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Kumar Vikrant

Crime Thriller

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Kumar Vikrant

Crime Thriller

भाड़े का हत्यारा भाग : २

भाड़े का हत्यारा भाग : २

6 mins
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अभी मुश्किल से आधा किलोमीटर ही दौड़ा था कि मेरी टाँगे जवाब दे गई और मैं धुल भरे उस रास्ते पर गिर पड़ा जिस पर मैं पिछले १० मिनट से दौड़ रहा था। गोली के घावों से लगातार खून रिस रहा था, मेरे कपड़े, जूते, हाथ सभी मेरे खून से तरबतर थे। मैं समझ चुका था कि यदि मुझे मेडिकल मदद न मिली तो मैं ज्यादा देर जिंदा बचने वाला नहीं था।

सड़क मुझसे सिर्फ २०० या २५० मीटर दूर थी, लेकिन सड़क पर मेरे पकड़े जाने का खतरा था, इसलिए मुझे जरूरत थी सड़क के इस छोर पर ऐसे घर की जिसमें में छिप सकूँ। मैं एक बार फिर अपनी सारी ताकत लगाकर उठ खड़ा हुआ और घिसटते-घिसटते जा पहुँचा सड़क के इस छोर पर स्थित मकान के पिछले दरवाजे पर। दरवाजा अंदर से बंद था, मैंने सामान्य तरीके से दरवाजा खटखटाया, कई बार खटखटाने के बाद मैंने घर के अंदर किसी के चलने की आवाज सुनी। अब मेरे इम्तिहान की घडी थी, मैंने अपनी बेल्ट में लगी रिवाल्वर निकल ली। दरवाज़ा एक कद्दावर आदमी ने खोला, मैंने रिवाल्वर उसकी छाती पर लगा दी और उसे पीछे हटने को कहा। अंदर आकर देखा तो ये कोई घर नहीं था बल्कि ट्रैक्टर वर्कशाप थी।

अंदर तीन या चार कमरे थे और कमरों के सामने बड़ा सा बरामदा था, बरामदे के सामने एक बहुत बड़ा आँगन था जिसने कई ट्रैक्टर खड़े हुए थे। बरामदे की डिम लाइट में उसने मुझे देखा और वो बिना रिवाल्वर की परवाह किये हुए बोला, "बहुत बुरा हाल है तुम्हारा, यहाँ क्या करने आये हो?"

"मुझे गोली लगी है, मुझे डॉक्टर की जरूरत है, मुझे किसी डॉक्टर के पास ले चलो, मैं तुम्हें बहुत पैसा दूँगा।" मैंने उसे लालच देते हुए कहा।

तभी वर्कशॉप के मेन गेट को जोर से खटखटाने की आवाज़ आई और कोई चिल्लाया- “दरवाज़ा खोलो पुलिस है।“

"तुम अंदर कमरे में छिप जाओ मैं देखता हूँ पुलिस को।" उस आदमी ने एक कमरे की और इशारा करते हुए कहा।

मैं कमरे में जा छिपा लग रहा था पुलिस पूरी वर्कशाप की तलाशी ले रही थी, तभी कोई बोला, "बहुत बकवास जगह है, वो घायल है किसी डॉक्टर के पास जायेगा, शहर के सब डॉक्टर्स को चेक करो।"

उसके बाद कुछ देर शांति रही, मेन गेट बंद होने की आवाज़ आई, और वो आदमी कमरे के अंदर आते हुए बोला, "बाहर तो चप्पे-चप्पे पर पुलिस है, डॉक्टर के पास तो तुम्हें नहीं ले जा सकता लेकिन पैसा दो तो डॉक्टर को यहाँ ला सकता हूँ।"

"मैंने जेब से २००० के नोटों वाली एक गड्डी से कुछ नोट निकाल कर उसे देने चाहे लेकिन उसने तेजी से मेरे हाथ से गड्डी झपट ली और बोला, "सारे देने पड़ेंगे तब इलाज होगा, अच्छा अब मैं जाता हूँ, तुम इस बेड पर लेट जाओ, मेन गेट का ताला बाहर से बंद करके जाऊँगा, अगर कोई दिक्कत आये तो पिछले दरवाज़े से भाग जाना।"

वो तो चला गया और मैं सोच में पड़ गया कि कौन था वो जिसके भरोसे मेरी जिंदगी थी? उसका नाम नहीं पता था न ही ये पता था कि उसका इस वर्कशॉप से कुछ लेना-देना भी था या नहीं। पुलिस के आने से उसे मेरी सच्चाई तो पता लग ही गई होगी, पुलिस ने तो अभी कोई इनाम नहीं रखा था मेरे सिर पर लेकिन विल सिटी के कई सरगना मेरी एवज अच्छा पैसा दे सकते थे उसे। खून का रिसाव तो रुक गया था लेकिन गोलियां शरीर में होने की वजह से मेरा शरीर अकड़ गया था, अब मुझसे हिला भी नहीं जा रहा था।

