anil garg

Crime Thriller

4.5  

anil garg

Crime Thriller

बदमाश कंपनी-8

बदमाश कंपनी-8

20 mins
304


दिन सोमवार सुबह 11 बजे!

राज नगर के उस मायापुरी इंडस्ट्रियल एरिया कि उस सबसे आखिरी सड़क पर विधमान उस कंपनी के गेट के बाहर एक मारुती की वैगनार आकर रुकी और उससे दो लोगो ने कदम रखा। एक बन्दा काली पेंट सफेद शर्ट के ऊपर काला ही कोट पहने हुए था..जबकि साथ में उसके जो लड़की थी वो भी एक जीन्स के ऊपर काले रंग का ही ब्लेजर पहने हुए थी। लड़की ने चेहरे पर गॉगल्स लगाए हुए थे। जबकि लड़का बिना गॉगल्स के ही था। उन दोनों ने गाड़ी से उतरकर एक दूसरे की तरफ मुस्करा कर देखा और गेट की तरफ बढ़ गए। गेट पर एक कोई पचास साल से भी ज्यादा उम्र का आदमी एक रजिस्टर लेकर बैठा हुआ था..जिसमे वो फैक्ट्री में आने वालों की नाम पते दर्ज करके उन्हें अंदर भेजता था।

"हमें मिस्टर भसीन से मिलना है"लड़कीं ने खनकती हुई आवाज में कहा।

"आप अपना नाम पता इस रजिस्टर ने दर्ज कर दीजिए। उसके बाद इधर से ऊपर घूम कर जायेगे तो साहब का केबिन नजर आ जायेगा"उस बन्दे ने एक बार भी ये पूछने की जेहमत नही उठाई थी कि वे कौन लोग थे...और भसीन साहब से क्यो मिलना चाहते थे। उस लड़की ने उस रजिस्टर में नाम पता दर्ज किया। उसके बाद बिना उस बन्दे पर नजर डाले ही अंदर की ओर बढ़ गए। अंदर जाते ही एक जीना नजर आया....वे दोनो उस जीने पर चढ़े और कुछ ही पलों में उस फैक्ट्री के पहले फ्लोर पर चढ़ गए। पहले फ्लोर से ही नीचे के हाल का पूरा नजारा हो रहा था। लेकिन उस फ्लोर की ऊँचाई इतनी थी कि नीचे वाला आदमी चाह कर भी ऊपर नही देख सकता था। एक पल उन लोगो ने नीचे हाल में नजर डाली। हाल में पानी की टंकियां जो कि मकानों की छत पर लगाई जाती थी। उनका निर्माण कार्य चल रहा था...काफी बड़ा प्लांट था..और तकरीबन पचास लोग इस वक़्त वहाँ पर कार्यरत थे। उन दोनों ने एक भरपूर नजर उन लोगो पर डाली। किसी का भी ध्यान ऊपर की ओर नही था। वे दोनो अब केबिन की ओर बढ़े...केबिन के काले शीशों के पार कुछ भी नजर नही आ रहा था। उन्होंने केबिन के पास पहुंचकर दरवाजा खटखटाने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि तभी एक लड़की जो शायद अपनी जिंदगी के पच्चीस छब्बीस बसंत देख चुकी थी ने दरवाजा खोला और सवालिया निगाहों से उन दोनो की ओर देखा।

"मिस्टर भसीन से मिलना था"यहां पर भी उसी लड़की ने बात शुरू की थी।

"भसीन साहब को तो आने में तकरीबन दो घँटे लगेंगे...अभी वो बैंक गए हुए है...आपने उनसे अपॉइंटमेंट नही ली थी क्या मिलने के लिए"वो लड़की उन दोनो की ओर देखकर बोली।

"दरअसल हम लोग सुरक्षा एजेंसी से है..हम लोग कंपनियों के सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेकर अगर कोई कमी मिलती है तो उसके बारे में सुझाव देते है..की उन कमी को कैसे दूर करके अपनी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जा सकता है"लड़की ने बेहद ही प्रभावशाली शब्दों में अपने काम के बारे में बताया।

"मैडम !या तो आप दो घँटे के बाद आ जाइये...या फिर अगली बार आप सर से अपॉइंटमेंट लेकर आ जाइए...इस बारे में कोई भी निर्णय सर ही ले सकते है"उस लड़की ने शालीनता से बोला।

