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Ragini Ajay Pathak

Tragedy

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Ragini Ajay Pathak

Tragedy

बदल गयी क्यों होली

बदल गयी क्यों होली

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अब पहले जैसे ना होली ना रंगों से प्यार,

अब होली भी डिजिटल हो गयी,

ऑनलाइन ही मनाओ सब त्यौहार,

रंग,खेल,पिचकारी बदले

बदल गए पारंपरिक पकवान

अब डाइट के चक्कर मे चली गयी मिठास,

गानों में फूहड़ता भर गयी, 

कहाँ रहा लोकलाज ,सम्मान

होली पर लोगो की अब तो ,

चाल के साथ बोली भी बदल गयी

उम्र चाहें यौनव का हो या ढलती शाम

महिलाओं की घाघरा चोली घूरती है,हर निगाह 

ना जाने रंगों में किसने घोली ये विष की बोली,

जो जबरन रंग लगा महिला को

बोले ये तानों की बोली

बुरा ना मानो होली है।

ना जाने कब कैसे

बदल गयी क्यों होली!



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