आज मुझे ऐसा लग रहा था कि ऊपर वाला मेरे कर्मों की सजा दे रहा था, १०० से ज्यादा लोगों को पैसा लेकर मारने वाला आज बेबस अपनी मौत का इंतजार कर रहा था। उस आदमी को

गए तीन घंटे से ज्यादा हो चुके थे और मुझ पर बेहोशी छा रही थी, लगता है मेरा आखिरी समय आ गया था। हर काम को प्लान बना कर अंजाम देने वाले के पास आज जिन्दा बचने की कोई प्लान नहीं थी। तभी बेहोशी मुझ पर हावी होती चली गई।

जब होश आया तो देखा एक मैं लेटा हुआ था और एक २२ या २३ साल का लड़का मेरे हाथ में लगी ड्रिप की स्पीड को एडजस्ट कर रहा था।

"तुम होश में नहीं थे इसलिए गोली नहीं निकाली, अब गोली निकलवाने को तैयार हो जाओ, अनेस्थिसिया का कोई इंतज़ाम नहीं है इसलिए दर्द बहुत होगा।" वो लड़का बोला।

"तुम डॉक्टर हो?" मैंने उसकी उम्र को सोचते हुए पूछा।

"नहीं, डॉक्टर भास्कर का सहायक हूँ........विश्वास हो तो गोली निकालूँ नहीं तो मैं चलता हूँ।" वो लड़का बोला।

मैं कुछ बोलता इससे पहले ही वो कद्दावर आदमी बोला, "सुन भाई मैं मैक हूँ और ये मोहन है, मुझे तेरी सारी कहानी पता लग गई है, तू जिन पुलिस वालो से बच कर भागा है उनमें से दो मर गए है और एक की हालत खराब है, पूरा पुलिस विभाग तेरी तलाश में जुटा है, अच्छे डॉक्टर की छोड़ कोई डॉक्टर तुझे देख ही ले इसका भी शक है मुझे, अब इस लड़के से गोली निकलवानी हो तो बोल नहीं तो छोड़ आता हूँ इसे।"

कुछ रास्ता न देख मैंने सहमति से सिर हिला दिया।

लड़का बिलकुल अनप्रोफेशनल था उसने मेरे हाथ पैर बेड पर कस कर बंधवा दिए और नुकीली चोंच वाले प्लायर जैसे औजार को गोली से बने ज़ख्म में डालकर गोली की तलाश शुरू की। गोली निकालने की सारी कवायद में जो दर्द मैंने सहा उसके लिए शब्द नहीं है। लेकिन वो लड़का बहुत तेज था १० मिनट में उसने दोनों गोली निकाल दी और जख्मों पर दवा लगा कर उन पर पट्टी कर दी।

उसके बाद मैक उस लड़के को छोड़ने चला गया, एक घंटे बाद जब वो आया तो चिंता के साथ बोला, "सुन भाई हर चोराहे पर पुलिस तैनात है शहर से बाहर जाने वाले हर वाहन की तलाशी ले रही है और अब तुझे यहाँ से जाना होगा, सुबह पुलिस घर-घर में घुस कर तलाशी लेगी, अंडरवर्ल्ड के लोगो को भी पता लग गया है कि तू घायल है इसलिए उनके आदमी पुलिस से पहले तुझे मार देना चाहते है और ऐसा लगता है सबसे पहले इस एरिया की कॉम्बिंग होगी।"

मेरी हालत तो हिल पाने की भी नहीं थी तो यहाँ से कैसे भाग जाऊँ समझ से बाहर था।

"बचना चाहता है? पैसा खर्च करना पड़ेगा।" मैक ने पूछा।

पैसा लेकर लोगो को मारने वाले से आज उसकी जान बचाने के लिए पैसा माँगा जा रहा था, ये सोचकर मैं हैरान था लेकिन फिर भी पूछा मैंने, "कितना पैसा चाहिए?"

"पचास करोड़....."

"क्या बकवास है, इतना पैसा नहीं है मेरे पास......."

"तुम्हें पता है कल जो ट्रक बेकाबू होकर तुम लोगों को कुचलने वाला था वो अंडरवर्ल्ड के किसी दादा का भेजा हुआ था जो क्राइम ब्रांच के पुलिस वालो के जरिये तुम तक जा पहुंचा था, वो लोग मुझे तुम्हारे सिर की एवज २५ करोड़ बिना किसी दिक्कत के दे देंगे, तुम्हारी वजह से उनके करोड़ों रुपये कमाने वाले आदमी मारे जा रहे है, इसलिए उन्हें तुम्हारा सिर किसी भी कीमत पर चाहिए......"

"कैसे निकालोगे तुम मुझे यहाँ से इस हालत में?" मैंने चिंता के साथ पूछा।

"तुम मुझे पैसा दो, कैसे निकालूंगा ये मुझ पर छोड़ दो।"

"पैसा तो मेरे यहाँ से निकलने बाद ही मिल सकेगा....."

"कुछ टोकन मनी दो, नहीं तो दफा हो जाओ यहाँ से......"

तभी वर्कशॉप का दरवाज़ा जोर से खड़खड़ाया जाने लगा।


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