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Rajesh Rajesh

Children Stories

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बुढ़िया बिल्ली

बुढ़िया बिल्ली

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 उत्तराखंड के पहाड़ों के जंगल में एक बुजुर्ग बिल्ली रहती थी। बुजुर्ग काली बिल्ली की गुफा पहाड़ की चोटी पर थी। बिल्ली रोज सुबह पहाड़ से धीरे-धीरे चलकर नीचे जंगल में आती थी। और जंगल के छोटे-मोटे जानवर और पक्षियों का शिकार करके वापस पहाड़ की चोटी पर अपनी गुफा में शाम को आती थी। और रात को आग जलाकर अपनी गुफा में ताप थी और गुफा से बाहर सफेद सफेद बर्फ गिरते हुए देखती रहती थी। एक उल्लू का बच्चा रोज रात को आकर बिल्ली के पास आकर तापता था। और बुजुर्ग बिल्ली से कहानियां सुनता था। कभी बिल्ली उसको कहानियां सुनाती थी और कभी अपने बीते जमाने की बातें। बुजुर्ग बिल्ली अपना जीवन बहुत खुशी से जी रही थी। जंगली मुर्गा तीतर बटेर कबूतर आदि बिल्ली के शिकार ना हो जाए, यह सोच सोच कर डर कर जीवन जी रहे थे। यह सब बुजुर्ग बिल्ली के शिकार के आतंक से बहुत ही दुखी हो चुके थे। बुजुर्ग बिल्ली की वजह से जंगल में इन सब की आजादी छिन चुकी थी। बुजुर्ग बिल्ली के डर की वजह से ठीक तरह से यह जंगल में घूम फिर कर अपना पेट भी नहीं भर पाते थे। बुजुर्ग बिल्ली पहाड़ से उतरने में इतना थक जाती थी कि वह एक नारियल के पेड़ के नीचे थक कर बैठ जाती थी। और कम से कम एक घंटा अपना मुंह खोलकर जीभ बाहर करके लंबी लंबी सांसे लेती रहती थी। रोज आधे एक घंटे के बाद बुजुर्ग बिल्ली की सांस फूलना बंद होती थी। जब जायदा सांस फूलने से बिल्ली के चारों पैर ऊपर हो जाते थे तो सभी पक्षी जल्दी-जल्दी अपना पेट भर लेते थे। और सभी पक्षी अपना पेट भर कर जंगल में छुप जाते थे। जब बिल्ली होश में आती थी, तो चारों तरफ नजर घुमाकर देखती थी, और कोई भी पक्षी उसे दिखाई देता था, तो उस पर झपट्टा मारकर हमला करके अपना पेट भर लेती थी। और जंगल में छुपे उसके डर से पक्षियों को ढूंढ ढूंढ कर उनका शिकार करके, शाम तक अपना पेट भर लेती थी। और शाम को अपना पेट भरने के बाद धीरे-धीरे चलकर पहाड़ पर अपनी गुफा में पहुंच जाती थी। एक दिन सब जानवर पक्षी मिलकर योजना बनाते हैं कि इस बुजुर्ग बिल्ली को सबक सिखाना पड़ेगा। और दूसरे दिन ही सभी जानवर मिलकर दूसरे जंगल जाते हैं, अपने मित्र भालू और बंदर के बच्चों के पास और अपने मित्रों भालू और बंदर के बच्चों को बुजुर्ग बिल्ली की सारी कहानी सुनाते हैं। बंदर और भालू के बच्चे इनकी सारी कहानी सुनने के बाद इनके साथ इनके जंगल चल पड़ते हैं। दूसरे दिन सुबह रोज की तरह बुजुर्ग काली बिल्ली पहाड़ से उतरकर नारियल के पेड़ के नीचे बैठकर लंबी लंबी सांसे लेती है। उसी समय बिल्ली के सर में कच्चा नारियल आकर लगता है। और बेलपत्र के पेड़ से भालू का बच्चा बेल पत्थर फेंककर बिल्ली के सर पर मारता। बिल्ली सर पर चोट खाकर जल्दी से पहले नारियल के पेड़ पर देखती है, तो बंदर का बच्चा फिर बेल पत्थर के पेड़ की तरफ नजर उठाकर देखती है तो वहां भालू का बच्चा था। उन दोनों को देखकर बिल्ली समझ जाती है, कि इन जंगल के जानवरों ने मुझे मारने के लिए बाहर से दो गुंडे बुलाए हैं। बिल्ली वहां से गिरती पड़ती पहाड़ के ऊपर चढ़ जाती है। और वहां से सबको गंदी-गंदी गालियां देती है। और बंदर भालू के बच्चों को कड़ी खाए तुम दोनों का नाश हो तुम दोनों को मौत आए कहकर वहां से भाग जाती है। इस घटना के बाद उस दिन से बुजुर्ग काली बिल्ली पहाड़ से नीचे उतरकर पक्षियों का शिकार करने कभी भी नहीं आती है। और बंदर भालू का बच्चा भी इन्हीं जानवरों के साथ खुशी से अपना जीवन जीने लगते हैं।


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