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Rajesh Rajesh

Children Stories Inspirational

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Rajesh Rajesh

Children Stories Inspirational

समय का मूल्य

समय का मूल्य

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उत्तराखंड के पहाड़ों के बीच में गंगोत्री और केदारनाथ के पास घने जंगल थे। इस घने जंगल में गैंडा गोरिला भेड़िया बब्बर शेर परम मित्र थे। यह चारों मित्र सुबह होने से पहले ही, जंगल में आवारागर्दी करने निकल जाते थे। यह घूमते फिरते खेलते कूदते अपने जंगल से भी बहुत दूर निकल जाते थे। खेलने कूदने और आवारागर्दी की वजह से, यह अपने खाने-पीने का भी ध्यान नहीं रखते थे। ना तो इनका सोने का समय था। ना इनका खाने पीने का समय था। इनकी निगाहों मे में समय का कोई मूल्य नहीं था। कुछ ऐसे फालतू काम होते थे, फिर भी उन फालतू कामों में यह कई घंटे बर्बाद कर दिया करते थे। इसी जंगल में एक बिल्ली मौसी मां रहती थी। उसकी सहेली हिरनी और जंगली बकरी थी। बिल्ली मौसी मां का सभी जानवर सम्मान करते थे।यह चारों जंगली जानवर भी बिल्ली मौसी मां से बहुत प्यार करते थे। और उसका सम्मान करते थे। बिल्ली मौसी मां इनको कई बार समझा चुकी थी, कि तुम समय की कदर करना सीखो, नहीं तो किसी दिन समय तुम्हें बर्बाद कर देगा। पर यह चारों जंगली जानवर एक कान से सुनते थे, और दूसरे से निकाल देते थे। एक दिन दूसरे जंगल से लंगूर और बंदर हाथी पर बैठकर जंगल जंगल यह घोषणा कर रहे थे। कि देहरादून के जंगलों में एक कबड्डी की बहुत बड़ी प्रतियोगिता होने वाली है। इस प्रतियोगिता में उचित इनाम मिलेगा और जो प्रतियोगी जीतेगा उसके जंगल को अधिक सुविधाएं दी जाएंगी। और उसके जंगल का सम्मान होगा। बिल्ली मौसी मां और हिरनी जंगली बकरी सब बहुत खुश होते हैं। और जंगल के बाकि जानवरों को भी पता था, कि हमारे जंगल में बब्बर शेर गोरिल्ला गैंडा भेड़िया ऐसे जानवर है, जो प्रतियोगिता 100% जीतेंगे। बिल्ली मौसी मां और जंगली बकरी हिरनी के कहने से यह चारों खुशी से प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए तैयार हो जाते हैं।

 और उसी समय से प्रतियोगिता की तैयारी शुरू कर देते हैं। और कुछ समय के बाद प्रतियोगिता का दिन आ जाता है। जिस दिन यह चारों प्रतियोगिता में शामिल होने जा रहे थे, उस दिन जंगल के बाकी जानवर भी इनके स्वागत के लिए खड़े हो जाते हैं। गधा एक बड़ा सा ढोल बजा रहा था, गीदड़ ठुमके मार मार कर नाच रहा था। बिल्ली मौसी मां ने सबसे पहले पूजा की थाली सजा कर इन चारों की पूजा की। और जंगली बकरी हिरनी ने इनको तिलक लगाया, फूलों की माला पहनाई और फिर इनको प्रतियोगिता के लिए विदा कर दिया। चारों जानवर उछल उछल कर बस की छत पर चढ़ जाते है। और कुछ घंटों में प्रतियोगिता के स्थान पर पहुंच जाते हैं। प्रतियोगिता शुरू थी, इनका नंबर 10 टीमों के बाद था। इस वजह से यह पड़ोस के बाजार में कुछ खाने पीने और घूमने फिरने निकल जाते हैं। पड़ोस के बाजार में पहुंचकर यह वेज मोमोज आलू की टिक्की गोलगप्पे दूध जलेबी आइसक्रीम कुल्फी आदि चीजेंपेट भर कर खाते हैं। और बाजार से रंग बिरंगे गुब्बारे बजाने वाला बाजा लेकर पूरे बाजार में घूमते हैं आपस में हंसी मजाक करते हैं। इतने में गोरिला की नजर राा एक सिनेमा हॉल पर पड़ जाती है। उस सिनेमा हॉल में जंगल बुक मोगली की फिल्म चल रही थी। यह चारों फिल्म शुरू होने के बाद चुपचाप सिनेमा का दरवाजा खोलकर हॉल में घुस जाते हैं। और अंधेरे में जमीन पर बैठकर फिल्म का आनंद लेने लगते हैं। शेर इनसे एक दो बार कहता है, "कि एक-दो सीन देखकर चलो कहीं प्रतियोगिता में हमारा नंबर ना आ गया हो "शेर की बातों पर यह तीनों ध्यान नहीं देते। फिर यह तीनों शेर से चलने के लिए कहते हैं। तो शेर इन से बार-बार कह देता था  "एक सीन और देख कर चलेंगे" करते-करते यह पूरी फिल्म ही देख लेते हैं। फिल्म देखने के बाद यह जब प्रतियोगिता वाले स्थान पर पहुंचते हैं, तो देख कर अपने सर को पीटने लगते हैं। प्रतियोगिता के स्थान पर गड़े तंबू उखड़ गए थे। चारों तरफ खाने पीने का सामान बिखरा हुआ था। जो प्रतियोगी जीते थे, उनको इनाम पुरस्कार सम्मान देकर विदा कर दिया गया था। यह चारों वहां से दुखी हो कर अपने जंगल आने की तैयार करते हैं। और दूसरे दिन शर्म से मुंह छुपाकर हिम्मत करके जंगल में घुसते हैं। जंगल के बाहर बिल्ली मौसी मां जंगली बकरी हिरनी और बाकी जानवर ढोल ताशों से इनका स्वागत करने के लिए खड़े हुए थे। जैसे ही यह आते हैं, और बिल्ली मौसी को सारी घटना सुनाते हैं। तो बिल्ली मौसी के हाथ में से उसी समय पूजा की थाली गिर जाती है। और हिरनी बकरी के कंधों पर हाथ रखकर धीरे-धीरे वापस रोते हुए अपने जंगल में जाने लगती है। गधा गुस्से में ढोल फाड़ देता है। गीदड़ नाचना छोड़कर उछल उछल कर इनको चिड़ा कर वहां से भाग जाता है। पूरे जंगल में दुख का माहौल हो जाता है। यह चारों धीरे-धीरे बिल्ली मौसी मां और हिरनी बकरी के पीछे चलते हुए बीच जंगल में पहुंच जाते हैं। और कान पकड़ कर हाथ जोड़ जोड़ कर माफी मांगते हैं, कि आज हमें समय का मूल्य समझ आ गया है।

कहानी की शिक्षा -जो समय की कदर नहीं करता, वह दुनिया में सबसे पीछे रह जाता है। और हर क्षेत्र में असफल हो जाता है।


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