मेहनती राजेश
मेहनती राजेश
हरिया अपनी गरीबी के साथ मेहनत करता और परिवार का पालन पोषण कर रहा था। साथ ही उसने अपने बेटे को देखा वह मिट्टी की गेंद से खेलता रहता। साथ ही वह पढ़ाई में भी होशियार था। हरिया शहर गया और फुटबॉल लाकर राजेश को दी। राजेश की खुशी का ठिकाना ना रहा। स्कूल के फुटबॉल मैच में वह अव्वल रहता। धीरे धीरे वह खेल में तो माहिर हो गया। साथ ही वह पढ़ाई करके एक उच्च अधिकारी का पद प्राप्त कर कुशल जीवन यापन करने लगा। उसने अपने पिता हरिया का सदैव आदर किया। हरिया जी फुटबॉल मैंच के संरक्षक पद पर हैं।