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Rajesh Rajesh

Children Stories Inspirational Others

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Rajesh Rajesh

Children Stories Inspirational Others

शेर वैज्ञानिक

शेर वैज्ञानिक

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दिवाकर वैज्ञानिक कोलकाता शहर में रहता था। उसका का बचपन एक अनाथ आश्रम में बीता था। दिवाकर पढ़ाई लिखाई में बहुत होशियार था। इस वजह से पढ़ाई पूरी करने के बाद वह एक वैज्ञानिक बन जाता था। दिवाकर के जीवन में नाम शोहरत सब कुछ थी पर कमी थी, तो अकेलेपन की। दिवाकर कुछ दिनों के लिए सर्दियों के मौसम में अपनी गाड़ी से काम के सिलसिले में उल्टी जाता है। एक दिन दिवाकर सुबह सुबह जोगिंग करके अपने होटल वापस आ रहा था। उस दिन कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। दिवाकर को एक पेड़ के नीचे गोल मटोल भोला भाला शेर का बच्चा ठंड से ठिठुरते हुआ दिखाई देता है। उस शेर के बच्चे को देखकर दिवाकर को पहले उसका भोलापन अच्छा लगता है। उस गोल मटोल शेर के बच्चे को देखकर उस पर उसे तरस आता है। और प्यार भी आता है। इसलिए वह उसे उठाकर अपने ओवरकोट में छिपा लेता है। होटल में दूध ब्रेड मक्खन खिलाकर उसे अपने साथ रजाई में छुपा कर सो जाता है। दिवाकर वैज्ञानिक उस शेर के बच्चे की परवरिश एक मनुष्य के बच्चे की तरह करता है। उसे टीवी का रिमोट चलाना सिखा देता है। पानी का नल चलाना कपड़े धोना आदि काम सिखा देता है। और उसे हिंदी इंग्लिश की कविताएं सिखाता है। दिवाकर शेर के बच्चे को शुद्ध शाकाहारी बना देता है। शेर के बच्चे के आने से दिवाकर का अकेलापन दूर हो जाता है। दिवाकर एक आविष्कार पर काम कर रहा था। इसलिए वह ना तो अपनी सेहत पर ध्यान दे पाता था, ना शेर के बच्चे पर। धीरे-धीरे शेर का बच्चा बड़ा हो जाता है। एक दिन शेर दिवाकर को देर हो जाने के कारण खिड़की के पास आकर देख रहा था। तभी कुछ जंगली कुत्ते शेर को देख लेते हैं। और भोंक भोंक कर आस-पड़ोस के लोगों को इकट्ठा कर देते हैं। इतने में दिवाकर आ जाता है। दिवाकर समझ जाता है, कि जंगली कुत्तों ने शेर को देख लिया है। दिवाकर घर में आकर बिना सोचे समझे शेर को डांटने लगता है। गुस्सा शांत होने के बाद दिवाकर का ध्यान शेर पर जाता है, वह कुत्तों के डर से और दिवाकर के डांटने की वजह से बुरी तरह कांप रहा था, उसे बुखार भी आ गया था। दिवाकर समझ जाता है, की मेरी गलत परवरिश की वजह से शायद यह बहुत कमजोर बन गया है। यह सोचते सोचते दिवाकर को दिल का दौरा पड़ जाता है। शेर भागकर दिवाकर को फोन पकड़ आता है। दिवाकर फोन करके डॉक्टर को बुलाता है।

डॉक्टर चेक अप करने के बाद कहता है, "आपने काम में व्यस्त रहने के कारण आपने अपनी, सेहत पूरी तरह खराब कर ली है। आपका दिल बहुत कमजोर हो गया है। अगर दूसरा दिल का दौरा पड़ा तो आपकी जान भी जा सकती है।" डॉक्टर की यह बात सुनने के बाद दिवाकर उसी दिन शेर को उसके जंगल में छोड़ने का फैसला ले लेता है। और अपनी गाड़ी से शेर को लेकर उल्टी के उसी घने जंगलों के पास जाकर, गाड़ी रोककर शेर को उतार देता है। फिर गाड़ी की स्पीड बढ़ा कर वहां से जाने लगता है। शेर गाड़ी के पीछे पीछे भागता है। दिवाकर की आंखों से आंसू आ जाते हैं। वह बार-बार पीछे मुड़कर शेर को देखता है। इस वजह से उसका ध्यान हट जाता है। और गाड़ी एक पेड़ से टकरा जाती है। गाड़ी का दरवाजा खुल जाता है, दिवाकर आधा अंदर और आधा बाहर गाड़ी से लटक जाता है। शेर भागकर दिवाकर के पास आता है, और दिवाकर को अपनी जीभ से चाटने लगता है। दिवाकर रोते हुए जैसे ही शेर के सर पर हाथ फिरता है, दिवाकर के प्राण निकल जाते हैं। शेर ने ऐसे दृश्य टीवी में बहुत देखे थे। शेर समझ जाता है, की दिवाकर के प्राण निकल गए है। और शेर रोने लगता है। उसी समय उस रोड पर एक ट्रक आ जाता है। ट्रक ड्राइवर और उसका क्लीनर समझते हैं, कि जंगली शेर ने किसी मनुष्य पर हमला कर दिया है। और वह दूसरे ट्रक गाड़ियों को रुकवा कर लाठी डंडों से शेर पर हमला कर देते हैं। उनमें से एक आदमी कपड़े कागज और पेट्रोल का गोला बनाकर शेर पर फेंक देता है। शेर डर कर पूछ दबाकर वहां से जंगल में भाग जाता है। जंगल में शेर भागते भागते एक अखरोट के पेड़ के नीचे, पहाड़ी पत्थरों से बने चबूतरे पर जाकर लेट जाता है। शेर दिन भर का थका हुआ था, भूखा प्यासा था। उसे चबूतरे पर लेटते ही नींद आ जाती है। शेर की नाक पर एक पत्थर आकर लगता है, शेर हड़बड़ाहट में उठता है। उसे दूर गीदड़ और गधा दिखाई देते हैं। जो उसे दूर से पत्थर मार रहे थे। शेर चिल्लाकर कहता है, "कौन हो भैया तुम" शेर की बिल्ली जैसी आवाज सुनकर गीदड़ गधा हंसने लगते हैं। और हिम्मत करके शेर के पास आ जाते हैं। शेर इनको दिवाकर और अपने जीवन की पूरी कहानी सुनाता है। यह दोनों बहुत दुखी होते हैं। उस दिन से यह शेर के पक्के मित्र बन जाते हैं। शेर दोनों से कहता है "मुझे सुबह ब्रेकफास्ट करने की आदत है।" शेर की बात सुनकर गीदड़ और गधा एक दूसरे का चेहरा देखने लगते हैं। फिर गधा पूछता है, "भैया यह ब्रेकफास्ट क्या होता है।" फिर मुस्कुरा कर शेर कहता है "जो सुबह थोड़ा बहुत खाना खाते हैं। उसे ब्रेकफास्ट कहते हैं।" फिर दोनों हंसने लगते हैं। गधा कहता है, "अभी थोड़ी देर में ही खाने का इंतजाम हो जाएगा" वह आपस में बात करी रहे थे, कि इतने मेंअखरोट के पेड़ के पीछे से सीटों की आवाज आने लगती है। गीदड़ कहता है "लो खाने का इंतजाम हो गया" अखरोट के पेड़ के पीछे से बंदर और भालू का बच्चा सीटी मार मार कर, आंख मार के इशारे करके गीदड़ और गधे को अपने पास बुला रहे थे। वह दोनों शेर से डर रहे थे।

