिए वहीं माता पार्वती ने कहा वो कैसे? क्या मतलब है आपका? माता प्रभु सर्वज्ञ है आप उन्हीं से पूछिए नारायण नारायण। इतना कहने के बाद वो शिव और पार्वती को प्रणाम करके वहां से चले गए। पार्वती ने शिव जी से पूछा स्वामी ये नारद की गोल गोल लच्छेदार बाते मुझे समझ में नहीं आती है अब आप ही बताइए उनके कहने का तात्पर्य। क्या आपने मानव जाति को नशा इत्यादि करने को प्रेरित किया है?
देवी! तुम बिना जाने मानोगी तो नहीं अतः सुनो, नारद ने धरती लोक में वास कर रहे कुछ स्वार्थी, धनलोलुप मनुष्यों के चरित्र का उद्घाटन मात्र किया है।
धरती पर मनुष्य गांजा , शराब जैसी नशीली वस्तुओं को हमारा नाम लेकर प्रचारित कर रहे है। यहां नशा करने वाले लोग अपनी बुरी आदत को हमारा नाम लेकर सही सिद्ध कर रहे है। सिर्फ़ यही नहीं भोजपुरी और हिंदी के कुछ गीत तुम्हें और हमें लेकर अश्लील गाने तक बना रहे है। स्वार्थ की खातिर ये लोग मनुष्यता का नाश करने में लगे हुए है, बात को बीच में काटते हुए पार्वती ने कहा परन्तु स्वामी आपने तो विष का पान भी किया था फिर क्या ये लोग आप के नाम पर विष भी पीयेंगे। वहीं तो प्रिये! मनुष्यों और देवताओं के द्वारा को चीजें जो न सही जा सकी उन्हें मैंने स्वीकार किया। ये सारी चीजें विष का एक प्रकार मात्र है जिनकी क्षमता अपेक्षाकृत कम है। इसकी शक्ति को सहन कर सकने में मनुष्य असमर्थ है परन्तु कुछ स्वार्थी लोग अपने निहित स्वार्थों की खातिर मनुष्यों खासकर युवाओं और बच्चों को इस मकड़जाल में फसा रहे है। इस जाल में एक बार फंसने के बाद इससे निकलना मुश्किल होता है। तब प्रभु इन दुष्टों और बुरी आदतों से मानवता की रक्षा कौन करेगा, पार्वती ने कहा। देवी आप तो जानती है की मनुष्य के भीतर दैवीय और आसुरी दोनों ही गुण होते है, जिस प्रकार आसुरी गुणों की अधिकता वाले व्यक्ति इन जैसे दुर्व्यसन को फैला रहे है ठीक उसी प्रकार दैवीय गुणों की अधिकता वाले मनुष्य इन बुरी आदतों और दुष्ट मनुष्यों के प्रति समाज को जागृत कर रहे है और मानवता को पुनर्स्थापित।।
