रवि की दादी मां
रवि की दादी मां
रवि स्कूल से आने के बाद खाना खा कर सो जाता था। शाम को रवि पार्क में अपने दोस्तों के साथ खेलने जाता था। शाम को पाक से खेल कर जब वह घर आता था तो अपने स्कूल का होमवर्क करता था। रात को माता-पिता और दादी के साथ खाना खाते हुए टीवी देखा था। टीवी देखने के बाद अपने पलंग पर जाकर सो जाता था। सुबह रोज की तरह अपने स्कूल चला जाता था।
रवि दो मिनट का भी समय नहीं निकाल पाता था, दादी के पास बैठकर बात करने का।
एक दिन जब रवि स्कूल से घर आता है तो रवि की नजर अपनी दादी पर जाती है।
तो उस समय दादी चुपचाप उदास चारपाई पर बैठी हुई थी। दादी को देख कर रवि अपने मन में महसूस करता है कि बेचारी दादी पूरा दिन अकेले चुपचाप बैठ कर कैसे बिताती होगी।
उस दिन के बाद रवि जरूर दादी से बात करने के लिए समय निकालता था। उस दिन के बाद से दादी बहुत खुश रहने लगती है।
कहानी की शिक्षा- कि हर बच्चे को अपने दादा दादी के लिए समय जरूर निकालना चाहिए
