हौसला
हौसला
शाम होने कोआई मधु ने बेटे की पसंद काअच्छा -अच्छा खाना बनाया और पति व बेटे की आने राह देखती जाती तथा जीवन प्रगति के सपने देखती जाती कि कितने संघषऀ से उसने अपने बेटे संचित को पढा़या सदैव उसकी हौसला अफजाई की ।पापा तो कहते तू कुछ नहीं कर सकता मैं तो बाबूगिरी कर रहा हूँ तुझे और तेरी मम्मी को पाल रहा हूँऔर बोतल लटकाये और पी के चले आये मधुमालती शरम के मारे बाहर तक ना निकलती इन बेशर्म को कोई फक॔ न पड़ता घर आये गधयाये जैसे पूरा घर सिर पे उठाये हों और सो गये ।सबेरे माफी माँगने लगे खाये पियेऔर गाड़ी उठाये चले आफिस । पर
आज मेरे बेटे संचित की नौकरी का पहला दिन है । वह कई बार पापा को समझा चुका।हाँ हाँ कह देते हैं बस।वह सोच में डूबती जा रही थी।अब उसका विवाह करूँगी ऐसे घर में कौन विवाह करेगा कभी मैं भी पिट जाती हूँ कभी बच जाती हूँ ।मैं इनके कारण मायके भी नहीं जा पाती मेरे मायके ससुराल में कोई नहीं पीता इनके सिवाय ।कहाँ तक छिपाऊँ।मधुमालती को विचारों में खोये-खोये पता ही न चला कब बारह बज गए रात गुजरती जा रही थी। मधुमालती दरवाजे पर टकटकी लगाये देख रही थी और सोच रही थी पापा तो पापा,संचित नहीं आया अभी तक ।
अब उसकी घबराहट बढ़ने लगी। मोहल्ले में भी कहे तो किससे
कहे।घर का फोन भी खराब है ।वह हिम्मत करके पडो़स में गई
और संचित के दोस्त से सब कह सुनाया आज नौकरी का पहला दिन है ।उसके पापा और वह अभी तक घर नहीं आया ।उसने संचित को फोन लगाया ।संचित ने कहा-बस पहुँच गया घर।माँ से बोलो घर पहुँचे सब ठीक है ।मधुमालती घल पहुँची अपने पति को इस हालत में ,कीचड़ से सने कपडे़ ,गाड़ी तो गई ।
उसके मुँह से शब्द ना निकले ।तभी संचित ने कहा-आज मैं न होता तो इनके परखच्चे उड़ गए होते ।पी के गाड़ी चला रहे थे
ट्रक वाले नेटक्कर मारी भाग गया आप पहुँच गए नाली में ,वो
एक्सीडेंट का नाम सुनकर मैंने अपनी जीप रुकवाई।देखा तो
पापा ।अब मैं किससे क्या कहूँ एक इंजीनियर का बाप होके
इनके ये हाल हैं । गाड़ी पुलिस ले गई ।मधुमालती ने उन्हें उठाया
नहलाया खाना खिलाया और सुला दिया ।माँ बेटे न खाना खाया। संचित ने कहा -माँ!मैं जो कहने और करने जा रहा हूँ ।
उसमें आपको हौसला रखना होगा । मैं सबेरे पापा को नशामुक्ति केन्द्र में भर्ती कराने ले जा रहा हूँ ।अभी तक घर की
आर्थिक स्थिति के कारण मैं कुछ ना कह पाता था और ना कर
पाता था। अब मेरी सरकारी नौकरी लग गई है तो पापा को वेतन
नहीं मिलेगा तो चलेगा ।मधुमालती ने कहा_हाँ! बेटा अब पानी सिर के ऊपर तक आ गया। कब तक हम इज्जत को डरते रहेंगे। मैं हौसला रख स्वयं तुम्हारे साथ नशामुक्ति केन्द्र चलुँगी।