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sunita mishra

Inspirational

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sunita mishra

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खंडहर

खंडहर

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आज गाँव में बड़ी हलचल थी। सभी खुश थे अब उन्हें दवाई कराने के लिए शहर नहीं भागना पड़ेगा।

आज गाँव में जमींदार के बेटे के अस्पताल का उदघाटन था। जमींदार का बेटा समीर अब बहुत बड़ा डाॅक्‍टर बन चुका था।

उसे लंदन रिटर्न डाॅक्‍टर कहा जाने लगा। बहुत बड़े शहर में उसका प्राइवेट अस्पताल चलने लगा। एक डाॅक्‍टरनी से उसका विवाह हो गया।

वह अपने माता-पिता, भाई, बहन सभी को शहर ले आया। सभी खुशी-खुशी रहा करते। एक दिन समीर की बुआ की तबियत खराब हो गई तो वे गाँव से यहाँ आ गई।

यहाँ आते ही उनकी तबियत और खराब हो गई। वे समीर के अस्पताल में भर्ती हो गईं। वहाँ उनकी अच्छी देखभाल हुई। वे स्वस्थ हो गई।


एक दिन समीर से बुआ ने कहा-बेटा! समीर मुझे तेरा अस्पताल बहुत अच्छा लगा परन्तु मेरी एक इच्छा है बेटा! जहाँ तू पैदा हुआ था गाँव में। उस समय एक अवस्‍थी डाॅक्‍टर थे।उनकी कोई संतान नहीं थी। उन्‍होंने सबकी सेवा के उद्‍देश्‍य से घर में ही अस्‍पताल खोल लिया था।आज वे दोनों इस संसार में नहीं है। मैं चाहती हूँ, तुम वहीं अपना एक और अस्पताल खोल लो और वहाँ उनकी कभी-कभी सेवा प्रदान करो। समीर अपनी पत्नी के साथ उस खंडहर में पहुँचा वहाँ की हालत देख, उसे बड़ा कष्ट हुआ और उसने वहाँ एक सर्वसुविधा युक्‍त अस्पताल का निर्माण कराया और वे दोनों सप्ताह के तीन दिन शहर में एवं तीन दिन गाँव में सेवा देने लगे।


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