Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Inspirational

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Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Inspirational

बालिका मेधा 1.09

बालिका मेधा 1.09

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एक बच्चे के लिए जितनी उपयोगी होती है, उतनी जानकारी मुझे मिल गई थी। अब मैं पूर्वी के लिए सोचने लग गई थी कि उस लड़के ने, ड्रग्स के दुष्प्रभाव में ऐसी कोई हरकत न की हो तो अच्छा हो। मैं यह सोच ही रही थी तभी एक और प्रश्न मेरे मस्तिष्क में कौंध गया। मैंने मम्मी से पूछ लिया - 

मम्मी जब ड्रग्स इतने हानिकर हैं तो उन्हें बनाता कौन और व्यवसाय कौन और क्यों करता है?

मम्मी ने कहा - 

यह अच्छा प्रश्न है, मेधा। वास्तव में आज के सभ्य हुए समाज में अपने वर्चस्व एवं धन की चाह मनुष्य पर इतनी हावी हो गई है कि ये अपने से अलग नस्ल को नष्ट या अपने से हीन बनाने के लक्ष्य से ड्रग्स का अनैतिक उत्पादन एवं व्यवसाय करते हैं। इससे उन्हें धन लाभ भी होता है। अधिकतर देशों में, ड्रग्स के व्यवसाय को गैरकानूनी घोषित किया गया है। इसमें लिप्त लोगों के विरुद्ध दंडनीय प्रावधान भी हैं लेकिन अपने खराब लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई लोग इसे कर रहे हैं। हमारे देश के युवाओं को, दुश्मन देश टारगेट करने के लिए ड्रग्स पहुँचाते हैं। हमारे युवाओं की क्षमता और इनसे प्रतिस्पर्धा इन देशों को अपने लिए अहितकर लगती है। वे इसे ड्रग्स की चपेट में लेकर नष्ट करना चाहते हैं। 

मैंने कहा - यह तो हम बच्चों के लिए दुश्मनों का अत्यंत बुरी मंशा (Motive) है। 

मम्मी ने कहा - हाँ, यह हमारे बच्चों और युवाओं को समझना चाहिए। सभी को ड्रग्स से दूर रहना चाहिए। 

मेरे मन में उठते सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए थे। तब मुझे भूख अनुभव हुई। मैंने मम्मी से, नाश्ता करने की इच्छा बताई थी। फिर मम्मी एवं मैं साथ साथ रसोई में आ गए थे। 

पापा-मम्मी ने पहले ही ग्रीष्म ऋतु की तपिश से बचने के लिए पर्यटन कार्यक्रम बनाया हुआ था। पापा-मम्मी ने इस हेतु अवकाश लिया था। अगले दिन से पापा, मम्मी एवं मैं तय अनुसार सप्ताह भर के लिए, दो भिन्न हिल स्टेशनों के भ्रमण पर निकल गए थे। मुझे इन पर्यटन स्थलों की सैर में अत्यंत आनंद आया था। 

सप्ताह भर बाद वहाँ से हम लौटे थे। तब पापा-मम्मी पर वर्क लोड अधिक बढ़ गया था। उन्होंने मुझे कराटे क्लास ज्वाइन करवा दी थी ताकि मैं अवकाश में घर में सिर्फ टीवी ही न देखती रहूँ। हिल स्टेशन से लौटने के बाद ऐसे पाँच दिन और निकले थे। तब एक सुबह एक इनकमिंग फोन कॉल आया था। इसे रिसीव मम्मा ने किया था। उन्होंने मुझे आवाज दी और मेरे पहुँचने पर मुझे रिसीवर दे दिया था। 

मैंने हैलो कहा था, दूसरी ओर पूर्वी थी। उसने कहा - 

मेधा, बहुत दिन हो गए कोई भेंट कोई बात नहीं, क्या आज हम मिल सकते हैं? मुझे बहुत कुछ बताना है, तुमसे।   

मैं पिछले 15 दिन से, एक तरह से पूर्वी को बिलकुल भुलाए हुए थी। उसके यह पूछते ही मुझे सब कुछ याद आ गया था। 