"ठीक है मैडम!आप भसीन सर का विजिटिंग कार्ड दे दीजिए..मैं उन्हें काल करके आ जाउंगी"लड़की ने बोला तो वो लड़की अंदर की ओर मुड़ी और एक टेबल से एक डब्बी से विजिटिंग कार्ड निकाल कर उस लड़की की ओर बढ़ा दिया इस लड़की ने फोरन से पेश्तर उस कार्ड को लपका और उस लड़की को शुक्रिया बोलकर तुरन्त ही वे लोग वापस मुड़ गए।कुछ ही पलों में वे दोनों फैक्ट्री से बाहर होकर अपनी गाड़ी में सवार हो चुके थे।

"इस गाड़ी और इस ड्रेस का किराया अब एक दिन का और देना पड़ेगा"गाड़ी में बैठते ही वो लड़का जो कि मस्ती था अपने गले से उस टाई को उतारकर पिछली सीट पर फेंकते हुए बोला।

"कोई नही...इस बार उस साले भसीन से बात करके आएगे..उससे पहले ही मैं फोन पर ही शीशे में उतार लूँगी...मैंने पता किया है साला एक नंबर का ठरकी है"मस्ती के साथ बैठी फरजाना ने हल्की सी हँसी के साथ बोला

"हाँ साले ने अपनी सेक्रेट्री भी जबर रखी हुई थी..अगर ये उस दिन लूट के दिन भी यही मिली तो कसम से मैं तो अपनी लूट का हिस्सा इसी लड़की को दे जाऊंगा"मस्ती ने बोला तो फरजाना कुपित नजरो से उसकी ओर देखने लगी।

"इस कार्ड पर उस आफिस का लैंड लाइन नम्बर भी है..तुम चाहो तो उस लड़की से अपनी से सेटिंग बिठा सकते हो..वैसे भी इस सूट में तुम भी कोई कम जबर नही लग रहे थे....कोई नही कह सकता था की तुम इस इलाके के माने हुए चिन्दी चोर हो"फरजाना ने उसकी शान में कसीदे भी पड़े और साथ कि साथ उसकी इज्जत का फालुदा भी कर दिया था।

"हॉं !जैसे तुझे इस वक़्त कोई नही कह सकता की तू इस शहर की सबसे नामदार रंडी है"मस्ती ने चिढ़े हुए स्वर में बोला।

"अब ये बकवास बन्द कर और ये बता की वहां जाकर कैसा लगा..वहां काम आसानी से हो सकता है या रास्ते में रोड पर ही इस लूट को अंजाम दे" फरजाना को भी मस्ती का जवाब सहन नही हुआ था..इसलिए उसने बात का रुख मोड़ दिया था।

"दो बातें नोट की है मैंने!एक तो फैक्ट्री में घुसना बहुत आसान है...दूसरे केबिन तक पहुंचते वक़्त भी हमे शायद ही कोई देखेगा...अगर वहां कोई हथियार इस्तेमाल करने की नौबत न आये तो उस केबिन में क्या हो रहा है उसकी भी भनक किसी को नही लगेगी"मस्ती भी अब काम की बात गंभीरता से करने लगा था।

"मतलब!सड़क के मुकाबले यहाँ लूट करना आसान होगा"फरजाना ने मस्ती की ओर देखा।

"हाँ!लेकिन हमें एक बन्दे को गेट पर खड़ा करना पड़ेगा..और एक बन्दे को सीढियो के पास..जो वहां आने जाने वालों को रोक सके"मस्ती ने बोला।

"तुम्हारी इस बात से मेरे दिमाग मे एक धांसू आईडिया आया है"फरजाना मस्ती की ओर मुस्करा कर देखते हुए बोली।

"तुम्हारा दिमाग तो बिजली की गति से भी तेज चलता है..फरजाना डार्लिंग..तुम्हारे दिमाग का जलवा देखने के बाद ही तो किसी ने भी तुम्हे अपने ग्रुप में शामिल करने से मना नही किया"मस्ती मुरीद स्वर में बोला।

"अभी दिमाग देखा ही कहाँ है तुमने...अभी तो सिर्फ ट्रेलर दिखाया है...पूरी पिक्चर तो अभी बाकी है मेरे मुन्ना"फरजाना गाड़ी से बाहर की ओर देखते हुए बोली।

"तुम में जितना भी दिमाग है न...उसे इस लूट को सफल बनाने में लगाओ...ताकि हम लोगो को इस गटर की जिंदगी से मुक्ति मिले"मस्ती ने फरजाना की बात को समझे बिना ही कहा।

"मस्ती मेरी जान!ये लूट तो बहुत आसान है...बहुत आसानी से हम इस लूट को अंजाम देगे...लेकिन असली काम है लूट होने के बाद का...उसके बारे में अभी से सोचना शुरू कर दो..क्योकि फिर हमारे पास इस शहर को छोड़ने के अलावा कोई और रास्ता नही होगा"फरजाना मस्ती की ओर देखते हुए बोली।

