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Monika Khanna

Romance

4  

Monika Khanna

Romance

बेनाम रिश्ता

बेनाम रिश्ता

9 mins
990

घर के काम से फारिग होकर मैंने जैसे ही फेसबुक खोला सामने राज की प्रोफाइल पर अपलोडेड कुछ तस्वीरें दिखाई दी। अचानक उन तस्वीरों को देखकर मैं चौंक गई, अरे यह तो राज की शादी की तस्वीरें लग रही है मगर राज ने शादी कब कर ली। उसने मुझे इस काबिल भी नहीं समझा कि मुझे शादी का इनविटेशन देता। शादी की तस्वीरें देख मन ही मन थोड़ी खुशी और थोड़ा गम भी हुआ। मैं जल्दी जल्दी सारी तस्वीरें देखती गई। उसकी एक तस्वीर पर आंखें ठहर गई जिसमें दूल्हा बना राज और उसकी जीवन संगिनी की लाल सिंदूर से भरी चौड़ी सी मांग और चेहरे की मुस्कान उनके एक दूजे के हो जाने की खुशी को बयान कर रही थी। बरबस मेरे होठों पर मुस्कान और दिल में प्यार उमड़ आया उन दोनों के लिए। तस्वीरों पर पड़ी डेट चेक करने पर पता लगा उनकी शादी को एक माह हो गया था।

मैंने फौरन आकर अपना व्हाट्सएप खोला जल्दी से राज को एक मैसेज टाइप किया "हैप्पी मैरिड लाइफ" मगर उसको सेंड करते समय उंगलियां ठिठक सी गई, अचानक से मन ही मन गुस्सा फूटा, क्यों दूं मैं बधाई ? उसने तो मुझे इस काबिल भी नहीं समझा कि बुलाना तो दूर मुझे अपनी शादी की खबर ही दे देता। शायद मैं अपने रिश्ते को जितना खास मानती थी वह नहीं मानता होगा। हां उसकी वो सब बातें दिखावा ही रही होंगी। मुझसे उसका रिश्ता, जीवन भर दोस्ती निभाने का वादा झूठा ही रहा होगा। मन अंदर से चिटकने सा लगा। पर मुझे अपने को संभालना आता था या यूं कहो कि मैं उससे चाह कर भी नफरत नहीं कर सकती। मैंने तो उससे प्यार किया था, ऐसा प्यार जो सिर्फ मन से मन को होता है जिसमें जिस्मों का मिलन कोई मायने नहीं रखता रूह से रूह का रिश्ता था हमारा। हमारे इस रिश्ते में प्यार,इज्जत, सम्मान सब बरकरार था है और रहेगा और इन सब का श्रेय सिर्फ राज को जाता है।

मैंने अपना मोबाइल किनारे रख अपनी एक किताब उठा ली जो मैं आजकल पढ़ रही थी। मगर विचारों को मंथन में उलझी मैं किताब में क्या पढ़ रही थी कुछ पल्ले नहीं पड़ रहा था। आखिरकार किताब को एक किनारे रख मैं राज के ख्यालों में खो अतीत के समंदर में गोते लगाने लगी।

मैं सुगंधी मिसेज सुगंधी चौहान एक प्यारी सी बेटी की मां और प्यार करने वाले पति की खूबसूरत सी पत्नी। मेरी उम्र उस समय पैंतिस साल और राज की उम्र सत्ताईस साल थी।

आज से सात साल पहले फेसबुक स्क्रोल करते समय मुझे राज डे नाम की प्रोफ़ाइल दिखी। काफी इंटरेस्टिंग लगी। ओह तो इनको भी म्यूजिक में इंटरेस्ट है। अच्छा मेरे शहर में ही रहते है। मैंने झट से रिक्वेस्ट सेंड कर दे। कुछ ही देर में मिस्टर राज डे ने फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली।

थोड़ी ही देर में राज का मैसेज आया " हैलो जी आप भी इसी शहर से हैं

"जी हां ! मैंने आपकी प्रोफाइल देखी, आप को म्यूजिक में इंटरेस्ट है मुझे भी म्यूजिक में बहुत इंटरेस्ट है इसलिए मैंने आपको फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी।

"थैंक यू सो मच

इस तरह मेरी और राज की बातें सिंपल से गुड मॉर्निंग के मैसेज से होकर गुड नाइट पर खत्म होने लगी।

राज के संग बातें करते करते मैं उसकी आदी होने लग गई थी अब तो हर पल एक जुनून सा छाने लगा कि कब मैं घर की जिम्मेदारियों से फारिग होऊं और कब मैं उससे फेसबुक पर चैट करूं।

मेरे चेहरे की गुलाबी आभा और होठों की मुस्कान यकायक बढ़ गई थी। मैं बहुत खुश रहने लग गई थी। कभी-कभी मैं ऑनलाइन होती और वह ना होता तो मैं झुंझला जाती। अजीब सा पागलपन हावी होने लग गया था मुझे पर। सारा काम छोड़ बस उसके ऑनलाइन आने का इंतजार करती रहती थी। जैसे ही उसका मैसेज आता मैं गुस्से में रिप्लाई करती कहां थे अब तक। जवाब में वो अपने काम में व्यस्त होने की दुहाई देकर मुस्कुरा देता।

