बेहद दुखद भयंकर हादसा
बेहद दुखद भयंकर हादसा
कभी कभी जिंदगी में, और हमारे आसपास में ऐसे दुखद हादसे हो जाते हैं, जिनसे कि दिल दहल जाता है।
78/79 की बात है हमारे एक फ्रेंड पुलिस विभाग में ट्रांसफर होकर के उदयपुर आए थे। उनका जो घर था वह एकदम हाईवे के मोड़ाव पर था। उनके दो बच्चे थे। जो बड़ा वाला बच्चा था 6 साल का होगा करीब, बहुत ही शैतान, और बहुत ही प्यारा था । एक जगह बैठता ही नहीं था।1 मिनट में कहीं में 1 मिनट में कहीं बहुत मस्तीखोर था। हम लोगों के साथ भी बहुत अच्छा रहता था। हम भी अक्सर दो-चार दिनों में शाम के टाइम में घूमते हुए उनके वहां चले जाते थे ।
और हमेशा जाते तब यह बात करते ही थे, कि आपका घर ऐसी जगह है कि बाहर निकलने से पहले बहुत ध्यान रखना पड़ेगा। यह दरवाजा बाहर को खुलता है, पता ही नहीं लगता है कि मोड़ पर कोई गाड़ी आ रही है, ऐसा कुछ और उनको हमेशा बोलते बच्चों का ध्यान रखें। बाहर ना निकलने दे ।इतने बड़े ऑफिसर थे ।गार्ड रहते थे घर में ।
ऐसा लगता था, चिंता की कोई बात नहीं है ।
मगर हादसे और अनहोनी कहकर नहीं आते है। 1 दिन सुबह-सुबह स्कूल जाने के टाइम पर वह बच्चा मम्मी को तंग कर रहा था। भाग रहा था। और बाहर फाटक उस बच्चे के पापा 2 मिनट पहले ही निकले थे, सो खुली थी ।
और वह बच्चा भागता भागता फाटक से बाहर निकल गया। और मोड़ पर से एक बहुत बड़ी ट्रक आ रही थी, और फुल लोडेड बच्चा उसके सामने आ गया। वह बच्चे को घसीट अपने पहियों में आगे ले चली। उसकी मां के सामने ही बच्चे का एक्सीडेंट हो गया। और वह बहुत दूर तक बच्चा पहिए के अंदर घिसटता हुआ गया। सुबह का टाइम था। रोड पर ज्यादा लोग भी नहीं थे। तो ज्यादा हल्ला नहीं हुआ। थोड़ी दूर जाकर के पता लगा होगा ड्राइवर को तो रुका । और उसने देखा। और अपने को खुद को सरेंडर कर दिया पुलिस में। मगर इस बच्चे के पापा ने उसके खिलाफ कोई कंप्लेंट नहीं लिखाई। बोला मेरा बच्चा बहुत शैतान था। ड्राइवर की कोई गलती नहीं है। गलती से असावधानी से यह बच्चे का एक्सीडेंट हुआ है। और उन्होंने उसको क्षमा कर दिया। जब हमको इस बात का पता लगा। बहुत ही दुख हुआ जान के।
पहले दिन शाम को ही हम उनके घर गए थे मिलने ।और यह बात भी हुई थी, कि फाटक का बहुत ध्यान रखना ।और दूसरे दिन यह हादसा हो गया ।अभी तक भी हम इस हादसे को भूले नहीं हैं
स्वरचित सत्य कहानी
