बेवफाई

बेवफाई

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भोर का अहसास होते ही कालिन्‍दी प्रतिदिन की तरह उठ गई।

अपनी दिनचर्या शुरू की ही थी कि देखा उसकी छोटी बहन जो गाँव में रहती थी सुबह -सुबह आ पहुँची। देखा जीजी के दोनों हाथों में सुन्‍दर मेंहदी लगी हुई है वे उसे झडा़ कर साफ करते हुए बोली- अरे ! कल सुबह ही तेरे जीजा जी एक महीने की छुट्‍टी के बाद ज्‍वाइन करने काश्‍मीर गये हैं, रात में सामने वाली गुप्‍ताइन की लड़की मेंहदी सीख रही है उसी ने अपनी मम्‍मी को और मुझे लगा दी। बस बैठ मैं आई परन्तु तू रीना सबेरे-सबेरे। रीना बोली- कुछ नहीं जीजी इनको शहर में कुछ काम है इसलिए आ गये उसने तीनों बच्चों को प्यार से जगाय। चाय आदि देकर नाश्‍ता बनाया खिलाया। जीजी ने भी नहाया पूजा आदि की। रोज के काम निपटा ही रही थी कि देखा उसकी ननद आ रही है। उसने कहा- अरे ! दीदी आप। उसने भी कहा- भाभी इनको शहर में कुछ काम है इसलिए आ गये।

छोटी बहन और ननद को मालूम था कि भैया वहाँ सरहद की मुठभेड़ में रात दो बजे शहीद हो गए, उपचार के बाद भी वे नहीं रहे पर भाभी से कहें तो कहें कैसे क्‍योंकि मिट्टी शाम तक यहाँ आ पाएगी। ऑफिस से उसके भाई के पास इस घटना की सूचना आई थी। सुनकर वे भी स्तब्ध पर सबको दुःखद सूचना तो देनी ही थी परन्‍तु उन्होंने सभी से एक निवेदन भी किया जितना हो सके इस घटना की चर्चा सुबह सुबह ना करें। सभी रिश्तेदार आ आ कर मुहल्‍ले में एक दूसरे के यहाँ बैठे रहे।

बच्चों के स्कूल का समय होने लगा। वे तैयार हो ही रहे थे कि रीना ने कहा-अरे ! आज मौसी आई है न तो आज स्कूल कैंसिल। धीरे -धीरे उस दिन का दिन....अरे...राम राम।

काटे न कटे ऊपर से मई की गर्मी। धीरे सब आ जा रहे थे परन्‍तु कोई कुछ कहता नहीं। पूरे मोहल्ले में सन्नाटा।

सभी सिद्‍धाथ॔ की अच्‍छाई और उसके परिवार की बातें कर रहे थे। कालिन्‍दी का मन भी उचाट हो रहा था। खाना अन्दर नहीं जा रहा था। उसने थोड़ा सा खाया उठ गई। कुछ ही देर बाद देखा कि एक फौज की गाड़ी आ रही है उसके सामने भीड़ लगी हुई है जैसे ही उसने गाड़ी के सामने अपने भैया ओर रिश्तेदारो को देखा वह चिल्‍लाई री...ना. बाहर आ...कहती हुई बेहोश हो गई।

छोटे बच्चे समझ नहीं पा रहे थे कि ये क्या हो गया पापा को। सभी बिलख-बिलख कर रो रहे थे। शहीद की पत्नी को होश.तो आया ....उसने मेंहदी रंगें हाथों से कहा- ज.य.हिन्द ! उसे लगा आज सिद्धार्थ ने मेरे साथ बहुत बडी़ बेवफाई की और हाथों से मेंहदी की रंगत धुआँ-धुआँ सी होकर उड़ रही है। शहीद सिद्धार्थ की विदाई के जनसैलाब नम आँखों से उमड़ पडा़।


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