"काम होने के बाद यहां से सीधा मुम्बई भाग चलते है...ट्रैन की लोकल टिकट पहले ही लेकर रख लेते है"मस्ती ने अपना दिमाग दौडाया।

"लूट की घटना के बाद बमुश्किल आधा घँटे के अंदर शहर से बाहर जाने के सारे रास्ते बंद हो चुके होंगे...यहां तक की बस अड्डे और रेलवे स्टेशन पर भी पुलिस के लोग ही नही बल्कि पुलिस के मुखबिर भी एक्शन में आ चुके होंगे...मायापूरी के उस इलाके से आधा घँटे में इस शहर से बाहर कैसे निकले उसके बारे में सोचो मस्ती...क्योकि इतनी बड़ी लूट के बाद हम लोगो के छुपने के लिए ये शहर बहुत छोटा पड़ेगा"फरजाना गहराई से सोचते हुए बोली।

"ये तो तुम सही सोच रही हो फ़रज़ाना....असली काम तो लूट के बाद ही शुरू होगा"मस्ती सहमति में सिर हिलाते हुए बोला।

"एक दूसरी बात...कट्टे का इस्तेमाल हम किसी भी हाल में किसी को मारने के लिए नही करेगे...भले ही हम लूट में कामयाब न हो पाए"फरजाना ने एक नई बात बोली।

"लेकिन इतना आगे बढने के बाद हम में से फेल तो कोई भी नही होना चाहेगा फ़रज़ाना...इसलिए हमें हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना होगा"मस्ती पहली बार फ़रज़ाना की बात से असहमति जताई।

"मेरी बात नही समझे तुम..कई बार जब हथियार हाथ मे होता है तो हथियार आदमी को खुद उकसाता है कि तेरे हाथ मे हथियार है..और इस वक़्त दुनिया का तू ही सबसे बड़ा बादशाह है...बस उसी घमंड में इंसान बिना वजह भी किसी को मार डालता है..इसलिए हथियार किसी ऐसे आदमी के हाथ मे होना चाहिए...जिसका अपने दिमाग पर पूरा कंट्रोल हो...मेरी बात का सीधा मतलब है...की कट्टा बेवड़े या गंजेडी के हाथ मे नही होना चाहिए...हम दोनो में से किसी के हाथ मे होना चाहिए"फ़रज़ाना ने अपना असली मंतव्य समझाया।

"लेकिन इस बात को ऐसे डायरेक्ट उन दोनों नशेडियों के सामने बोलने से बचना...नही तो लूट से पहले ही कोई और कांड हो जाएगा"मस्ती मुस्कराते हुए बोला।

"समझ गई...चलो यार गाड़ी ट्रेवल्स वाले को वापिस करो..ये कपडे तो हमे अभी अपने पास ही रखने होंगे"फरजाना की बात सुनकर मस्ती ने गाड़ी को ट्रेवल्स वाले की दुकान की तरफ भगा दी।

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वे पांचों लोग इस वक़्त उस मकान में सिर जोड़कर बैठें हुए थे।

"मेरे ख्याल से अगर लूट की घटना को फैक्ट्री में ही अंजाम देना है तो हथियार सभी के पास होने चाहिए" बेवड़ा सभी की ओर देखकर बोला।

"उसकी जरूरत नही पड़ेगी..मैंने कुछ ऐसा सोचा है कि हम बिना एक भी गोली चलाये..आसानी से अपना काम पूरा कर लेंगे"फरजाना ने सभी के चेहरे पर नजर डाली।

"पहेलियां क्यो बुझा रही हो फिर नाईट क्वीन...जो भी सोचा उसके बारे में बताओ"गंजेडी ने फ़रज़ाना की ओर देखकर बोला। गंजेडी के मुंह से फ़रज़ाना के लिये नाईट क्वीन सुनकर सब के चेहरे पर मुस्कान खिल गई थी।

"मेरी कोशिश रहेगी कि मैं उस फैक्ट्री के मालिक से हर हालत में मिल लू...मै उससे मिलकर उसकी फैक्ट्री की सुरक्षा का कॉन्ट्रैक्ट उससे हासिल करुंगी...उसके बाद हमारे आदमी गेट से लेकर अंदर तक सुरक्षा में तैनात होंगे...बाकायदा सुरक्षा गार्ड की ड्रेस में तैनात होंगे"फरजाना ये बोलकर एकबारगी चुप हुई।

"हमारी शक्ल कहाँ से सुरक्षा गार्ड जैसी लग रही है"ये बोलकर बेवड़ा ठठाकर हँसा।

"तुम्हारी शक्ल पर ही आ रही हूँ बेवड़े...काम करने से दो दिन पहले से तुम लोगो को नशे से दूर रहना होगा..ताकि उस दिन तुम आदमी नजर आओ" फ़रज़ाना ने तंज भरे स्वर में बोला।

"बिना पिये तो हम मुर्दे के समान है फरजाना डार्लिंग...अगर पियेंगे नही तो हम जीयेंगे कैसे"बेवड़ा फरजाना कि ओर देखकर बोला।

"सिर्फ दो दिन की बात है..दो दिन में तुम मर नही जाओगे"फरजाना कुपित स्वर में बोली।

"दो दिन तो सहन कर लो..उसके बाद तो तुम दारु में ही नहाओगे यार"इस बार छप्पन टिकली ने बेवड़े को बोला।

"ठीक है तुम बोल रहे हो तो अपन कोशिश करेगा..लेकिन अपुन को लग नही रहा है कि अपुन कामयाब हो पायेगा..क्योकि अब मैं दारू को नही पीता हूँ..अब दारू मुझे पीती है"बेवड़े ने एक फीकी सी हँसी हँसता हुआ बोला।

"मेरी प्लानिंग के हिसाब से सिर्फ दो लोग चाहिए जो गेट पर और सीढियो के पास तैनात रहेगे...सुरक्षा गार्ड की ड्रेस में होंगे तो वो किसी को भी गेट से अंदर आने से रोक सकेगे..और अंदर के आदमी को सीढियो से ऊपर आने से रोक सकेगे..क्योकि तुम लोग वर्दी में होंगे...इसलिए कोई तुमसे चूं चपड़ भी नही करेगा..और मैं और मस्ती ऊपर आराम से अपना काम कर लेंगे"फरजाना ने अपने प्लॉन की बड़ी बाते बताई।

"और कुछ बाकी है तुम्हारे प्लान में"कल्लन ने पूछा।

"हाँ!क्योकि हथियार के नाम पर हमारे पास सिर्फ एक कट्टा ही है...तो वो कट्टा मेरे पास रहेगा"मस्ती ने बोला तो सभी ने सहमति में सिर हिलाया।

"लेकिन इस बार ये प्लान फाइनल है ना... इसमे तो कोई फेरबदल नही होगा न"कल्लन ने तपे हुए स्वर में पूछा।

"हॉं ! ये प्लान फाइनल है...बस अब जो जो सामान इस काम के लिए चाहिए...वो कैसे और कहाँ से आएगा...इसके बारे में सोच लेना चाहिए" मस्ती ने बोला।

" क्या क्या सामान चाहिए"कल्लन ने मस्ती की ओर देखा।

"दो जोड़ी सुरक्षा गार्ड की ड्रेस और एक वारदात के बाद भागने के लिए कार"फरजाना ने बताया।

"गार्ड की ड्रेस तो मार्किट से मिल जाएगी..असली पंगा तो गाड़ी का है"कल्लन ने बोला।

"इस गंजेडी ने मेनहोल के ढक्कन तो बहुत चुराये है..इस बार इसे बोलो की कार चुराएगा"फरजाना ने तंज मारा।

"कार तो चुरा लेगा...लेकिन मस्ती गुरू को साथ चलना पड़ेगा...क्योकि गाड़ी का लॉक यही खोल सकता है...मेनहोल का ढक्कन तो बिना लॉक के होता है...इसलिए अपन उठा लाता है"गंजेडी इस वक़्त भी फुल तरंग में था।

"ठीक है रविवार की रात को गाड़ी उड़ायेंगे..अगले दिन सुबह काम आएगी...ज्यादा दिन पहले उड़ाई तो उसे छुपाने का भी वांदा रहेगा"मस्ती ने गंजेड़ी को बोला।

"लेकिन गाड़ी को हमे रविवार से पहले ही उड़ाना होगा...ताकि उसका रंग रूप बदल सके...नही तो चोरी की गाड़ी में शहर की सड़कों पर निकलेंगे तो कुछ करने से पहले ही धर लिए जायेंगे" फरजाना ने सबसे बेशकीमती बात बोली।

"छोकरी की इस बात में दम है मस्ती....लेकिन गाड़ी का रंग रूप बदलेगा कौन"छप्पन टिकली ने अपनी खामोशी को तोड़ा।

"उसका इंतजाम मैं कर देगा...अपना एक भीडू है...जो इसी काम मे मास्टर है..रातो रात गाड़ी की ऐसी शक्ल बदल देगा कि खुद गाड़ी का मालिक भी सामने खड़ा होग़ा तो नही पहचान पायेगा"बेवड़े की ये बात सुनकर सभी ने मुतमइन नजरो से बेवड़े को देखा।

"साला खोटा सिक्का हमेशा वक़्त पर काम आता है...ये तुमने आज सिद्ध कर दिया बेवड़े"छप्पन टिकली ने बेवड़े को बोला।

"तो सबसे पहला काम है...उस फैक्ट्री के मालिक भसीन से मिलना...उसके बाद आगे के काम शुरू होंगे"फरजाना ने उन सभी की ओर देखकर घोषणा की।

"अभी एक काम और बाकी है चिकनी"छप्पन टिकली पता नही आज किस मूड में बैठा था।

"क्या"फरजाना ने सवालिया निगाहों से उसके चेचक के दाग से भरे चेहरे को देखा।

"तू चाय बहुत मस्त बनती है..इस सभा को खत्म करने से पहले एक एक कप चाय हो जाये तो मजा आ जाएगा"कल्लन उर्फ छप्पन टिकली ने खीसे निपोरते हुए बोला।

"अबे ये दारू पीने का टाइम है..तू कहाँ ये चाय का रोना लेकर बैठ गया"बेवड़े ने कल्लन की तरफ देखकर बोला।

"तेरे तो चौबीस घँटे ही दारू पीने का ही टाइम होता है..साले वो दिन भी आने वाला जब तुझे रात को भी ग्लूकोज़ चढ़ाने वाली नली से दारू चढ़ानी पड़ेगी"गंजेडी की बात पर वहां सभी का सम्मिलित ठहाका गूंज उठा।

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अगले दिन फरजाना को उस फैक्ट्री के मालिक भसीन से मिलने का समय लेने में किसी हिलहुज्जत का सामना नही करना पड़ा। शायद उसकी सेक्रेट्री ने फरजाना की आमद के बारे में पहले से ही बता दिया था।जैसा कि फरजाना को पहले से ही विदित था कि बन्दा ठरकी मिजाज का है तो आज उसने अकेले ही इस किले को फतेह करने का इरादा बना लिया।उसने मस्ती को ये कहकर साथ में चलने से मना किया की उन लोगो का ज्यादा उन लोगो की नजरों में आना ठीक नही है..ताकि लूट के बाद जब पुलिस की तहकीकात में लुटेरो का हुलिया पूछा जाए तो कोई ढंग से हुलिया बता न पाये। फरजाना की बात को मस्ती ने भी बिना किसी आनाकानी के मान लिया था।

इस वक़्त फरजाना अपनी कल वाली ड्रेस में हो भसीन साहब के सामने ही बैठी हुई थी।भसीन कोई तीस की उम्र के लपेटे में आया हुआ एक देशी बन्दा था। जिसकी शक्ल और आंखे दोनो ही उसकी अय्यासी का मुंह बोलता सबूत थी। रही सही कसर जिन भूखी नजरो से बो फरजाना को देख रहा था...उसने उसका चरित्र प्रमाणपत्र फ़रज़ाना के सामने पेश कर दिया था। फरजाना ने चारो तरफ नजर दौडाई तो उसे कल वाली सेक्रेट्री कही नजर नही आई थी। अब ये महज इतेफाक था या कुछ और था उसमें फरजाना अभी अपना दिमाग नही ख़फाना चाहती थी।

"आप सुरक्षा एजेंसी में काम करती है"भसीन ने मुरीद नजरो से फरजाना को देखते हुए पूछा।

"जी सर...मुझे पिछले पांच साल का तजुर्बा है अपनी लाईन का..आप अगर अपनी फैक्ट्री के सुरक्षा प्रबंधों के बारे में बता दे तो मैं आपको उनको और बेहतर करनें के लिए सुझाव दे सकती हूँ...और उस काम को कर भी सकती हूँ"फरजाना ने किसी कुशल मार्केटिंग प्रतिनिधि की तरह से बोला।

"मैडम हमारी फैक्ट्री तो लाला की दुकान है..यहां कभी सुरक्षा के तामझाम के बारे में सोचा ही नही...अब आप आई है तो आपकी बात पर जरूर गौर करेंगे"भसीन का बोलने का अंदाज ही बता रहा था कि वो फरजाना को अपना मुरीद बनाना चाह रहा था।

"सर!अगर आपने अभी तक आपने नही सोचा तो अब सोच लीजिये..क्योकि जमाना दिन पर दिन खराब ही होता जा रहा है"फरजाना को उसकी बातों से लग गया था कि जिन उम्मीदों को सोचकर वो यहां आई थी...उन उम्मीदों को पंख लगाने के लिए भसीन पहले से ही तैयार बैठा है।

"आप बताओ!आप कैसे शुरू करना चाहोगी" भसीन ने फ़रज़ाना को देखते हुए बोला।

"ठीक है सर...अभी हम दो सुरक्षा गार्ड से शुरू करते है जो आपके गेट पर बाहर से आने जाने वालो का प्रोफेशनली तरीके  से ध्यान रखेगा....इसके अलावा सीसीटीवी कैमरे के बारे में सोमवार को मैं अपने मैनेजर के साथ आ जाउंगी...उसी दिन से हम दो गार्ड भी यहाँ तैनात कर देंगे"फरजाना ने अपना जाल फैलाना शुरू किया।

"सोमवार को तो मै सुबह बैंक के काम मे बिजी होता हूँ मैडम"आप या तो सुबह ठीक दस बजे यहां आ जाये..या फिर दो बजे के बाद मैं आपको मिलूंगा...उससे पहले आप मेरी सेक्रेट्री से जरूर मिल लीजिये ताकि वो हम लोगो का कॉन्ट्रैक्ट तैयार कर सके...उनका नाम सोनिया है....वे आज तो आई नही है..मैं उनका फोन नंबर आपको दे देता हूँ..आप उनसे बात करके उनसे मिल लीजिए"ये बोलकर भसीन ने अपनी दराज से एक विजिटिंग कार्ड अपनी सेक्रेट्री का भी निकाल कर मुझे दे दिया।

"ठीक है सर!आपका बहुत बहुत धन्यवाद..जो आपने हमे सेवा का मौका दिया..मैं सोनिया जी से मिल लेती हूँ"फ़रज़ाना ये बोलकर अपनी सीट से उठ खड़ी हुई और उससे विदा लेने के अंदाज में अपना हाथ उसकी और बढ़ाया।उसने पूरी गर्मजोशी के साथ अपने हाथ को मेरे हाथ में डाला और उन ठरकी नजरो से मेरी ओर देखा जिन नजरो को औरत को पहचाने का ऊपरवाले ने जन्मजात गुण दिया होता है...फरजाना ने भी एक कामुक मुस्कान उसकी और फेंकी और उसके अरमानों की भट्टी को और ज्यादा सुलगा कर आफिस से बाहर आ गई।

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मस्ती और गंजेडी दोनो ही इस वक़्त सिनेमा हॉल रोड पर टहल रहे थे। सिनेमा हाल के सामने वाला ब्लॉक उस एरिया का सबसे पॉश इलाको में से गिना जाता था...शुद्ध हिंदी में बोले तो शहर के सबसे धनाढ्य लोगो ने अपना आशियाना यही बनाया हुआ था। लेकिन पार्किंग की देशव्यापी समस्या का समाधान यहां भी नही हो पाया था...और गलियों में ही गाड़ियों का रेला लगा हुआ था।

"गुरु!कोई झक्कास गाड़ी उठाना जिंसमे एसी वेसी मस्त हवा देता हो...वो क्या है गुरु की पकड़े जाने के बाद तो जेल की हवा खानी ही है..तब क्यों न उससे पहले एसी की हवा खा ले"गंजेडी ने खीसे निपोरते हुए बोला।

"साले मनहूस आदमी...काम हुआ नही तू पहले से ही पकड़े जाने की भविष्यवाणी कर दे"मस्ती ने उसके सिर पर चपत लगाते हुए बोला।

"अरे गुरु अपुन तो जैसे अंदर वैसे ही बाहर...अपन की अंदर जाने की बात का क्या बुरा मानना"गंजेडी ने अपनी मनहूसियत भरी बात की सफाई दी।

"लेकिन इस बार जो इतना बड़ा हाथ मारने की प्लानिंग की है..वो फिर से जेल जाने के लिए नही की है..बल्कि अपनी जिंदगी बदलने के लिए की है...इस हाथ को मारने के बाद इस शहर से कही दूर जाकर अपन शराफत की जिंदगी बिताएगा...शादी बनायेगा...बच्चे पैदा करेगा"मस्ती कही ख्वाबो की दुनिया में विचरते हुए बोला।

"गुरु !शरीफ आदमी बनने के लिए भी पहले कोई बड़ा हाथ मारना पड़ता है क्या"गंजेडी ने बात तो बड़ी गहरी पूछी थी लेकिन आदमी हल्का था इसलिए इसकी बात को हल्के में लेते हुए मस्ती एक फीकी सी हँसी हँस दिया।

"चल बातें बहुत हो गई..अब कोई गाड़ी पसंद कर ..जिस पर हाथ साफ करना है"मस्ती ने गंजेडी की ओर देखकर बोला।

"गुरु गाड़ी तो यहां एक से एक मस्त खड़ी है..जो आसानी से खुल जाए उसी को ले चलो"गंजेडी ने आसपास खड़ी गाड़ियों पर अपनी नजर दौड़ाते हुए कहा।

"चल फिर इस सफेद गाड़ी को उठाते है...दमदार गाड़ी है"मस्ती ने एक हाथ उस गाड़ी पर मारा ही था कि उस गाड़ी का भोंपू गला फाड़ कर उस अंधेरी रात और अंधेरी गली में चीखने लगा था। इस असमय आवाज को सुनते ही उन दोनों के होश फाख्ता हो गए। वो दोनो उस गली से बाहर की ओर दौड़े..तभी उस गाड़ी के सामने वाले मकान की लाइट जली और एक मियां बीवी बालकनी से गली में झाँकते हुए आये...लेकिन गली में किसी को भी न पाकर उन्होने गाड़ी की चाबी को गाड़ी की तरफ किया और गाड़ी के हॉर्न को बन्द करके एक बार फिर से इधर उधर झाँक कर अंदर की ओर मुड़ गए..गली में फिर से निस्तब्धता छा चुकी थी। सन्नाटे ने उस अंधेरे में अपने पांव पसार लिए थे।उधर गली से बाहर भाग कर पहुँचे मस्ती और गंजेडी वहां से पचास मीटर दूर जाकर हांफ रहे थे।

"क्या गुरु...हम लोगो के तो गाड़ी तक चुराने के वान्दे हो गए है..ये अमीर आदमी हम गरीबो के जीने के सारे रास्ते बंद करके ही मानेगे"गंजेडी ने एक अलग ही रोना रोया।

"साले किसी नेता की रैली से होकर आ रहा है क्या..आज बड़े बोल वचन निकल रहे है तेरे मुंह से...अब क्या लोग सामने से आकर बोलेंगे की.."ले मुन्ना ले..लेजा हमारी गाड़ी"मस्ती ने तंज भरे स्वर में बोला।

"गुरु देख ना...कितनी सारी गाड़िया खड़ी है...हम बस एक ही गाड़ी तो चुरा रहे है..इन सालो का एक गाड़ी में क्या बिगड़ जाएगा"गंजेडी इस वक़्त गांजे की ओवरडोज की ऐसी तैसी कर रहा था।

"साले जिसकी चुरायेंगे उसके पास भी तो एक ही गाड़ी होगी न...अब तू नशे की ऐसी तैसी करके मेरे दिमाग का दही मत कर"मस्ती ने खिसियाये स्वर में बोला।

"ठीक हैं गुरु!जब तेरे पास ही मेरी बात का जवाब नही हैं तो..इस दुनिया में किसी के पास भी नही होगा..अब अपुन चुप रहेगा...ये बोल की अब क्या करे"गंजेडी अपने होठो पर उंगली लगा कर चुप रहने का इशारा करते हुए बोला।

"ऐसे हॉर्न तो हम जितनी भी गाड़ियों के हाथ लगायेगे..सभी के बजेंगे...एक काम करते है इसी गाड़ी वाले को इतना परेशान कर देते है कि साला परेशान होकर खुद ही हॉर्न बन्द कर देगा..उसके बाद अपन इसकों लेकर चल पड़ेगे"मस्ती ने गंजेड़ी को बोला।

"गुरु एक काम कर..उस गाड़ी के मालिक को मैं परेशान करता हूँ...तुम बस दूर रहकर तमाशा देखो' ये बोलकर गंजेडी फिर से गली में प्रवेश कर चुका था।मस्ती ने भी उसे रोकने की कोशिश नही की...शायद वो जानता था कि गंजेडी अब क्या करने वाला था। गंजेडी उस गाड़ी के पास पहुँचा और उस गाड़ी के नीचे घुस गया। नीचे घुसते ही उसने गाड़ी के एक लात मारी और गाड़ी का हॉर्न फिर से उस गली की नीरवता को भंग करनें लगा था।एक बार फिर से बॉलकनी की लाइट जली..इस बार बालकनी में सिर्फ मियां नजर आए...बीवी शायद इस बार अपनी नींद का त्याग करने को तैयार नही हुई होगी। उसने झल्लाकर बड़बड़ाते हुए गाड़ी के हॉर्न को बन्द किया...अभी वो गाड़ी को बन्द करके वापस मुड़ा ही था कि गंजेडी ने फिर से लात मारकर गाड़ी का हॉर्न बजा दिया।इस बार हॉर्न की आवाज सुनकर उस बन्दे की बीवी भी बालकनी में आ चुकी थी।

