दूर गगन के तले

दूर गगन के तले

3 mins
468


"कुहू उठो, सुबह हो गई है, जरा चाय तो बना लाओ " आदि बोले 

"आदि प्लीज़ आज आप ही बना लाओ, आज आप के हाथ की बेड टी मिल जाए तो मज़ा ही अलग होगा, प्लीज़ आदि प्लीज़ ,कह कर कुहू ने आँख बंद कर ली।

"ओके जाना , आज आप भी क्या याद करेंगी, ये लिजिए कुहू मैडम की खिदमत में बंदा हाजिर है"

"ओह आदि थैंक्यू, आप बहुत अच्छे हैं, आई लव यू "

कुहू की सुबह बहुत ही रूमानी हो गई और वो गुनगुनाते हुए बच्चों के कमरे में गई, 

बेबी गुड मॉर्निंग ! मम्मा का पारा बच्चा, उठिए आप दोनों, कह कर कुहू किचन में आ गई। काम करते करते हाल में बीते दिनों को सोचने लगी, कितना बिज़ी रहने लग गई थी वो सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक, किटी पार्टी, नये फ्रेंड, नये दोस्तों में।

कुहू को ये सब बहुत अच्छा लगता था, वो इस दुनिया की चकाचौंध में खोती जा रही थी , उसका ज्यादा समय दोस्तों से फोन पर शापिंग ,फैशन , पार्टी , में बीतने लगा , लिहाजा उसका घर पर "आदि" व बच्चों पर से ध्यान कम होने लगा । 


कुहू का बड़ा सा फ्रेंड सर्कल बन गया , परिवार से ज्यादा दोस्तों में मज़ा आने लगा। उसने सोचा सब बेस्ट फ्रेंड हैं और वो दिल से सबको अपनाती चली गई। पर उसकी सोच गलत साबित होने लगी, कुछ दोस्त अक्सर एक दूसरे की गासिप करने लगती थी, कुहू को ये सब बड़ा अजीब लगा, ऐसा नहीं कि सब दोस्त ऐसी थी, एक दूसरे से आगे बढ़ने की होड़, एक दूसरे से खुद को बेहतर दिखाने की कोशिश, ऐसे लगता था कि सब नंबर की रेस में है कि कौन सबसे ज्यादा बेहतर है। कुहू परेशान होने लगी, वो हर समय उदास रहने लगी , वो आदि और बच्चों पर ठीक से ध्यान नहीं दे रही पा रही थी। कुहू ने अपने आप से ही सवाल किया कि उसके लिए क्या जरूरी है परिवार या ऐसे फेंक दोस्तों का साथ।  ऐसे माहौल की वजह से उसकी आँखें खुली। वो कहते है न जैसी संगत वैसा असर, पर इन सबके बीच उसको कुछ बहुत अच्छी दोस्त भी मिली जो कुहू के लिए सगी बहनों जैसी हो गई।

"ओ जाना, आज कहां खो गई , 

आदि की आवाज़ सुनकर कुहू चौंक कर बोली " जी जनाब !

आदि - "अपने चाहने वालों पर भी इनायत करीये, कब से पेट में चूहे मार्निंग वाक कर है पेट पूजा तो करवा दो ,‌ क्यूं बच्चों पापा सही कह रहे हैं न" 

सुनकर बच्चे ज़ोर से हँसने लगे, बच्चों के साथ आदि खिलखिलाने लगे‌, और कुहू को प्यार से देखकर गुनगुनाने लगे "आ चल के तुझे मैं लेके चलूं , एक ऐसे गगन के तले, जहां ग़म भी न हो, आँसू भी न हो, बस प्यार ही प्यार पले "

कुहू को रश्क हो आया अपने हँसते मुस्कुराते परिवार को देखकर। जिन दोस्तों को अपना समझ कर अपनों को नज़रअंदाज़ किया वो तो छलावा निकले। सुबह का भूला अगर शाम को घर वापस आ जिए तो उसे भूला नहीं कहते। कुहू को इस छलावे ने भी एक नया अनुभव दिया। 


 "दोस्तों ऐसा माहौल आजकल बहुत देखने को मिल रहा है सोशल होना दोस्त बनाना इनजाय करना बुरा नहीं है पर, ऐसे माहौल से बचकर रहें, दोस्तों में भी अच्छे व्यक्तित्व की पहचान करे , दोस्तों को समय दे , पर पहले फैमिली को इम्पोर्टेंस दे क्योंकि परिवार से ज्यादा शुभचिंतक और कोई नहीं होता।  "

 



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational