बेजुबान
बेजुबान
रोशन एक पढ़ा लिखा और समझदार युवक था। रोशन की पत्नी भी पढ़ी-लिखी और बहुत सुंदर थी। रोशन का हरिद्वार में अपना मकान था और एक छोटी सी बच्चों केखिलौनों की दुकान थी। रोशन सुबह अपनी दुकान खोलने से पहले रोज मंदिर पूजा करने जरूर जाता था। रोशन एक दिन पूजा करके मंदिर की सीढ़ियों से नीचे उतर रहा था। तभी उसकी निगाह एक बहुत सुंदर छोटे से सफेद रंग के कुत्ते के पिल्ले पर पड़ती है जो मंदिर का चढ़ाया हुआ प्रसाद खा रहा था। कुत्ते का पिल्ला इतना सुंदर और मासूम लग रहा था, की रोशन उसे पालने के लिए अपने घर ले जाता है। कुत्ते के पिल्ले को घर ले जाकर अपनी गोदी में से उतार कर, अपनी पत्नी को दे देता है। उसकी पत्नी उस प्यारे से कुत्ते के पिल्ले को खुशी से अपनी गोदी में ले लेती है और उसे पालने के लिए तैयार हो जाती है।
रोशन के घर में कुत्ते के पिल्ले के आने के बाद उसके और उसकी पत्नी के जीवन में नई ताजगी और खुशियां आ जाती है। रोशन और उसकी पत्नी इस कुत्ते के पिल्ले को प्यार से हीरा नाम से पुकारते थे। रोशन के दुकान पर जाने के बाद ,हीरा मनुष्य के बच्चों की तरह रोशन की पत्नी के साथ खेलते कूदत रहता था। और मनुष्य के बच्चों की तरह ही, रोशन का दुकान से घर आने का इंतजार करता था। रोशन रोज हीरा के लिए कुछ ना कुछ खाने का सामान जरूर लाता था। रोशन और उसकी पत्नी हीरा कुत्ते के बच्चे को, अपने बच्चे जैसा प्यार करते थे। हीरा रोशन और उसकी पत्नी के लिए भाग्यशाली भी था। उसके घर में आने के बाद रोशन की पत्नी मां बन जाती है और एक पुत्र को जन्म देती है। रोशन की पत्नी जब घर के कामों में व्यस्त होती थी, तो अपने बेटे को झूले में लिटा कर, झूले की रस्सी हीरा को दे देती थी। हीरा अपने मुंह से रस्सी पकड़कर झूले को हिलाता रहता था। झूले को हिलाते हिलाते हीरा के दांतों और मुंह में जब दर्द हो जाता था, तो वह रस्सी को छोड़कर, अपने मुंह को चला चला कर जबड़े को ठीक कर लेता था। और फिर दोबारा रस्सी पकड़ कर झूला हिलाना शुरू कर देता था। झूला हिलाते हिलाते कभी-कभी उसे नींद की झपकी भी आ जाती थी, पर वह झूला हिलाना बंद नहीं करता था। झूला हिलाते हिलाते रोशन की पत्नी का इंतजार करता रहता था। अपने खाने के लिए रोशन की पत्नी रोज हीरा को दूध ब्रेड बिस्कुट आदि स्वादिष्ट चीजें खाने के लिए दिया करती थी। पर अब रोशन की पत्नी का ध्यान हीरा से ज्यादा अपने बच्चे पर रहता था। कभी-कभी वह हीरा को समय पर खाना देना भी भूल जाती थी। हीरा पूछ हिला हिला कर और की की की आवाज निकाल कर उसे खाना देने की याद दिलाता था।
कभी-कभी रोशन की पत्नी हीरा की खाना मांगने की आवाजों को समझ नहीं पाती थी। और घर के कामों की थकान की वजह से सो जाती थी।हीरा भूख से तड़पता रहता था। और रोशन की पत्नी समझती थी, की हीरा मुझे परेशान कर रहा है। इस वजह से शाम को रोशन से हीरा को डांट लगवाती थी। एक दिन रोशन अपनी पत्नी की शिकायत की वजह से हीरा से इतना नाराज होता है, कि उसको रात को खाना देने से मना कर देता है। पर जब आधी रात को रोशन की आंख खुलती है, तो वह अपनी पत्नी को जगा कर हीरा को खाना देने के लिए कहता है। रोशन के सोने के बाद, उसकी पत्नी अपने बच्चे को दूध पिलाते पिलाते खुद भी सो जाती है और हीरा को खाना देना भूल जाती है। सुबह रोशन जल्दी उठकर हीरा को और दिनों से ज्यादा बहुत प्यार करता है। फिर अपनी दुकान चला जाता है। हीरा पूरी रात का भूखा था। इसलिए हीरा सुबह से ही रोशन की बीवी के आगे पीछे घूम घूम कर अपनी पूछ हिलाना शुरू कर देता है और की की की आवाज निकाल कर खाना मांगता है। रोशन की बीवी हीरा पर ध्यान नहीं देती उल्टा उसे डांट रहती है। देखते-देखते दोपहर हो जाती है हीरा को अपने बच्चे के झूले की रस्सी पकड़ा देती है। और खुद रसोई में दूध पकाने के लिए चढ़ाकर थोड़ी देर के लिए आराम करने के लिए लेट जाती है पर थकान की वजह से उसको नींद आ जाती है। हीरा भूख से तड़प रहा था। रसोई से दूध की खुशबू आ रही थी। दूध सिलेप पर रखी गैस पर पक रहा था। हीरो जैसे ही दोनों पैरों पर खड़ा होकर, गैस के चूल्हे के ऊपर से पतीले को अपनी तरफ करता है। उसी समय पूरा गर्म दूध हीरा के ऊपर गिर जाता है और उसी समय हीरा की मृत्यु हो जाती है।
रसोई से आवाज की वजह से रोशन की पत्नी नींद से उठ कर रसोई की तरफ भागती है। और हीरा को वहां मरा हुआ पड़ा देखकर, उसके हाथ पैर ठंडे हो जाते हैं। दिल तेज तेज धड़कने लगता है। रोशन के पास जब खबर पहुंचती है। वह दुकान से घर तक रोता हुआ पहुंचता है। घर पहुंच कर मरे हुए हीरा को गोदी में उठा लेता है। कुछ दिनों के बाद हीरा की एक पुरानी तस्वीर वह अपने कमरे में लगा लेते हैं। दो ढाई बरस के बाद रोशन की पत्नी दोबारा मां बनती है। और एक पुत्री को जन्म देती है। अब हीरा की जगह उसका पुत्र अपनी बहन के झूले को हिलाता था। एक दिन रोशन की पत्नी रसोई में दूध पकाने के लिए गैस पर चढ़ा कर आ कर सो जाती है। रसोई से आवाज आने की वजह से उसकी आंख खुल जाती है। वह अपने पुत्र को झूले के पास ना पाकर घबरा जाती है। और भागकर रसोई में जाती है, उसके पुत्र ने हीरा की तरह गैस से दूध गिरा रखा था। उसके पुत्र का थोड़ा सा ही पैर जला था। उस दिन उसे समझ आता है कि मेरे पुत्र ने सुबह से कुछ नहीं खाया है। इसलिए यह रसोई में आया था। उस दिन हीरा भी पूरी रात का भूखा था। वह समझ जाती है। की हीरा की मौत की जिम्मेदार मैं हूं, मैं उस बेजुबान की जवान नहीं समझ पाई।
कहानी शिक्षा -बेजुबान जानवरों और पक्षियों की भावनाओं को सभी समझना चाहिए