मैं समझ ही नहीं पा रही थी मुझे यह क्या हो रहा है। मन ही मन अंतर्द्वंद चलता रहता कि मैं शादीशुदा हूं फिर मैं किसी और की तरफ कैसे आकर्षित हो सकती हूं। राज तो मुझ से नौ साल छोटा भी है, क्या मुझे प्यार हो रहा था राज से

दिमाग कहता - सुगंधी रुक जा यह सब गलत है यह बातें तुझे बदनामी की ओर ले जाएंगी

दिल - सुगंधी इसमें कुछ भी गलत नहीं यह प्यार है तू किए जा

दिमाग -तू पागल है क्या! अरे ओ मिसेज सुगंधी चौहान तुझे सिर्फ अपने पति से प्यार होना चाहिए और वैसे भी प्यार एक ही बार होता है।

दिल - किसने कहा प्यार एक बार होता है प्यार कई बार हो सकता है  किसी से प्यार करने में कोई बुराई नहीं सुगंधी।

आखिरकार दिल मनमर्जियां कर बैठा और मैं राज की बातों में खोती ही चली गई बिना यह सोचे कि अगर यह बात किसी को पता लगी तो इसका परिणाम क्या होगा। अजब सी खुमारी मुझ पर छाती चली गई।

आज राज ने मुझे अपना फोन नंबर दिया। अब मेरी उसकी बात फेसबुक मैसेंजर से हटकर व्हाट्सएप पर होने लगी। फेसबुक की दूरियां व्हाट्सएप चैटिंग की नजदीकियों में बदलती जा रही थी। राज अकसर वॉइस नोट में मेरे फेवरेट गानों की लाइन भेजता रहता था और मुझसे पूछता रहता था कि मुझे और कौन सा गाना सुनना है। हां हमारी फोन पर कभी भी बात नहीं हुई थी अब तक।

एक दिन मैं पति के साथ पिक्चर जा रही थी। राज ने बताया वह भी वही पिक्चर जा रहा है अपने दोस्तों के साथ। मैंने उसको व्हाट्सएप पर पहली बार एक वॉइस नोट भेजा

राज तुम रात वाले शो में आ जाओ प्लीज मैं तुम्हें देख लूंगी एक बार

"अरे सुगंधी जी आपकी आवाज तो बहुत प्यारी है क्या वाकई यह आप की आवाज है ?

हां मेरे अलावा और कौन है जो इस नंबर से बात कर रहा है

पर आप तो अपने हस्बैंड के साथ आएंगी शायद उनको अच्छा ना लगे, मैं नहीं चाहता आप की लाइफ में कोई भी प्रॉब्लम आए

अरे कुछ नहीं होगा मैं बस तुम्हें दूर से देखूंगी बात थोड़ी ना करूंगी तुमसे

ओके मैं देखता हूं राज कुछ सकुचाते हुए बोला।

मेरी निगाहें पूरे पिक्चर हॉल का चक्कर लगा कर वापस लौट आई मगर इन आंखों को जिसके दीदार की प्यास थी वो नज़र ही नहीं आया।

आधी रात मैंने उसको मैसेज किया तुम आए नहीं तो, उसका जवाब आया सॉरी प्रोग्राम नहीं बन पाया।

धीरे-धीरे राज से बातें करते करते शायद मैं उसकी दीवानी बनती चली जा रही थी। हमारे बीच होने वाली दोस्तों जैसी बातें दोस्ती की सीमा लांघ कर मीठी नोकझोंक में तब्दील होने लगी। लेकिन राज ने अभी तक मर्यादा की सीमा नहीं लांघी थी। अब हमारी फोन पर बातें भी शुरू हो गई थी। जब भी राज खाली होता वह मुझे या मैं उसे फोन कर लेती थी। मेरे पोस्टपेड फोन का बिल कितना लंबा चौड़ा आने लग गया था। पति ने भी धीरे-धीरे गुस्सा करना शुरू किया कि आखिर किस से इतनी बात करती हो। पर मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था। राज के प्रति चुंबकीय आकर्षण दिल में बढ़ता जा रहा था।

एक रात मुझे उससे बात करने और उसकी आवाज सुनने की ऐसी तलब लगी कि मैंने साथ में सोए हुए पति की भी परवाह नहीं करी मैंने झट से राज को  व्हाट्सएप पर मैसेज किया कि मैं तुम्हें कॉल कर रही हूं, मैं फोन‌ पर कुछ भी नहीं बोलूंगी सिर्फ टैक्स्ट करूंगी मगर तुम मुझे जवाब अपनी आवाज सुना कर देना। मैंने झट से एयर फोन लगाकर उसको कॉल किया। उस सर्दी भरी रात में मुझसे बात करते-करते पहली बार राज मर्यादाओं की सीमा तोड़कर मुझसे अंतरंग हुआ।