"सुनो जी! लगता है हॉर्न खराब हो गया है...इसका हॉर्न बन्द ही कर दो...क्यो अपनी भी नींद हराम कर रहे हो,...और पड़ोसियों की भी कर रहे हो" उस आदमी की बीवी नींद से बोझिल स्वर में बोली।

"सही बोल रही हो भागवान...सुबह सर्विस सेंटर ले जाकर दिखाता हूँ"ये बोलकर उसने वही से इमेरजेंसी हॉर्न बन्द किया...और बीवी के पीछे पीछे अंदर मुड़ गया...कुछ ही पलों मे बालकनी की लाइट भी बन्द हो गई। कोई दस मिनट तक गंजेड़ी वही लेटा रहा,...उसने दो तीन बार लात मारकर देखा भी लेकिन गाड़ी का हॉर्न बेदम हो चुका था। गंजेड़ी अब गाड़ी के नीचे से बाहर निकला और तेज कदमो से गली से बाहर की ओर चल दिया।

"चलो गुरु...मैदान साफ है...अब अपना हाथ साफ करो"ये बोलकर गंजेडी ने अपनी उंगलियो से विक्ट्री का निशान बनाया। मस्ती ने उसके कंधे पर हाथ मारकर शाबाशी दी।उसके बाद मस्ती गली के अंदर प्रवेश कर गया।गंजेडी भी उसके साथ ही अपनी कदमताल मिलाते हुए चल रहा था..अभी वे दोनों कुछ ही कदम चले होंगे कि पुलिस की गाड़ी का हूटर उन्हें दूर से ही सुनाई दिया। उन दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा और तुरन्त उन गाड़ियों के पीछे की ओर दौड़ चले।

"गुरु लगता है आज की रात ही काली है साली...एक के बाद एक विघ्न आ रहे है"गंजेड़ी ने गाड़ी के पीछे छुपते हुए बोला।

"कांड तो आज ही करके जायेगे नाटे...चाहे कुछ भी हो जाए"मस्ती ने दृढ़ स्वर में बोला।

"ठीक है गुरु...अपुन भी मरते दम तक तेरे साथ है गुरु" गंजेडी ने मस्ती को बोला।

" चल निकल यहां से...पुलिस की गाड़ी तो अभी तक दूर निकल गई होगी" मस्ती वहाँ से बाहर आते हुए बोला।

"चलो गुरु अपन तो कब से मचल रहे है उस गाड़ी में बैठकर एसी की ठंडी हवा खाने के लिए"गंजेड़ी ने मस्ती की ओर देखकर मस्ती भरे स्वर में बोला।

"साले ठंड के मौसम में एसी की हवा खाकर मरेगा क्या"मस्ती ने उसके अरमानो पर ठंड के मौसम में ठंडा पानी डाल दिया।

दोनो ही बात करते हुए गाड़ी के पास पहुंच चुके थे। मस्ती ने अपनी जेब से एक चाबियों का गुच्छा निकाला...उसमे से एक चाबी को उसने चुना...उसके बाद उस चाबी को गाड़ी की ड्राइविंग साइड की डोर पर लगाया और दरवाजा बिना किसी नखरे के मस्ती के कदमो में बिछता चलता गया। मस्ती ने अंदर बैठते ही गाड़ी का कंट्रोल अपने हाथ मे लिया और दूसरी तरफ का दरवाजा भी खोला।दरवाजा खुलते ही गंजेडी झट से गाड़ी में समा गया। तभी उस सुनसान गली में चार पांच कुत्ते दौडतें हुए आये और गाड़ी को चारों तरफ से घेर कर भोंकने लगे। तभी गाड़ी का इंजन गरजा। इंजन के गरजते ही सभी कुत्ते गाड़ी के पिछले हिस्से में इक्कठे होकर भोंकने लगे। मस्ती ने गाड़ी को आहिस्ता से आगे बढ़ाया। तभी बालकनी की लाइट एक बार फिर से जली। लेकिन तब तक मस्ती गाड़ी को गली के आखिरी छोर तक ले जा चुका था। उसी वक्त बालकनी में खड़ा शख्स चोर चोर की तेज तेज आवाज लगाने लगा। लेकिन तब तक वो गाड़ी उस बन्दे की नजरों से ओझल हो चुकी थी।

क्रमशः



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