तब क्या हुआ था, मेरी यह जानने की जिज्ञासा बढ़ गई थी। मैंने मन ही मन तय किया फिर कहा - पूर्वी, आज दोपहर बाद का सोना कैंसिल, तुम मेरे घर तभी आ जाओ। 

पूर्वी ने हामी भर दी थी। बात पूरी करने के बाद मैंने, मम्मी को बताया था। उनका आज वीक एन्ड का अवकाश था। उन्होंने हँस कर कहा - ठीक है, तुम दोनों बातें करना। मैं और पापा आज दोपहर सोने का आनंद उठाएंगे। 

दोपहर बाद पूर्वी आई थी। हमने पहले बोर्ड गेम खेले थे। ना पूर्वी ने बताया और ना ही मैंने उससे, उस लड़के के बारे में कुछ पूछा था। इस बीच पूर्वी के खुश और सामान्य दिखने से मुझे अनुमान हो गया था कि पूर्वी को इस बीच कोई समस्या नहीं रही थी। गेम खत्म होने पर पूर्वी ने खुद ही उस बारे में बात प्रारंभ की और कहा - मेधा, तुम्हें याद है, तुम्हारे कहने पर मैं उस दिन मिलिंद से मिलने पार्क में नहीं गई थी। 

मैंने सिर हिलाकर हामी भरी तब पूर्वी ने कहा - उस रात पापा के अलावा सब घर में थे। करीब 7.45 पर डोर बेल गूँजी थी। मम्मी रसोई में थी और बैठक में दादा, दादी टीवी देख रहे थे। वहीं मेरा छोटा भाई अपने टॉयस से खेल में मग्न था। बेल से मुझे लगा कि पापा आए हैं। मैंने दरवाजा खोला तो मैं चौंक गई थी। दरवाजे पर मिलिंद खड़ा था। उसे देख मैं डर गई थी। मैंने देखा किसी का ध्यान दरवाजे पर नहीं है। तब मैंने बाहर निकल कर अपने पीछे डोर बंद किया था। मैं मिलिंद का हाथ पकड़कर खींचते हुए उसे बाहर अँधेरे वाले भाग में ले आई थी। तब मिलिंद ने मुझसे कहा, पूर्वी तुम धोखेबाज हो, रेस्टारेंट में मेरे साथ आकर खा चुकी हो। मुझसे गिफ्ट भी ले चुकी हो। फिर जब मैंने आज मिलने के लिए बुलाया तो तुमने मुझे इंतजार कराया और तुम मुझसे मिलने नहीं आई। 

पूर्वी कहते हुए रुकी तो मैंने पूछा - इस पर तुमने मेरे द्वारा मना किया जाना तो नहीं कह दिया, उससे? 

पूर्वी ने बताया - नहीं, उसके कहने के ढंग से मुझे गुस्सा आ गया मैंने उससे क्या कहना है सोचा फिर उससे कह दिया, मिलिंद मेरे पापा बहुत गुस्सैल हैं। उनके पास लाइसेंस्ड पिस्टल भी है। अगर उन्होंने तुम्हें हमारे घर, ऐसे आया हुआ देख लिया तो वह गुस्से में कुछ भी कर सकते हैं। या तो मुझे या तुम को या दोनों को, गोली भी मार सकते हैं। अभी तुम चुपचाप यहाँ से चले जाओ तो अच्छा हो। 

मेरे कहने से वह घबराया सा दिखा और जाने को हुआ तो मैंने उसे रुकने कहा था। फिर उसे वहीं रुके रहने को कह कर, मैं घर में गई थी। मैं एक मैथ्स बुक तथा उसकी दी गिफ्ट लेकर वापस लौटी थी। उसे मैंने गिफ्ट पकड़ाई थी और तुरंत जाने के लिए कहा था। वह अधिक डरा हुआ था। बिना देखे कि उसे मैंने क्या दिया है, वह अपना दिया गिफ्ट वापस लेकर, तेज कदम बढ़ाते हुए चला गया था। 

अब जब मैं वापस पहुँची तो दादी ने पूछा, पूर्वी बाहर कौन आया था? मैंने मैथ्स बुक उन्हें दिखाते हुए झूठ कह दिया था कि मेरी फ्रेंड मुझे यह बुक लौटाने आई थी। 


(क्रमशः) 


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