गधा गीदड़ भालू और बंदर के बच्चों का हाथ पकड़कर शेर के पास लाते हैं। शेर इनको भी अपनी कहानी सुनाता है। यह भी उस दिन से शेर के पक्के मित्र बन जाते हैं। बंदर पेड़ पर चढ़कर बहुत से अखरोट फल इनके आगे तोड़ तोड़ कर फेंकता है। उस दिन भालू मधुमक्खियों का छत्ता भी तोड़ कर शेर के लिए लाता है। एक दिन शेर को दिवाकर की बहुत याद आती है, इसीलिए वह अंग्रेजी की कविता गुनगुनाता है। गधा उसकी कविता सुन लेता है। और कहता है 'शेर भैया थोड़ा तेज तेज सुनाओ "शेर अपनी सुरीली आवाज में कविता सुनाता है। इनको कविता समझ तो नहीं आती पर शेर का कविता सुनाने का तरीका बहुत पसंद आता है। यह सारे जानवर अपना पेट पकड़ पकड़ कर खूब हंसते हैं। और जमीन पर लोटपोट हो जाते हैं। यह रोज खाना खाने के बाद शेर से कविता सुना करते थे। एक दिन एक शेरनी जंगल में पानी पीने आती है। शेर की कविता सुनकर वह शेर के सामने शादी का प्रस्ताव रख देती है। शेर भी खुश होकर शादी के प्रस्ताव को कबूल कर लेता है। जिस दिन शेर और शेरनी की शादी होती है, सारे जानवर मिलकर खूब नाचते गाते हैं। और स्वादिष्ट भोजन बनाते हैं। शेरनी को शेर की एक बात बिल्कुल पसंद नहीं आती थी। की वह जंगल में कहीं भी जाता था, तो छोटे बड़े जानवर शेर से छेड़खानी करते थे। उसकी पूंछ तक पकड़ कर हिला देते थे। और उसके आगे का खाना भी उठा कर खा जाते थे। शेरनी शेर को एक डरपोक शेर समझने लगती है। पर ऐसा नहीं था, वह सब जानवर शेर से सच्चा प्यार करते थे। और वह शेर के लिए जान देने के लिए भी तैयार रहते थे। कुछ दिनों के बाद शेरनी मां बनती है। दो बच्चों को जन्म देती है। वह अपनी शिक्षा से उन बच्चों को लड़ाकू खतरनाक और रोबीला शेर बनाना चाहती थी। क्योंकि वह उनके पिता शेर को एक डरपोक शेर समझती थी। पर शेर शेरनी की इस गलत शिक्षा के हमेशा खिलाफ रहता था। शेरनी की गलत शिक्षा की वजह से  एक दिन नदी पर शेर और शेरनी के दोनों बच्चे जंगली ताकतवर अटे कटे भैंसो से जानबूझकर झगड़ा मोल ले लेते हैं। भैंस से उन दोनों को पटक-पटक कर जान से मार देते हैं। दोनों बच्चों की मौत की खबर सुनकर शेर और शेरनी दोनों बहुत दुखी होते हैं। शेर शेरनी से कहता है "आज तुम्हारी गलत शिक्षा की वजह से मेरे दोनों बच्चों की जान चली गई।"

कहानी की शिक्षा- शिक्षा की वजह से मनुष्य की सोचने समझने की शक्ति बढ़ जाती है। दूसरा संदेश-माता पिता की एक भी गलत शिक्षा बच्चे का भविष्य बर्बाद कर सकती है।


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