बस उस रात की वो बातें मेरी और राज की आखिरी बातें थी। उसके बाद कई दिन तक राज ने ना मेरे मैसेज का रिप्लाई किया ना ही मेरा फोन उठाया। मैं तड़प उठी थी उसकी याद में। अकेले में बैठ कर उसकी चैट पढ़ना उसके वॉइस नोट सुनना और आंसू बहाना। एक सोलह बरस की किशोरी की तरह मनोदशा हो गई थी मेरी। बार-बार मन में यह विचार आता था कि मेरा उस पर हक ही क्या है मेरा उसका रिश्ता ही क्या है फिर वो एक जवान लड़का है और मैं शादीशुदा परिपक्व महिला। हो सकता है उसके जीवन में कोई लड़की आ गई हो।

कुछ दिनों बाद राज का एक मैसेज आया," सॉरी सुगंधी जी मैं आपसे इतने दिन बात नहीं कर पाया। मैं बहुत शर्मिंदा हूं उस रात के लिए। मुझे आपसे इस तरह बात नहीं करनी चाहिए थी। मैं सच में बहुत बुरा इंसान हूं, मगर आप सबसे अलग है सुगंधी जी आप बहुत अच्छी हैं, मैं कितने लोगों से मिला हूं, कितने लोगों से बातें करी है मगर आप सबसे जुदा है बहुत साफ दिल की है आप। मैं बहुत खुशकिस्मत हूं कि मेरे जीवन में आप जैसा दोस्त है। मैं अपने प्रति आपकी भावनाओं को समझता भी हूं पर यह भी मैं अच्छी तरीके से जानता हूं कि यह गलत है अगर अभी भी हम दोनों ना संभले तो मेरा तो कुछ नहीं होगा मैं एक कुंवारा लड़का हूं मगर आपकी शादीशुदा जिंदगी बर्बाद हो जाएगी जो कि मैं बिल्कुल भी नहीं चाहूंगा। मैं आपसे एक दोस्त की तरह प्यार करता हूं और आपकी रिस्पेक्ट भी करता हूं और चाहता हूं यह रिस्पेक्ट मेरी जीवन में हमेशा बनी रहे। मैं यह कभी नहीं चाहूंगा कि आप के खुशहाल जीवन में मेरी वजह से कोई भी परेशानी आए। आप मिस्टर चौहान और बच्चों के साथ खुशहाल जीवन का आनंद उठाइए और मुझसे वादा करिए आप मेरे जीवन में मेरी वेलविशर मेरी दोस्त बनकर हमेशा रहेंगी। उस रात पता नहीं कैसे मैं बहक गया था। मैं बहुत ज्यादा शर्मिंदा हूं उस रात के लिए। सॉरी सुगंधी जी हो सके तो मुझे माफ कर दीजिएगा उन बातों के लिए।

"प्लीज राज़ ऐसा मत कहो, गलती मेरी भी थी मैं भी बहक रही थी क्योंकि मुझे तुमसे प्यार हो गया है "

"सुगंधी जी हम दोनों का यह प्यार हमेशा बना रहेगा मगर यह प्यार दोस्ती के दायरे में ही रहना चाहिए।"

"लव यू राज

"लव यू टू माय बेस्ट फ्रेंड एंड वेलविशर

इस तरह धीरे धीरे राज और मेरे बीच बातों का सिलसिला फोन से हटकर मैसेज तक सीमित हो गया।

धीरे -धीरे उसके मैसेज आना भी बंद हो गए जो जरुर राज ने जानबूझकर किए होंगे ताकि मैं अपनी शादीशुदा जिंदगी में फिर से नॉर्मल हो पाऊं। मैं सुगंधी जो राज के गानों और उसकी आवाज की दीवानी थी धीरे धीरे इस दूसरी मोहब्बत के जादू से बाहर निकलने लगी। परिवार को फिर से समय देने लगी। मन में यह गिल्ट भी आया कि मैं अपने पति और अपने परिवार से बेवफाई कर रही थी मगर राज ने मुझे गलत रास्ते पर भटकने से बचा लिया उसकी जगह कोई और बंदा होता तो अब तक मेरा इस्तेमाल कर मुझे बदनाम कर चुका होता। मेरे दिल में राज के प्रति प्यार से ज्यादा इज्जत बढ़ गई।

आज भी हम साल में दो-तीन बार व्हाट्सएप पर बात करते हैं। राज की बर्थडे पर मेरा मैसेज और मेरी बर्थडे और एनिवर्सरी पर राज का मैसेज।

मोहब्बत एक बार होती है अब मैं ऐसा नहीं कह सकती क्योंकि मेरी पहली मोहब्बत मेरे पति और बेटी हैं और इसके बावजूद मैंने दूसरी बार भी मोहब्बत की है उस प्यारे से इंसान से जिसका दिल और नियत दोनों ही मोहब्बत से भरपूर है एक पाकीज़ा मोहब्बत की तरह ।

हमारी जिंदगी में कुछ रिश्ते ऐसे भी होते हैं जिनका कोई नाम नहीं होता फिर भी वह दिल में रहते है हमेशा हमेशा के लिए "बेनाम रिश्ता" बन कर।


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