बहुमूल्य है समय
बहुमूल्य है समय
नकुल नौवीं कक्षा में पढ़ता था। नकुल की नजरों में समय का कोई मूल्य नहीं था। जब उसके साथ के विद्यार्थी दसवीं कक्षा की परीक्षा की तैयारी करते थे तो नकुल खेल कूद कर अपना सारा समय बर्बाद कर देता था। नकुल के पिताजी उसको हमेशा समझाते थे कि जो मनुष्य समय की कीमत नहीं समझता वह जीवन भर पछतता है। नकुल अपने पिताजी की बातें एक कान से सुनता था, दूसरे कान से निकाल देता था। नकुल जब दसवीं कक्षा में फेल हो जाता है तो उस दिन उसे समय के मूल्य का एहसास होता है। उस दिन के बाद वह समय के मूल्य को समझ जाता है।
