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sunita mishra

Drama

3  

sunita mishra

Drama

समानता

समानता

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चौधरी इक्काराम का डंका पूरे क्षेत्र में था। उनसे सभी कर्मचारी तक खौफ खाते थे। उनके नौकर चाकर सिर उठाकर बात नहीं कर सकते थे। सभी सिर झुकाए झुकाए मुँह बंद करके काम करते थे। जिसने मुँह खोला उसे कठिन भोगना पड़ता था। उनकी हवेली के सामने से कोई व्यक्ति जूते पहनकर नहीं निकल सकता था। इस नियम का पूरा क्षेत्र पालन करता था। कोई भी आता तो जूते हवेली के बहुत पहले ही एक कोने में उतारकर आता था।


एक बार बहुत अधिक धूप व गर्मी थी। भोला कुम्हार को दूसरे गाँव जाना था। उस गाँव का रास्ता केवल हवेली के सामने से होकर गुजरता था। भोला अपने घर से निकला हवेली तक पहुँचा, सोच ही रहा था क्या करूँ। उसने अपने जूते सिर पर रखे और हवेली का दरवाजा पार कर, उस पार जाकर जूते पहने और चल दिया। धीरे-धीरे यह खबर चौधरी तक पहुँची। चौधरी ने उसे बुला भेजा और सजा सुना दी। गाँव में हुक्का पानी बंद। सभी परेशान थे। परन्तु किसी में विरोध करने की हिम्मत नहीं थी।


चौधरी का नाती सुधार सिंह उसी समय विदेश से पढ़कर लौटा था। उसे जब यह सब मालूम हुआ तो उसे बडा़ दुख हुआ कि देश कहाँ से कहाँ जा रहा है और हमारे दादा जी का व्यवहार तो देखो। उसने दादा जी को कई बार समझाया। माता-पिता तो समयानुसार बदल गये पर दादा कहाँ मानने वाले।


एक दिन दादाजी को लकवा लग गया। उनके नाती को पता चला कि इसकी दवा भोला देता है। परन्‍तु उसका हुक्का पानी बन्द है। अर्थात् वह दवा नहीं दे सकता। चौधरी जी को शहर ले जाने की तैयारी चल रही थी। चौधरी के नाती ने भोला के घर जाकर निवेदन किया कि आप दवा दे दीजिए। भोला ने दवा दे दी। जब यह बात सब को पता हुई कि यह दवा भोला के घर की है सभी ने दवा खिलाने से मना किया।


चौधरी के नाती सुधारसिंह ने कहा, “भगवान और सरकार के द्वारा समानता का अधिकार प्राप्त है। फिर भी हम सब ऊँच नीच का व्यवहार करते है। यह सब हमें बदलना होगा हम सब समान हैं” और चौधरी जी को लकवा की दवा खिला दी। थोडी़ ही देर बाद चौधरी जी ठीक होने लगे।


सभी खुश हो रहे थे। सभी ने सुधारसिंह को समझाया कि चौधरी जी को भोला की दवा के बारे में ना बताया जाए। सुधारसिंह ने कहा, “नहीं बताएँगे तो बदलाव कैसे आएगा। हमें समानता का भाव लाना है”


चौधरी स्वस्थ हो गये जब उन्हें भोला की दवा के बारे में मालूम हुआ तो उन्होंने भोला को बुलाया और कहा “भाई आज मेरे नाती ने मेरी आँखें खोल दी। आज से हम सब समान हैं। समानता का अधिकार सभी को प्राप्‍त है”


सभी खुश हो गए।


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